बदहाली बदइंतजामी बनी आदर्श नगर पंचायत की पहचान

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Identity of Adarsh Nagar Panchayat became bad-management

अवधनामा संवाददाता

कागजों पर सिमट कर रह गया स्वच्छता अभियान
टिकैतनगर बाराबंकी(Tikaitnagar Barabanki)। आदर्श नगर पंचायत टिकैतनगर में वार्ड नम्बर 1 से 10 नम्बर तक टूटे, फूटे पड़े डस्टबिन व गंदगी नगर पंचायत की पहचान बन गई हैं और स्वच्छ सर्वेक्षण की पोल खोल कर दी है।
आदर्श नगर पंचायत टिकैतनगर में जहां विकास और स्वच्छता अभियान के बड़े बड़े दावे किए जाते हैं वहीं हक़ीक़त में जगह जगह गंदगी जलभराव से लोगों का जीना दूभर हो गया है और इसके साथ साथ स्वच्छ सर्वेक्षण (स्वच्छता अभियान) की पोल खुल गईं हैं और तो और तमाम कराए गए कार्य जमीनी हकीकत से परे और कागजों पर ही सिमट कर रह गए हैं। क्योंकि सभी वार्डों में लगभग पुरानी ही डस्टबिन लगी हैं और कहीं कहीं तो लगभग 3 साल पुराने लोहे के डस्टबिन लगे हैं। जो दूर से तो डस्टबिन प्रतीत होती है लेकिन पास जाने पर ढोल की जगह पोल है। जिसमें कूड़ा डालने पर वह जमीन पर गिर जाता है। जिसके कारण आवारा छुट्टा जानवर व आवारा कुत्ते, बन्दर गिरे हुए कूड़े को दूर तक बिखेर देतें हैं कभी कभी तो आवारा कुत्तों व बन्दर कूड़े को लेकर मोहल्लेवासियों के घर के द्वार पर बिखेर देते हैं जिससे लोगों को इन परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। ऐसी समस्याओं का सामना कई वर्ष से नगरवासी कर रहे हैं।लगभग 8 वर्ष पूर्व टिकैतनगर मेन चौराहे से बाईपास जाने वाला मार्ग पर इंटरलॉकिंग का कार्य करवाया गया था। इंटरलॉकिंग जगह जगह जर्जर हो गई है जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही हैं ऐसी ही हालत सहारा इंडिया के बगल बनाई गई इंटरलॉकिंग का जहां कई लोग गिरकर चोटिल हो चुके हैं। उसके बाद भी यह दोनों इंटरलॉकिंग अभी तक नहीं बनाई गई हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि नगर पंचायत कोई अप्रिय घटना का इंतजार कर रहा हो।
डस्टबिन पर विशेष तौर पर वार्ड नं 1 से वार्ड नं 10 तक की जमीनी हकीकत कुछ यूँ है।
वार्ड नं 1 में लगभग 90 परसेंट ग़रीब, असहाय लोग ही निवास कर रहे हैं। जहां ग़रीबो के घरों के आसपास कोई भी डस्टबिन देखने को नहीं मिली और लोगों से जानकारी की गई तो पता चला कि नेमि पब्लिक स्कूल के पास दो बड़े बड़े घरो के पास डस्टबिन लगाई गई हैं। इधर ग़रीब बस्ती में डस्टबिन नहीं लगाई गई है जिसके कारण से इस खाली पड़े प्लाट में सभी लोग कूड़ा करकट फेंकते हैं औऱ यहां पर दुर्गंध आती रहती हैं जिससे लोग परेशान हैं।
वार्ड नं 2 में जबकि तमाम गणमान्य लोगों के मकान हैं और घनी आबादी हैं। इसके बाद भी डस्टबिन स्टैण्ड तो लगा है परन्तु डस्टबिन ग़ायब हैं जिसके कारण तमाम लोग कूड़े को सड़क पर ही फेंक देते हैं जिससे आवारा पशुओं द्वारा कूड़े को सड़कों पर बिखेर देते हैं और लोगों को आवागमन में परेशानी तो होती ही है। इसके साथ साथ यहां दुर्गध से लोगों का जीना दूभर हो गया है।
वार्ड नं 3 में भी मुस्लिम और हिंदू के घर लगभग अगल बगल हैं इस वार्ड में भी नाममात्र ही डस्टबिन हैं औऱ जहां लोगों को डस्टबिन की जरूरत है। वहां पर डस्टबिन हैं ही नहीं जिसके कारण लोग तिराहे के किनारे या मोड़ पर कूड़ा करकट डालते हैं और एक डस्टबिन लगी मिली। जहां स्टैण्ड तो हैं परन्तु डस्टबिन ग़ायब हैं। जिससे लोगो को समस्या हो रहीं हैं।
