अंबेडकर नगर। हजरत इमाम अली यौमे विलादत 13 रजब के अवसर पर रुद्रपुर भगाही में जश्न ए विलादत फातेह खैबर”बड़े ही अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया।जिसकी सरफराज हुसैन एवं सैय्यद मुफीद अहमद, के जेरे निगरानी में किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत तिलावते कुरान पाक की आयात से सैयद एहरार हुसैन, ने की, मौलाना अफजाल अहमद मिस्बाही ने कहा कि हजरत अली खलीफा होने के बाद भी उनके जीवन का बड़ा हिस्सा इबादत मे बीता था। उनकी खूबियों को इंसानी कलम मे इतनी ताक़त नही कि इमाम अली की तारीफ कर सके। बुलंद फिक्र व ख़यालात, मखलूस अंदाज़ मे एक खास मेयार पर ज़िँदगी बसर की वह निराले अंदाज़ मे रहे और खास अंदाज़ मे इस दुनियाँ से विदा ली। एहरार हुसैन ने कहा कि हज़रत अली के बारे में कहा जाता है कि उनकी वालिदा (माता) उनकी पैदाइश के पहले जब काबे शरीफ के पास गयीँ तो अल्लाह के हुक्म से काबे की दीवार ने आपकी मां को रास्ता दे दिया था। उनके काबे मे तशरीफ लाने के चार दिन बाद 13 रजब को इमाम अली पैदा हुए ।मोहम्मद मुस्तफा स. स. का आपकी ज़िँदगी पर गहरा असर पड़ा था ।चाहे वह मस्जिद हो ,जंग का मैदान हो या फिर आम जगह इमाम अली हर वक्त पैग़म्बरे इस्लाम के साथ रहते थे। सरफराज अहमद ने कहा कि खुदा की सिफात के आईनेदार ,तमाम सिफात के मरकज़ अली आज से करीब 1352 साल पहले 661 ई. मे माहे रमज़ान मुबारक की 21 वीँ तारिख को कूफे की मस्जिद मे सुबह की नमाज़ के वक्त शहीद कर दिये गये। 19 रमज़ान को सहरी के बाद जब सुबह की नमाज़ अदा की जा रही थी तो नमाज़ियोँ के बीच खड़े कातिल रहमान इब्ने मुलज़िम ने ज़हर से बुझी तलवार से मौला अली पर वार कर दिया। आप इसके बाद दो दिन तक बिस्तर पर रहे।
भोपाल से आये विदेश में फसे भारतीयों की रिहाई के लिए निरंतर काम करने वाले अंतराष्ट्रीय समाजसेवी बजरंगी भाईजान सैयद आबिद हुसैन ने कहा हजरत मौला अली ने इस दुनिया को तरक तक दी, यानि वो चाहते तो हर एक आराम पा सकते थे लेकिन उन्होंने अपना जो कुछ था वो हमेशा गरीब, यतीम आदि को दिया और वह बहुत ही नर्म दिली से रहते थे. वहीं इतने बहादुर थे कि उन्होंने जंग के मैदान में बड़े बड़े ताकतवर पहलवानों को पछाड़ दिया था. वहीं हजरत अली का कहना था कि कभी भी जंग में महिलाओं और बच्चों पर हमला न करो.
हजरत अली को पैगम्बर मोहम्मद साहब बहुत चाहते थे. उन्होंने तभी गदीर के मैदान में भी हजरत अली को अपना जानशीन बनाया था. वहीं हजरत अली और मोहम्मद साहब की बेटी जनाबे फातिमा जहरा के दो बेटे इमाम हसन और इमाम हुसैन भी थे जो मुस्लिमों के दूसरे और तीसरे इमाम भी हैं. इन्हीं दोनों को हजरत मोहम्मद साहब ने जन्नत का सरदार भी कहा है.
कार्यक्रम में विदेश में फसे भारतीयों की रिहाई के लिए निरंतर काम करने वाले अंतराष्ट्रीय समाजसेवी बजरंगी भाईजान सैयद आबिद हुसैन, सैय्यद मुफीद अहमद,काजी आले हसन, मोहिब एहतेशाम, मोहम्मद जावेद, शकील अहमद, तौफीक अली, राशिद हुसैन समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
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