शाहपुरा जिले के जहाजपुर उपखंड मुख्यालय पर आज एक अक्टूबर को समग्र हिंदू समाज द्वारा आहूत महापड़ाव के तहत पूरा कस्बा बंद है। बंद को स्थानीय नागरिकों का व्यापक समर्थन मिला, जिसमें चाय, पानी, सब्जी की दुकानें और मेडिकल स्टोर तक बंद है। इस ऐतिहासिक बंद के दौरान 400 से अधिक पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए तैनात किए गए, और पुलिस ने चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। महापड़ाव में हजारों की तादाद में लोगों के आने की संभावना है।
महापड़ाव का आयोजन झलझूलनी एकादशी पर किले के मंदिर से भगवान पीतांबर राय के बेवाण पर हुए पथराव की घटना के विरोध में किया गया। इस दौरान रास्ते में जामा मस्जिद से पत्थरबाजी की गई थी, जिसके बाद हिंदू संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ 12 सूत्रीय मांगों को लेकर महापड़ाव की घोषणा की। हिंदू संगठनों ने इस हमले को सुनियोजित षड्यंत्र बताया और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। महापड़ाव को सफल बनाने के लिए जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा सहित हिन्दू संगठन सप्ताह भर से प्रयास कर रहे थे। आज महापड़ाव में संतों की उपस्थिति भी रहने वाली है।
पुलिस प्रशासन ने आज कस्बे में प्रवेश के सभी मार्गों पर बैरिकेड्स लगाए और बड़े वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया। महापड़ाव के दौरान होने वाली धर्मसभा के लिए बस स्टैंड पर एक विशाल पंडाल बनाया गया। इसके साथ ही, प्रशासन ने पीतांबर राय मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों के लिए विशेष सेवाओं का इंतजाम किया।
जिला पुलिस और जिला प्रशासन के आला अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं, और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। यहा तैनात प्लाटून मार्च का नेतृत्व एसपी चंचल मिश्रा ने किया, जिसमें पुलिसकर्मियों ने सुरक्षा का जिम्मा संभाला। इसने सोमवार देर रात को कस्बे में फ्लेग मार्च भी किया।
महापड़ाव में हजारों की संख्या में लोगों की संभावना-
पीतांबर राय न्याय संघर्ष समिति के बैनर तले सकल हिन्दू समाज के इस आयोजन के बारे में विधायक गोपीचंद मीणा ने बताया कि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भोजन के पैकेट दिए जाएंगे, और सभी इंतजाम पूर्ण कर लिए गए हैं। महापड़ाव में शाहपुरा जिले भर से हजारों लोगों के शामिल होने की संभावना है। कार्यक्रम का नेतृत्व संतों के द्वारा किया जा रहा है।
प्रशासन की ओर से देरी से कार्रवाई पर आक्रोश
समग्र हिंदू समाज ने बेवाण पर पथराव की घटना के बाद जिला प्रशासन को 12 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा था, जिसमें अवैध अतिक्रमण हटाने, सीमांकन करने, और पत्थरबाजों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करने मांग की गई थी। जिला प्रशासन ने तीन दिनों के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन समय बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। समग्र हिंदू समाज ने प्रशासन की निष्क्रियता और मुस्लिम समाज के कथित दबाव के चलते उचित कार्रवाई न होने पर नाराजगी व्यक्त की है। इस वजह से हिंदू समाज ने मजबूरी में उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाया और महापड़ाव का आयोजन किया।