बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्ती की जांच प्रक्रिया को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा प्रभावित किया जा रहा है। सभी शिकायतकर्ताओं में जांच समिति की निष्पक्षता को लेकर संदेह है। जांच समिति के समक्ष उपस्थित हुए शिकायतकर्ताओं ने बताया कि पूरी कार्रवाई के दौरान विश्वविद्यालय के कई लोग वहां उपस्थित रहे। जांच प्रक्रिया के दौरान विश्वविद्यालय से संबंधित व्यक्तियों की उपस्थित अत्यंत आपत्तिजनक एवं नियम विरुद्ध है। इसको लेकर अभाविप शुक्रवार को कुलपति से मिला और जांच प्रक्रिया प्रभावित करने पर आंदोलन की चेतावनी दी।
जांच समिति ने न तो सभी शिकायतकर्ताओं से मुलाकात की और न ही उनका पक्ष जाना, बल्कि मात्र एक दिन में ही कुछ शिकायतकर्ताओं से बात कर वापस लौट गई। जांच प्रक्रिया के दौरान विश्वविद्यालय के लोगों की उपस्थिति, जांच प्रक्रिया के बारे में विश्वविद्यालय के कुल सचिव का प्रथम एवं अंतिम अवसर संबंधी बयान आदि तथ्यों से प्रमाणित होता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन जांच समिति के निरंतर संपर्क में है एवं जांच को अपने तरीके से प्रभावित कर रहा है। ऐसे में निष्पक्ष जांच की संभावना नहीं है।
इस संबंध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने आज कुलपति से मिलकर उन्हें अपनी आपत्तियों से अवगत कराया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुलपति द्वारा राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में भी अनेक अनियमितताएं की गई हैं। आर्थिक, प्रशासनिक भ्रष्टाचार और कदाचार उनकी कार्यशैली का हिस्सा रहा है। इस संबंध में कई जांच राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में चल रही हैं। अभाविप के पास कुलपति के भ्रष्टाचार के कई सबूत उपलब्ध हैं। परिषद शीघ्र ही इन सभी इस विषय पर प्रमाण सहित विस्तार से अपनी बात रखेगी।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा शिक्षक भर्ती जांच को प्रभावित करना बंद नहीं किया गया तो परिषद पुन: आंदोलन के लिए बाध्य होगी, जिसका संपूर्ण उत्तरदायित्व विश्वविद्यालय प्रशासन का होगा।
प्रतिनिधि मंडल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य महेंद्र सिंह गौर, बीयू इकाई अध्यक्ष हर्ष शर्मा, इकाई मंत्री निषेंद्र, विभाग संयोजक हर्ष कुशवाहा, जिला संयोजक हर्ष जैन, महानगर मंत्री सुयश शुक्ला, पूर्व अध्यक्ष विकास शर्मा, निखिल खरेला, संकल्प कुशवाहा, अर्पित अग्रवाल, ऋषि जैन, अंकित सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
क्या रजिस्ट्रार जांच समिति के प्रवक्ता है
बीते माह शिक्षक भर्तियों में अनियमितता के शिकायतकर्ता सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी कर्नाटक के फास्ट कोर्ट मेंबर रहे डॉ. सुनील तिवारी ने कहा कि बीते रोज जिस प्रकार से रजिस्ट्रार द्वारा अपना बयान जारी करते हुये बैठक में शिकायतकर्ताओं को पहला और अंतिम समय बताया गया, उससे प्रतीत होता है कि रजिस्ट्रार जांच समिति के प्रवक्ता बन गये हैं। जबकि वे यह भूल गये हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप है और उस आरोप के दायरे में वह स्वयं आते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस प्रकार से बयान नहीं देना चाहिये। जबकि जांच समिति स्वयं सवालों के घेरे में है। जांच समिति बनाने से पहले राजभवन से कोई अनुमति न लिया जाना और न ही संज्ञान में डाला जाना बड़ी लापरवाही है।