Wednesday, May 14, 2025
spot_img
HomeUttar PradeshAmbedkar Nagarअप्राशिक्षित के भरोसे चल रहे मेडिकल स्टोर कैसे मिले सही दवाये

अप्राशिक्षित के भरोसे चल रहे मेडिकल स्टोर कैसे मिले सही दवाये

अंबेडकरनगर जनपद मुख्यालय के मालीपुर जाफरगंज खजूरी मरैला क्षेत्र में चल रहे मेडिकल स्टोर्स में से अधिकतर दुकानें लंबे समय से अप्रशिक्षित के भरोसे चल रही हैं। इन दुकानों पर टंगे लाइसेंस किसी ओर के नाम से हैं, जबकि यहां दवाओं की बिक्री किसी ओर के भरोसे की जा रही है। खास बात तो यह है कि मेडिकल स्टोर्स संचालक के यहां उपस्थित व्यक्ति द्वारा बिना परिचय के डॉक्टर द्वारा लिखे पर्चे के बगैर दवाई दी जाती हैं और मरीज के इलाज भी किए जाते हैं।

इसके बाद इन्हीं लाइसेंस के आधार पर इन दवा की दुकानों का संचालन अन्य व्यक्ति कर रहे हैं।ऐसे में यह अप्रशिक्षित आमजन के स्वास्थ्य को खतरे में भी डाल सकते हैं। नियमों की अनदेखी के बावजूद क्षेत्र के किसी भी मेडिकल स्टोर पर विभाग की ओर से समय-समय पर सख्ती से कार्रवाई तक नहीं की जा रही। किसी भी दवा दुकान पर दवाओं की बिक्री करने के लिए खुद फार्मासिस्ट का होना बेहद जरूरी है, लेकिन सत्तर प्रतिशत दुकानों पर अप्रशिक्षित ही दवाएं बेच रहे हैं। इन दुकानों पर दवाएं बेचने का खेल भी खूब चलता है। अस्पताल प्रशासन व विभागीय अधिकारियों से साठगांठ होने के कारण मेडिकल संचालक बेखौफ होकर अपनी दुकानें चला रहे हैं।

सीएचसी में सेटिग कर यह मेडिकल संचालक गांव देहात से आने वाले मरीज के तीमरदारों को जमकर दवाओं के नाम पर लूटते हैं,अधिकांश मेडिकल स्टोर संचालक ग्राहकों को पक्का बिल नहीं देते हैं। किसी के पास कम्प्यूटर नहीं है तो किसी के पास बिल बुक नहीं रहता है। ग्राहक मांगने पर पहले तो टहलाया जाता है। जब नही मानता है तो दवा के कागज के लिफाफे पर ही कीमत लिख दी जाती है। बिल न मिलने के कारण ग्राहकों को दवा वापसी करने में दिक्कत आती है।मेडिकल संचालक चिकित्सक के परामर्श पर मिलने वाली दवाएं भी लोगों को बेरोक टोक बेचते हैं।

इसके बदले ग्राहकों से मुंहमांगी कीमत वसूल की जाती है। मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने पर कोई बिल या पर्ची नहीं दी जाती यदि कोई मांगता भी है तो उसे दवा छीनकर भगा दिया जाता है।कुछ दिन तक फार्मासिस्ट के पास काम सीखने के बाद वे भी किराए के लाइसेंस पर दुकान का पंजीयन करवा लेते हैं ओर किसी ओर की डिग्री के आधार पर ही दुकान का संचालन करते हैं। इन सबके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

कभी कभार विभागीय अधिकारी जांच के लिए आते है तो इन मेडिकल संचालकों के द्वारा उनकी जेब गर्म की जाती है, जिसके बाद नाश्ता कर बिना कार्रवाई के लौट जाते है। लोगों का कहना है कि शिकायत करने पर कार्रवाई के लिए तो आते है लेकिन यहां आकर मिलीभगत कर जेब गर्म कर बिना कार्रवाई के ही लौट रहे हैं। जिसमें मेडिकल संचालक व अधिकारी दोनों ही आमजन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।चिकित्सा क्षेत्र के जानकारों की माने तो दवाओं की दुकानों में फार्मासिस्ट का होना काफी जरुरी होता है। केमिकल और बॉन्ड की जानकारी सिर्फ फार्मासिस्ट को होती है। दवाओं को देने के साथ फार्मासिस्ट मरीजों को दवा खाने का सही तरीका और दवाओं के बीच में समय के अंतर की जानकारी भी देता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular