मुस्लिम महिलाओं के लिए भी कानून बने -शाईस्ता अम्बर

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मुस्लिम महिलाओं के लिए भी कानून बने -शाईस्ता अम्बर
तीन -तलाक का नाज़ायज फायदा उठाकर हो रहे मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार के विरोध में आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्ष शाईस्ता एम्बर ने कहा की इस अत्याचार को रोकने के लिए जिस तरह से हिन्दू समाज के लिए  विवाह अधिनियम कानून  बनाया गया है उसी तरह भी मुस्लिम समाज के लिए भी कोई अधिनियम या कानून बनाया जाय |
लखनऊ प्रेस क्लब में ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा एक सेमीनार का आयोजन किया गया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया की लॉयर डॉक्टर चंद्रा राजन समेत कई मुस्लिम महिला भी मौजूद रही |
शाईस्ता अम्बर में वर्तमान प्रधानमत्री व मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि बलिया में जिस तरह  मुख्यमंत्री के जनसभा में मुस्लिम महिलाओं का बुरका  में  ठके  चहेरा को प्रशासन द्वारा उतरवाये गए वो मुस्लिम महिलाओ का अपमान किया गया है
आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार तलाके बिदअत को बाएं किया  6 महीने में केंन्द्र सरकार द्वारा तलाके बिदअत के रोकने  कानून लाया जाये जबकि सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद भी तलाक हो रहे है पर सहित कालीन सत्र में तलाक पर संसद में चर्चा करके कानून बनने जा रहा है इसका महिला बोर्ड स्वागत करता है साथ ही केंद्र सरकार से गुजारिश करता है कि जो तलाक पर कानून बने वह शरीयत के नजर में रखकर तथा तलाक बिदअत व मुस्लिम महिलाओ से जुड़े मुद्दे पर लॉ कमीशन एडवोकेट महिला पर्सनल लॉ बोर्ड व मुस्लिम स्कालर व समाज सेवी महिलाओ की टीम तैयार की जाये ताकि मजबूत (मुस्लिम विवाह अधिनियम)मुस्लिम मैरिज एक्ट पारित किया जाये ,तथा तलाक एक राहत का रास्ता जो गवाहों के बातचीत दोनों पक्षों के सुलह से होकर गुजरता है ताकि पछताना ना पड़े परिवार व बच्चे मॉ बाप से न छूटे।
आगे कहा की राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार के  वक्फ विभागों द्वारा वक्फ के जायदादों को चिन्हित करके नाजायज कब्जा स्थानीय प्रशासन द्वारा हटाये जाये और उन जायदादों पर तलाक शुदा महिलाओ विधवाओं तथा अनाथ व्यक्तियों एवं बेसहारा बूढ़े लोगो के लिए तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगो के लिए 30 साल से 50 साल तक के लिए आश्रय होम आवंटित किया जाये।
आगे बताया कि जिस तरह से तलाक का मामला सोसल मीडिया पर देखने को मिल रहा  है वह बहुत ही निदनीय है जिसको लेकर हमने उसके बारे में जानकारी पाने तथा खत्म करने को लेकर  2005 से ही इसके विरोध में प्रदर्शन किया और 2009 में इसके लिए एक एक्ट मांगने को लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पार्टिल को एक पत्र दिया था  और कहा कि जिस तरह से हिन्दू विवाह के लिए एक्ट बने है उसी तरह मुस्लिम महिलाओ के लिए भी एक्ट बनाना चाहिए अगर मुस्लिम महिलाओं के लिए एक नहीं बना तो तलाक का नजायज फायदा उठाया जाएगा तालाक एक राहत का रास्ता है  उन सभी के लिए अपने आप में ख्वाब दिया जाना है जिसके लिए होना नहीं चाहिए।
मुस्लिम  महिलाओं के लिए एक्ट बनाना चाहिए और आगे बताया कि जो भी व्यक्ति तलाक का गलत इस्तेमाल कर रहा है उसके प्रति कड़ी करवाई  हो |
वहीं दूसरी तरफ चंद्रा राजन ने बताया कि मै पहले से ही  समाज के लिए काम करती रही  हूँ जिन्होंने  कहा की मै कोर्ट से मांग करती हूँ की मुस्लिम  समाज के लिए भी  कानून बने और मुस्लिम समाज के लोग पालन करे ताकि  कभी कोई मुस्लिम महिला न्यायलय का दरवाजा न खटखटाये |
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