वार्ड नं 4 में भी लगभग 90 परसेंट हिन्दू आबादी हैं और यहाँ भी नाममात्र डस्टबिन लगी हुई हैं। कही कही तो डस्टबिन स्टैण्ड का इंगल बचा हैं बाकी सब मौके से ग़ायब हैं औऱ वही एक डस्टबिन देखने को मिली भी तो वह नींचे से टूटी हुई है। जिससे कूड़ा करकट डालने के बाद नींचे गिर जाता हैं जिसके कारण लोगों को परेशानी होती हैं।
वार्ड नं 5 में भी तमाम मकान बने हुए हैं। इसके बाद भी नाममात्र डस्टबिन लगाए गए हैं। जो बहुत दूर दूर लगे हुए हैं और वही सामुदायिक शौचालय के पास लगी डस्टबिन का स्टैण्ड तो हैं पर डस्टबिन ग़ायब। जिसके कारण लोगों को सड़क किनारे कूड़ा करकट डालना पड़ता है।
वार्ड नं 6 में भी घनी आबादी हैं। इसके बाद भी इस वार्ड में भी नाममात्र डस्टबिन लगी हुई हैं। जो लगभग बिना स्टैण्ड के ही रखी है। जिसे आवारा पशुओं द्वारा पलट दिया जाता हैं जिससे गंदगी सड़को पर हो जाती हैं। जिसके कारण लोगों को परेशानिया होती हैं वही चौराहे पर बिना स्टैण्ड के लगाई गई डस्टबिन जो टूटी फूटी हालत में सड़क किनारे पड़ी मिली।
वार्ड नं 7 में लगभग अधिकांश भाग में गरीब परिवार ही रहते हैं जहां पूरे वार्ड में कही भी डस्टबिन देखने को नहीं मिली जानकारी करने पर पता चला कि पूरे वार्ड में डस्टबिन न होने के कारण वार्ड के लोग इस खाली पड़े प्लॉट में कूड़ा करकट फेंकते हैं जिसके कारण यहां दुर्गध आती रहती हैं और लोगों का जीना दूभर हो गया है।
वार्ड नं 8 में भी घनी आबादी हैं। इसके बाद भी नाममात्र ही डस्टबिन पूरे वार्ड में है और जहाँ पर डस्टबिन की सही मायने में आवश्यकता है उस जगह पर डस्टबिन हैं ही नहीं, कही हैं भी तो दो डस्टबिन स्टैण्ड में एक ही डस्टबिन लगी है। वहीं चौराहे के पास लगीं लोहे की डस्टबिन पूरी तरह टूट चुकी हैं जिसमें कूड़ा करकट डालने के बाद नीचे गिर जाता है और आवारा पशुओं द्वारा कूड़े को सड़कों पर बिखेर कर गंदगी कर दी जाती हैं जिससे लोगो परेशान हैं।
वार्ड नं 9 में भी लगभग घनी आबादी हैं। हजारों लोग इस वार्ड में निवास करते हैं इसके बाद भी इस वार्ड में नाममात्र ही डस्टबिन लगाए गए हैं जो लगभग बिना स्टैण्ड के ही इधर उधर पड़े हैं। वही मन्दिर के पास एक डस्टबिन जर्जर हालत में नाली में पड़ा दिखाई दिया। जिसके कारण तमाम लोग कूड़ा करकट सड़क किनारे ही फेक देते हैं।
वार्ड नं 10 में भी लगभग घनी आबादी हैं इस वार्ड में भी तमाम लोग निवास करते हैं और इसके बाद भी इस वार्ड में नाममात्र डस्टबिन कई वर्षो पुरानी प्रतीत हो रहीं हैं और जर्जर हालत में हैं। जिसमें कूड़ा करकट डालने के बाद तुरंत नीचे गिर जाता हैं। जिससे तेज़ हवाओं के चलने पर गिरा हुआ कूड़ा करकट वार्डवासियों के घर में चला जाता है। जिससे लोगों को परेशानिया हो रहीं हैं।
वहीं इस संदर्भ में अधिशासी अधिकारी कीर्ति सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिस वार्ड से हमे जानकारी प्राप्त होती हैं। वहाँ पर तत्काल डस्टबिन बदलवा दी जाती है और समय समय पर हमारे द्वारा सभी वार्डों का निरीक्षण भी किया जाता है।
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