अवधनामा संवाददाता
कोरोना पीडि़त गंभीर मरीजों को दी जाती है प्लाज्मा थेरेपी
ललितपुर। (Lalitpur) कोरोना वायरस अपना रौद्र रूप दिखा रहा है। संक्रमण की दूसरी लहर पूरे देश के साथ ही जिले के लिए भी घातक साबित हो रही है। बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं। इस बीच कई बुनियादी चीजों की मांग बढ़ी है। दवाओं के साथ ही वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की लोगों को जरूरत पड़ रही है। साथ ही एक और चीज है जिसकी मांग बेहद बढ़ी है और वो है प्लाज्मा। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के लिए प्लाज्मा की जरूरत बहुत ज्यादा है।
प्लाजमा से संक्रमित लोगों की जान बचाई जा सकती है, प्लाज्मा बनाया नहीं जा सकता, यह सिर्फ डोनेट ही किया जा सकता है। बहुत लोग जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं वह प्लाज्मा देने में सक्षम हैं, लेकिन आगे नहीं आते हैं। इसलिए पड़ रही है प्लाज्मा की जरूरत अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.हुसैन खान ने बताते हैं कि कोरोना के मरीज जिनको हल्के लक्षण हैं।
उनका इलाज होम आइसोलेशन में रह कर किया जाता है और गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती करते हैं, खासकर उन्हें जो डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज हैं। गंभीर कोरोना पीडि़त को बचाने का एक उपाय प्लाज्मा है। प्लाजमा सिर्फ उन्हीं से दान में मिल सकता है, जो पहले कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। क्या है प्लाज्मा हमारे शरीर में खून कई चीजों से बनता है। खून में 55 प्रतिशत प्लाज्मा होता है बाकि 45 प्रतिशत रेड ब्लड सेल्स, वाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स होते हैं। खून में मौजूद प्लाज्मा शरीर का ब्लड प्रेशर सामान्य करता है, खून के थक्के और इम्युनिटी भी प्रदान करता है, सोडियम और पोटैशियम को मस्पेशियों तक पहुंचाता है। शरीर का पीएच लेवल बनाये रखता है जो सेल्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कैसे दान किया जाता है प्लाज्मा कोरोना से ठीक हुए लोगों के शरीर में एंटी बॉडी बन जाती है। एंटी बॉडी एक प्रकार का प्रोटीन होता है रोग पैदा करने वाले रोगजनकों को पहचानकर उनसे लड़ते हैं। इस प्रक्रिया में पूर्व में संक्रमित हो चुके शख्स का एंटीबाडी चेकअप होता है।
खून से प्रयोगशाला में डॉक्टर की देख रेख में प्लाज्मा को अलग किया जाता है जिसमें वायरस से लडऩे वाली एंटीबाडी शामिल होती हैं इसको संक्रमित व्यक्ति को दिया जाता है। यह संक्रमित व्यक्ति के शरीर में पहुँच कर रोग से लडऩे में मदद करता है। रोगी में संक्रमण से लडऩे की क्षमता विकसित करने में मदद करता है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कहते हैं कि 18 से 60 वर्ष के आयु वर्ग के लोग जो कोरोना संक्रमण से पिछले तीन महीने में उबर चुके हैं और उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। वह बिना किसी डर के प्लाज्मा दान कर सकते हैं। इससे उनके शरीर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। डोनर को किसी अनुवांशिक या गंभीर रोग से ग्रस्त नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिले में प्लाज्मा दान करने की सुविधा नहीं है इसके लिए झाँसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है। जैसे लोग ब्लड डोनेटकरने में आगे आते हैं वैसे ही अब लोगो को प्लाज्मा डोनेट करने को आगे आना होगा। यह समय बहुत गंभीर है जितना हो सके लोग जरूरतमंद को प्लाज्मा डोनेट करें और जान बचाएं। रात भर जाग कर देने गये प्लाज्मा 26 वर्षीय अम्बर जैन दिसम्बर 2020 में कोविड पॉजिटिव हुए थे, अप्रैल माह में अन्नपूर्णा समिति द्वारा जब उन्हें खबर मिली कि कोरोना संक्रमित को प्लाज्मा की जरूरत है वह रात में ही झाँसी को रवाना हुए और रात 2 बजे एंटीबाडी रिपोर्ट आने के बाद प्लाज्मा दान किया। वह बताते हैं इस वक्त संक्रमितो को प्लाज्मा की सख्त जरूरत है इसके लिए जो संक्रमित हो चुके हैं वह आगे आकर स्वेछा से प्लाज्मा दान कर किसी की जान बचाएं।