पंजाबा के मंसा, संगरूर, बठिंडा समेत कई इलाकों से 8 बसों में 350 से अधिक सिख मंगलवार देर रात दिल्ली पहुंचे। उनमें बसंती चुन्नी ओढ़े 17 महिलाएं भी थीं।
नवभारत टाइम्स पर छपी यह खबर के अनुसार, सिखों का ये काफिला शाहीन बाग जा रहा था। दिल्ली पुलिस ने उन्हें सरिता विहार में ही रोक लिया और जंगपुरा के बाला साहिब गुरुद्वारा ले गई। आरोप है कि सिखों को भूखा-प्यासा रखा गया।
It's apparent why the Sikh farmers from Punjab are being stopped from going to #ShaheenBagh: it interferes with the "Muslim-only dissent" narrative which is being woven around anti-CAA protests in Delhi. Solidarity in protest, for a government in power, rings warning bells. https://t.co/wo46Bt6Xwg
— Maanvi (@Maanvi2501) February 5, 2020
क्योंकि उनको रात 2 बजे के करीब गुरुद्वारा के निर्माणाधीन हॉल में एक तरह से बंद रखा गया। गुरुद्वारा में अचानक पहुंचे लोगों के लिए लंगर की भी व्यवस्था नहीं थी, न ठहरने का इंतजाम।
Muslim-Sikh bonhomie on display at Shaheen Bagh. Such bonhomie was not experienced in the last many decades, writes Okhla-based columnist. pic.twitter.com/MmmtsSGpbI
— theokhlatimes (@theokhlatimes) February 6, 2020
ठिठुरती रात में उन्हें जितनी रजाई और गद्दे मिले, उसमें ही रात गुजारी। शाहीन बाग के आंदोलनकारियों का समर्थन करने आए सिख कहते हैं, ‘कई लोग उसी बस में सोये, जिसमें सवार होकर आए थे।
शाहीन बाग के लोग उनके लिए रात को खाना लेकर आए थे। भोजन इतना नहीं था कि सबका गुजारा हो सके, लेकिन उन्हें इस बात की जरा भी तकलीफ नहीं, क्योंकि तकलीफ में तो शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी हैं। उसमें शामिल होने आए हैं।’
https://twitter.com/JavedKh47737068/status/1224704519562461195?s=20
बस में नहीं जाने दिया तो पैदल जाएंगे। ‘तानाशाही नहीं चलेगी, सीएए रद्द करो, हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, आपस में हैं भाई भाई…’ नारेबाजी करते हुए सिख धरना पर बैठ गए। थोड़ी देर बाद पुलिस के आला आफसर वहां पहुंचे और किसी तरह शाहीन बाग ले जाने के लिए राजी हो गए।
पंजाब से सैकड़ों सिख शाहिन बाग आंदोलन को समर्थन देने के लिए दिल्ली पहुंचे! 1VIDEO: पंजाब से सैकड़ों सिख शाहिन बाग आंदोलन को समर्थन देने के लिए दिल्ली पहुंचे! 2
बसों में सवार होकर शाहीन बाग के लिए चले तो जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पहले पुलिस ने फिर रोक दिया। आगे जाने की इजाजत नहीं दी तो बस से उतरकर सिख सड़क पर बैठ गए।
रात को भूखे रहे। कोई यहां सोया तो कोई वहां। पर हम भाईचारा और एकता के लिए आए हैं, जो जारी रहेगा।
साभार- नवभारत टाइम्स