नई दिल्ली। मेरा पक्का यकीन है कि ‘एमपीटीएच’ (मेरे पास हो तुम) हमारे अपने देश की तरह ही भारत में भी अपनी अपार सफलता को दोहरायेगा। इस ड्रामा को लेकर प्रशंसकों के मेल ढेरों मेल मिले और इसने काफी रोमांच पैदा किया। यहाँ तक कि इसने चीन में भी धूम मचा दी। यह सब इसके जबरदस्त आकर्षण के स्पष्ट संकेत हैं। साथ ही, ज़िंदगी पर पहले बार पाकिस्तानी ड्रामा की पेशकश के समय हमारे शो को मिली उल्लेखनीय प्रतिक्रिया उनके प्रशंसनीय स्वीकृति की गवाही देती हैं। यूट्यूब पर लगातार प्राप्त लाखों व्यूज भी इस बात का निर्विवाद प्रमाण है कि हमारे ड्रामे को सीमा के दोनों ओर बेहद प्यार मिला है।
‘मेरे पास तुम हो’ पर काम करने के अपने अनुभवों और आपके करियर पर इसके प्रभाव के बारे में बतायें।
एमपीटीएच मेरी एक और उपलब्धि है। एक खलनायक और दिलकश आदमी, दोनों की भूमिका निभाना तलवार की धार पर चलने जैसा था। सौभाग्य से शेहवार पुरुषों के दिलों में भी जगह बनाने में कामयाब हुआ। प्रशंसकों से मिले मेल का एक बड़ा हिस्सा इन्ही लोगों का था।
शो को मिश्रित प्रतिक्रियायें मिलीं और कुछ लोगों ने तो रिलेशनशिप में एक औरत द्वारा मर्द को धोखा देने की कहानी की आलोचना भी की। इसके बारे में आपका क्या कहना है? क्या आपको लगता है कि दर्शक अभी इस प्रकार के कंटेंट के लिए तैयार नहीं हुए हैं?
हमारे ड्रामों में समाज की सच्ची स्थिति की झलक दिखाई गई है। बेवफाई एक मुद्दा है, बेहद प्रचलित मुद्दा। ड्रामों में समाज में जो हो रहा है, उसी का चित्रण है। कहने का मतलब है कि मैं बेवफाई को सही नहीं ठहराता, भले ही वह रिश्तों में हो, शादी में या रोजमर्रा की ज़िंदगी में आपसी व्यवहार में हो। यह दर्शाता है कि आपकी नैतिकता कितनी कमजोर और ढुलमुल है, कि आप एक कमजोर इंसान हैं। मैं किसी ख़ास जेंडर से जुड़ने को भी बुरा नहीं मानता। चाहे कोई मर्द ही हो, जिसने रिश्ते को तोड़ा हो, या फिर कोई औरत हो, उन्होंने गलत किया है। पीरियड की बात लें। बेशक, जब इस तरह के ड्रामे बनाए जाते हैं, तो दर्शक थोड़ा उद्विग्न हो जाते हैं, क्योंकि ये सभी बेचैन करने वाली सच्चाइयाँ हैं और कोई उनका सामना नहीं करना चाहता।
मान लें, अगर यह शो भारत में बनाया गया होता, तो आपके विचार से भारतीय ऐक्टर्स में से कौन इस लीड कास्ट के लिए सही होते?
हुमायूँ के रोल के लिए राम कपूर, अदनान के रोल के लिए रोनित रॉय, आयेज़ा के रोल के लिए तान्या माणिकतला।
आपके मुताबिक वह कौन-सी चीज है जो भारतीय दर्शकों को पाकिस्तानी कंटेंट से जोडती है?
हमारे ड्रामों की लोकप्रियता के अनेक कारण हैं। कहानी हकीकत से जुड़ी होती है, हम रोजमर्रा की समस्याओं के बारे में बात करते हैं जो लोगों को हर रोज प्रभावित करती है, बिलकुल ज़िंदगी जैसी होती है, उसी तरह। हमने वास्तविक स्थानों में शूटिंग की जो सेट पर शूट किये अधिकतर इंडियन ड्रामा के शोज देखने की तुलना में और ज्यादा वास्तविक फीलिंग प्रदान करते हैं। और हाँ, इसमें जो फैशन है, उसे भारत में महिलायें पसंद करती हैं।
मेरे पास तुम हों में ऐसा कोई ख़ास पल या सीन है जो आपको लगता है कि भारतीय दर्शकों पर लंबे समय तक अपना प्रभाव छोड़ सकता है?
हर सीन और हर डायलाग दर्शकों के मन में और ज्यादा की चाहत पैदा करेगा। स्क्रिप्ट काफी कसी हुई है और प्लॉट भी आपको बाँधे रखेगा।
आप भारतीय दर्शकों के लिए इस शो के माध्यम से किस सन्देश या भावना की आशा करते हैं?
मैं एक एंटरटेनर हूँ। मेरा काम लोगों का मनोरंजन करना है, शिक्षा देना नहीं। फिर भी अगर आप मुझसे कोई सन्देश चाहते हैं, तो मैं ऑडियंस से बस अपने भीतर झाँकने के लिए कहूंगा, कि वे ऐसी परिस्थितियों में कैसे रिएक्ट करते।
क्या आपको ऐसा लगता है कि ओटीटी ने कहीं न कहीं भारत और पाकिस्तान के बीच आदान-प्रदान किये और देखे गए कंटेंट्स के साथ इन दोनों देश के बीच की लकीरों को धुंधला कर दिया है?
भारत में ओटीटी कंटेंट, इंडियन टेलीविज़न पर जो दिखाया जा रहा है, उससे काफी बेहतर है। पिछले दिनों मैंने जो सीरीज देखी हैं, उनमें से कुछ तो जबरदस्त हैं। हम इंडियन ओटीटी कंटेंट को जिस प्रकार ले रहे हैं, उससे यह बिलकुल स्पष्ट है कि लकीरें धीरे-धीरे मिट रही है।
क्या आप भविष्य के प्रोजेक्ट्स या सहयोग के बारे में कोई सोच बता सकते हैं, जो पाकिस्तानी और भारतीय मनोरंजन उद्योगों के बीच अंतर को भरने के लिए आपके मन में चल रही हो।
मैं कोलैबोरेशन की उम्मीद करता हूँ। मेरा मतलब है कि भारत में एमपीटीएच का रिलीज़ होना भी पाकिस्तानी ड्रामा और भारतीय दर्शकों के बीच एक प्रकार का सहयोग ही है, जिसका श्रेय ज़िंदगी को जाता है। उम्मीद है कि कलाकारों के लिए सीमाओं को खोलने की दिशा में यह पहला कदम साबित होगा।