अवधनामा संवाददाता
भेंट के एवज में बड़े व्यापारियों को लाखों का हो रहा फायदा
बाराबंकी। मंडी परिषद बिना तिकड़म के चल ही नही सकती। चाहे जितनी लगाम कसने की कोशिश कर ली जाए पर अफसर अपने लिए बीच का रास्ता निकाल ही लेते हैं। वैसे यह कोई नई बात नही पर परिषद में चल रहे तिकड़म से छोटे किसान जरूर भेदभाव की शिकायत एक दूसरे से किया करते हैं। जैसे कि मंडी में माल सहित प्रवेश के लिए छोटे किसान लिखा पढ़ी में आते हैं जबकि थोक व्यापारी अपनो की बचत लिखा पढ़ी से करवा लें जाते हैं।
आम किसान आमतौर पर मंडी परिषद के दोहरे रवैये के शिकार होता आया है। वह किसी से शिकायत भी नही करता, फिर उसकी सुनेगा भी कौन, उनसे व्यवहार ऐसा, जैसे सारे नियम कायदे उन्ही के लिए बनाए गये हों। जबकि बड़े व्यापारी, आढ़ती अपने जुगाड़ व पहुंच के चलते कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। उन्हें नियम कायदे की कोई परवाह ही नही रहती, क्योंकि अपने रसूख व जुगाड़ पर पूरा भरोसा जो रहता है और उनके इस मकसद में पूरा साथ मंडी परिषद के जिम्मेदार साथ देते हैं। यह शुरुआत से ही होता रहा है और अब तक जारी है। जैसे कि छोटा किस जब अपने माल सहित मंडी में प्रवेश करता है तो उसकी लिखा पढ़ी में कोई कोताही नही की जाती, और वे किसान राजी होकर साथ देते हैं। इसके ठीक उलट बड़ी गाड़ियों में माल लेकर आने वाले बड़े आढ़ती, व्यापारी का स्वागत होता है। खेल कुछ इस तरह कि अगर किसी थोक व्यापारी का 3 से 4 गाड़ी माल आया तो उसमें एक ही लिखा पढ़ी होगी, बाकी का मुआवजा भेंट स्वरूप निरीक्षकों के माथे चला जा रहा। भेंट ही इतनी जबरदस्त है कि कायदे कानून तोड़ने में बुरा नही लगता। लंबे फायदे के फेर में परिषद को विभाग को चूना लगे तो स्थानीय मंडी परिषद के निरीक्षकों की बला से। वे अपना काम बदस्तूर किये जा रहे हैं। बड़े व्यापारी मस्त हैं क्योंकि उन्हें भेंट चढ़ाने के बाद लाखों का फायदा हो रहा, परिषद के निरीक्षकों में भी संतुष्टि है कि उन्हें बैठे बिठाए तरमाल मिल रहा। पिस रहा और दबी जुबान शिकायत कर रहा छोटा किसान, जो कम मुनाफा पाने के बाद भी माल की लिखा पढ़ी से नही कतराता।
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