हिमाचल प्रदेश में मानसून की आफत अभी टली नहीं है। राज्य के कई हिस्सों में मुसलाधार वर्षा जारी है। कांगड़ा, सिरमौर और बिलासपुर जिलों में बीती रात जमकर बरसात हुई। मौसम विभाग ने अगले 24 घण्टे लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर अन्य सभी 10 जिलों में भारी वर्षा की आशंका जताई है। कांगड़ा औऱ चम्बा जिलों में बाढ़ आने का खतरा जताते हुए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने गुरूवार को बताया कि बारिश से अभी राहत मिलने के आसार नहीं हैं। कांगड़ा औऱ चम्बा जिलों में अगले 24 घण्टों के दौरान बाढ़ आने की आशंका है। आगामी 21 अगस्त तक राज्य के कुछ स्थानों पर भारी वर्षा का येलो अलर्ट जारी किया गया है। उन्होंने लोगों व बाहर से आने वाले सैलानियों को नदी-नालों से दूरी बनाने की हिदायत दी है।
उन्होंने बताया कि बीती रात कांगड़ा में सर्वाधिक 155 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड हुई है। इसके अलावा धर्मशाला में 150, पालमपुर में 143, नाहन में 119, नैना देवी में 78, जोत में 69, देहरा गोपीपुर में 67, पांवटा साहिब में 48 और सलापड में 37 मिमी वर्षा हुई है।
राजधानी शिमला में भी रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है। बारिश से राज्य के औसतन न्यूनतम तापमान में 2.1 डिग्री की गिरावट आई है।
भूस्खलन से दो नेशनल हाइवे व 126 सड़कें बंद, 105 बिजली ट्रांसफार्मर ठप
भारी बारिश से कई स्थानों पर भूस्खलन होने से सड़कें अवरुद्ध हैं और लोगों को आवागमन में दिक्कत आ रही है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक गुरूवार की सुबह दो नेशनल हाइवे और 126 सड़कें भूस्खलन से अवरुद्ध रहीं। शिमला में 76, मंडी में 18, कुल्लू में 13, सिरमौर में आठ, कांगड़ा में पांच, किन्नौर में तीन, लाहौल स्पीति में दो और चम्बा में एक सड़क बाधित है। किन्नौर में एनएच-5 और सिरमौर में एनएच-707 भी बंद पड़ा है। इसके अलावा 105 बिजली ट्रांसफार्मर और 47 पेयजल स्कीमें भी ठप हैं। चम्बा में 48 और मंडी में 43 ट्रांसफार्मरों के बंद होने से बिजली गुल है। चम्बा में 21 और कुल्लू में 18 पेयजल स्कीमें बंद हैं और इन जिलों में पेयजल की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
मानसून से 1008 करोड़ का नुकसान, 201 लोगों की गई जान
मानसून से राज्य में अब तक 1008 करोड़ का नुकसान हुआ है। इसमें लोकनिर्माण विभाग को सर्वाधिक 470 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 466 करोड़ का नुकसान शामिल है। मानसून सीजन के पिछले 49 दिनों में वर्षा जनित हादसों में 201 लोगों की मौत हुई है। इसमें 88 लोगों की मृत्यु सड़क हादसों में हुई। भूस्खलन से तीन, बाढ़ से छह, बादल फटने से 15, पानी के तेज बहाव में बहने से 23 और ऊंचाई से फिसलने से 31 लोगों की जान गई है। मंडी में सबसे ज्यादा 21 और किन्नौर में सबसे कम तीन लोग मारे गए।