अवधनामा संवाददाता
जिम्मेदार बने तमाशबीन, स्थानीय पुलिस के सह पर हो रखा मिट्टी खान
कुशीनगर। प्रशासन के लाख दावों के बाद भी जिले में खेतों से अवैध मिट्टी खनन जारी है। जेसीबी व मिट्टी काटने वाली मशीन लगाकर खेतों से धड़ल्ले से मिट्टी खनन किया जा रहा है। खनन के बाद ट्रैक्टर ट्राॅलियों में भरकर मुख्य मार्गों से मिट्टी गंतव्य तक पहुंचाई जा रही है। जिम्मेदार तमाशबीन बने हुए है। इसमें अधिकतर मिट्टी कारोबारी के पास जा रही है। कारोबारी विभाग की मिलीभगत से रॉयल्टी की चोरी करते हैं।
जानकारी के मुताबिक पिछले दिनो हाटा क्षेत्र के पड़री गांव के समीप टैक्टर ट्राॅली पर मिट्टी लोड किया जा रहा था। परमिट के बारे में पूछने पर चालक ने बताया कि इस क्षेत्र में मिट्टी बगैर परमिशन के होता है। इसी तरह सुकरौली, पड़री, खोट्ठा, अहिरौली, मथौली सहित पूरे जनपद में सरकारी गैर सरकारी जमीनो पर धड़ल्ले से खनन का धंधा चल रहा है। जटहा बाजार थाना क्षेत्र के हिरनही में मिट्टी काटने वाली मशीन से खेत में मिट्टी की कटाई चल रही थी। 15 से अधिक ट्रैक्टर ट्राॅली से मिट्टी की ढुलाई चल रही थी। नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के नरचोचवा में जेसीबी से मिट्टी खनन किया जा रहा था। 30 से अधिक ट्रैक्टर-ट्राॅली से ढुलाई हो रही थी।
वन विभाग की भूमि पर भी हुआ खनन
हाटा क्षेत्र में वन विभाग की भूमि को भी नहीं छोड़ा जा रहा है। इसमें विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता से इन्कार नहीं किया जा सकता है। जिम्मेदारों की इस अनदेखी के कारण राजस्व को भारी हानि पहुंच रही है। भले ही शासन-प्रशासन की ओर से अवैध खनन पर लगाम लगने का दावा कर रहे हों, लेकिन धरातल पर खनन का धंधा खूब फल-फूल रहा है। इससे खनिज संपदा के साथ-साथ राजस्व को चूना लगाया जा रहा है तो वहीं पर्यावरण को भी प्रदूषित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जा रही है।
मुख्यमंत्री का आदेेश भी अफसरों ने अनसुना कर दिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद भी अफसर सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिससे अवैध खनन का धंधा खूब फल-फूल रहा है। पुलिस व खनन अधिकारियों से साठगांठ कर माफिया मिट्टी का खनन दिन-रात कर रहे हैं। यही नहीं, नदी व नालों से निकाले गए सफेद सोने को सरकारी जमीन पर डंप किया जा रहा है। जिस पर अफसर कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साधे हुए हैं। 24 मार्च को मुख्यमंत्री ने जिले के अफसरों को अवैध बालू खनन रोकने के निर्देश दिए थे। जिसे अफसरों ने अनसुना कर दिया।
रॉयल्टी की होती है चोरी, बंटता है हिस्सा
नियमों के मुताबिक, परमिट देते समय ही यह तय किया जाता है कि किस जगह पर कितनी गहराई तक खनन कराया जा सकता है। अगर किसी जगह पर चार फीट खनन का परमिट है, तो वहां 20 फीट खनन कर दिया जाता है। यानी 16 फीट मिट्टी ज्यादा निकाली जाती है और सरकारी खजाने में इसकी रायल्टी जमा नहीं होती है। जब भी शिकायत पर जांच होती है, उसे साठगांठ से दबा दी जाती है। बचने के लिए तर्क दिया जाता है कि उस जगह पर पहले से 16 फीट गड्ढा था, इस वजह से 20 फीट गहरा हो गया। यानी झूठे तर्क से नियम-कानून को खारिज कर अवैध खनन का खेल जारी रखा जाता है।
सिस्टम से जुड़ा है पूरा गिरोह
खनन विभाग के एक कर्मचारी ने नाम नहीं लेने के शर्त पर बताया कि इस तरह के अवैध खनन के खेल में सबसे अहम भूमिका खनन विभाग की होती है। विभाग की अनुमति के बिना यह संभव है नहीं। इसके लिए बाकायदा सरकारी सिस्टम से जुड़ा एक गिरोह काम करता है। विभाग का एक बाबू तय करता है कि कैसे और किसे परमिशन देनी है। इसके अलावा एक आदमी को परमिशन मिलते ही उसकी आड़ में तीन अन्य लोग जेसीबी से खनन कैसे करेंगे, यह भी वही तय करता है। फिर, संबंधित विभागों को साधा जाता है।
कहीं भी अवैध खनन नहीं हो रहा है। सभी जगहों पर खनन करने वाले लोगों ने परमिट ले रखा है। बिना राॅयल्टी जमा कराए ईंट भट्ठा वाले मिट़टी की खुदाई करते है, ऐसी शिकायतें आई हैं, उनकी जांच कराई जा रही है। कामर्शियल कामों के लिए अनुमति की जरूरत होती। ईंट भट्ठे के लिए परमिशन अनिवार्य रहती है। इसमें भी मानक से अधिक गहराई की खुदाई होती है तो किसान को तत्काल शिकायत करनी चाहिए है। कुम्हार को गिला मिट्टी तालाब से लेकर आते है उनके लिए कोई परमिशन की आवश्यकता नहीं होती है।