हिचकोले खाता गठबन्धन

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एस.एन.वर्मा

विपक्षी गठबन्धन के घटक दलो ने इस बैठक भी सिटो की नही सिटो के बंटवारे की तारीख तय की है। भाजपा आम चुनाव को लेकर जोश खरोश और आत्म विश्वास के साथ अपने कार्यकर्ता सहित खुद 2024 का माहौल अपने पक्ष में बनाने के लिये मैदान में आ चुकी है। दिसम्बर बीतने को है मार्च में चुनाव की घोषणा होगी फिर चुनाव कार्यक्रम विपक्षी गठबन्धन अभी भी सीटो के बंटवारे के लिये अगली बैठक के लिये कार्यक्रम रक्खा है। प्रधानमंत्री के लिये बैठक में ममता बनर्जी और केजरीवाल ने दलित चेहरा के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के नाम को प्रस्तावित किया। विपक्ष की धारण है कि बिना कांग्रेस को साथ लिये भाजपा को हराया नही जा सकता। खड़गे ने कहा पहले चुनाव जीतने दीजिये फिर तय होगा। निश्चय ही सोनियां और राहुल के लिहाज से वह नम्र बने रहे। राहुल का तो किसी ने नाम भी नहीं लिया। राहुल ने इससे अपना आकलन समझ लिया होगा।
अभी सीटो को बटवारा नहीं हुआ पर हालाकि सीटो का बटवारा सबसे ऊपर रक्खा गया है। पर रैलियों के लिये घोषण की गई है। जनवरी से गठबन्धन की रैलियां शुरू होगी। संयुक्त रैलियो में पटना, कोलकता, नागपुर और चेन्नई को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है। गठबन्धन का सीटो के बंटवारे के समय देखने को मिलेगा। कांग्रेस की महत्वाकांक्षा कम नहीं हुई। कई राज्यों में हार के बाद, चेन्नई में जीत के बाद वह अपने वोट में किसी को हिस्सा देने को तैयार नही दिख रही है। खासकर हिन्दी क्षेत्र किसी दल की खास दावेदारी न होने का फायदा कांग्रेस उठाना चाहती है और पूरे दम खम के साथ इस क्षेत्र के सीटो पर उतरने के लिये तैयार है।
सीटो को लेकर गठबन्धन में अभी अपसी टकराव जारी है। जिसका प्रमाण है महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, बिहार को लेकर संशय है कि कोई बटवारे को लेकर सहमति बन पायेगी। क्योकि इन राज्यों में गठबन्धन दूसरे दल अपनी दावेदारी को लेकर पीछे नहीं है। हिमाचल, तेलंगाना और कर्नाटक को लेकर कांग्रेस जोश में है पर सिर्फ जोश से काम नही चलने वाला है। जोश के साथ होश हो तभी कामयाबी मिलती है। मोदी और भाजपा के खिलाफ गठबन्धन और कांग्रेस कोई अपनी छवि न तो बना पा रहे है न रख पा रहे है। कुछ दिनों तक कांग्रेस मोदी के बरबक्स राहुल के खड़ा करने की कोशिश करती रही है। पर राहुल अपने वक्ताओं और कारनामो से अपने को हस्यास्पद बनाते रहे है। कभी असंसदीय भाषा का प्रयोग प्रधानमंत्री के बार में कह जाते रहे है। जनता उनकी छवि को लेकर गम्भीर नही है। पैदल यात्रा से जो थोड़ी बहुत छवि बनी थी वह अब मिट गयी है। मोदी के व्यक्तिव के आगे उनके व्यक्तिव का कोई मुकाबला नही है न तो मोदी की सोच से राहुल की सोच का कोई मुकाबला हो सकता है। जनता अब राहुल के बहुत हलके से ले रही है। वह दाढ़ी बढ़ा मन्दिरों में मोदी के मुकाबले अपना व्यक्तित्व गढ़ना चाहते है पर कोई गम्भीरता से नही ले रहा है। ममता केजरीवाल ने राहुल को होड़ से बाहर कर दिया है।
मोदी की अपनी स्टाइल और सोच है जिसका लोहा दुनियां माना है। बड़े देशो के सभी राष्ट्रध्यक्ष मोदी के मुरीद है, अपने देश का सबसे बड़ा आनर उनके दे रहे है। अन्तरराष्ट्रीय मामलों में उनकी राय को गम्भीरता से लिया जाता है। दुनियां मानती है शाक्तिशाली व्यक्ति में तीन साल से सबसे ऊपर आ रहे है। खड़गे को लेकर गठबन्धन की सहमति बन सकती है पर अभी सम्भावना की बात हो रही है। जब सभी एकमत हो किसी का नाम नेतृत्व के लिये आगे करेगे तो एक से ज्यादे दावेदार अपने को पेश करवा सकते है। अभी सहमति कुछ मुद्दो पर भले दिख रही है पर जब आखिरी निर्णय की घड़ी आयेगी तो सहमति असहमति में बदलने में देर नही लगेगी।
सदस्यों के निलम्बन को लेकर अभी गठबन्धन ने खड़गे को आगे कर संयुक्त मोर्चा मोदी के खिलाफ निकाला है। पर सहमति सिर्फ असहमत दिखाने का प्रतीकात्मक कदम ही माना जायेगा। दरसल अभी गठबन्धन तय नहीं कर पाया है कि नेतृत्व किसे दिया जाय। निश्चत ही वह प्रधानमंत्री बनाने को इच्छुक होगा। पर अभी प्रधानमंत्री का निर्णय चुनाव के बाद लिया जायेगा। कह कर इस मुद्दे को टाल दिया गया है।
अगर विपक्ष मोदी की तुलना मंे किसी को खड़ा करती है तो पहले तो यही लोग देखेगे कि वह मोदी के समकक्ष तुलना में कितना प्रभावशाली है। खड़गे सिजन्ड नेता जरूर है पर सोनियां और राहुल के आगे दब दबे से रहते है। कोई भी निर्णय स्वतन्त्र रूप से लेते भी है तो स्वीकृति के लिये सोनियां राहुल के पास जरूर जाते है। गठबन्धन जब उनका नाम नेतृत्व के लिये तय करेगी तो खड़गे की इस कमजोरी को नजरन्दाज करना होगा जो सम्भव नही दिखता है। मोदी के सक्षम शरद पवार खड़े हो सकते है पर उनका स्वास्थ्य और उनकी पार्टी के सदस्यों की कम संख्या उनके लिये बाधा है। गठबन्धन उनका नाम भी नहीं ले रहा है। देखा जाता है जब ऐसी स्थति आती है तो विभिन्न दल ऐसे आदमी को चुनता है जिस पर उनका दबाव बन सके। अभी तक ऐसी स्थिति में जो पीएम बने है उनका यही रिकार्ड है।

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