फ़िरोज़ ख़ान
देवबंद । (Devband) मोहल्ला कायस्थवाड़ा में उर्दू अदब की एक शाम हाजी अलहाज बाबा के नाम से मुशायरे का आयोजन हुआ। जिसमें शायरों ने देर रात तक उमदा कलाम सुनाकर श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी।
मदरसा मोहम्मदिया में आयोजित मुशायरे का उद्घाटन हाजी अलहाज बाबा व कारी आफताब ने संयुक्त फीता काटकर व गाजी वाजदी ने शमा रोशन कर किया। इसमें शायर राशिद कमाल ने पढ़ा..थकन का लब पर गिला नहीं है और एक मुद्दत से चल रहा है, तवाफ उसका करेगी मंजिल इरादा जिसका अटल रहा है। वसीम झिंझानवी ने कहा..तेरे नजदीक आना चाहता है, ये दिल फिर चोट खाना चाहता है। नईम अख्तर ने कुछ यूं कहा..पहले नमाज-ए-इश्क अदा की वफा के साथ, फिर रब से तुझको मांगा है हर इक दुआ के साथ। डा. सलमान दिलकश ने पढ़ा..नफरतों के सौदागर अपनी मौत मर जाएं, इस कद्र मोहब्बत तुम बांट दो जमाने में। जाहिद देवबंदी ने अपने जज्जाब कुछ यूं बयां किए..बोलों में तेरे रस है चेहरा तेरा किताब, तेरी नशीली आंखों से फीकी पड़ी शराब। हैदर कमाल ने पढ़ा.रोना तडफना, जागना सब छोड़ चुके हैं, हम इश्क की दुनिया को अब छोड़ चुके हैं सुनाकर देर रात्रि तक खूब वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम में बैंगलूरु से आए हाजी अलहाज बाबा को प्रशस्ति पत्र देकर व शोल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। अध्यक्षता नसीर अंसारी व संचालन डा. सलमान दिलकश ने किया। इसमें अब्दुल वाहिद, सुहैल अंसारी, अख्तर अंसारी, नौशाद, मास्टर रफी आदि मौजूद रहे।