मानव विकास में मील का पत्थर साबित होगी हरित प्रौद्योगिकी

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डीआरडीओ, कानपुर के पूर्व निदेशक, जाने-माने रक्षा वैज्ञानिक एवं फेलो ऑफ़ रॉयल सोसाइटी ऑफ़ केमिस्ट्री के सदस्य डॉ. टीसी शामी ने हरित प्रौद्योगिकी और रक्षा क्षेत्र के परस्पर सामंजस्य पर जोर देते हुए कहा, वक्त की जरुरत है, इन्हें एक दूसरे का पूरक बनना चाहिए। उन्होंने भारत की रक्षा जरूरतों पर चर्चा करते हुए केमिस्ट्री के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, केमो फ्लोज मेटेरियल्स के संश्लेषण एवं संशोधन के जरिए भारत के रक्षा क्षेत्र को मजबूती मिल सकती है। उन्होंने सैनिकों के लिए केमो फ्लोज शूट, स्नाइपर शूट, थर्मल केमो फ्लोज शूट, टैंक्स के लिए केमो फ्लोजिंग आदि से अवगत कराया। उन्होंने हरित प्रौद्योगिकी के माध्यम से निम्नतम अपशिष्ट उत्पादकता पर जोर दिया। हरित प्रौद्योगिकी से रक्षा उत्कृष्टता की कामना करते हुए तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के मंच से भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। डॉ. शामी तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कम्प्यूटिंग साइंसेज-एफओईसीएस के केमिस्ट्री विभाग की ओर से हरित प्रौद्योगिकी पर आयोजित नेशनल कांफ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि वर्चुअली बोल रहे थे। इससे पूर्व टीएमयू के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित करके कांफ्रेंस का शुभारम्भ किया। इस मौके पर जीबी पंत यूनिवर्सिटी, पंतनगर के बेसिक साइंसेज के विभागाध्यक्ष प्रो. एमजीएच जैदी, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, एफओईसीएस के निदेशक एवं कांफ्रेंस के जनरल चेयर प्रो. आरके द्विवेदी, एसोसिएट डीन डॉ. मंजुला जैन, प्रो. केए गुप्ता, केमिस्ट्री विभाग के एचओडी एवं कांफ्रेंस के कन्वीनर डॉ. वरुण सिंह, डॉ. सौविक सुर, डॉ. असीम अहमद, डॉ. अशेंद्र सक्सेना, डॉ. एडी त्रिपाठी आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। टीएमयू जर्नल ऑफ़ बेसिक एंड एप्लाइड केमिस्ट्री और कांफ्रेंस सोविनियर का विमोचन भी किया गया। सभी अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान दो दर्जन से अधिक ऑनलाइन और ऑफलाइन शोधपत्र पढ़े गए। अंत में कुलपति ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया। समापन राष्ट्रगान से हुआ। संचालन मिस इंदु त्रिपाठी ने किया। सरस्वती वंदना भी हुई, जिसमें प्रेरणा और गार्गी ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया।

जीबी पंत यूनिवर्सिटी, पंतनगर के बेसिक साइंसेज के विभागाध्यक्ष प्रो. एमजीएच जैदी बोले, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी से मेरा गहरा रिश्ता है। प्रो. जैदी ने मानव सभ्यता के विकास में मेटेरियल साइंस की उपयोगिता को परिलक्षित करते हुए कहा, इंसान सेरामिक मेटेरियल का उपयोग पाषाण युग से ही करता आ रहा है। यह काल ही मेटेरियल साइंस का उत्पत्ति युग माना जाता है। ताम्र युग और लौह युग मेटेरियल साइंस के क्रमिक विकास चरण हैं। आज हम स्टील युग से होते हुए नैनो युग तक के विकास का सफर तय कर चुके हैं। इस विकास की अंधी दौड़ में हमने प्रकृति का जरूरत से ज्यादा दोहन किया है। नतीजन अब इसके दुष्परिणाम सामने हैं। ऐसे में जरूरत है, हम ग्रीन टेक्नोलॉजी यूज करके प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करें। जेएनयू की प्रो. विभा टंडन ने आधुनिक ड्रग डिज़ाइन और उसकी संश्लेषण तकनीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने ट्रांज़िशन मेटेरियल और ऑर्गेनों मेटेलिक कंपाउंड के संश्लेषण के बारे में बताया। गवर्नमेंट साइंस कॉलेज, जबलपुर के प्रो. एके बाजपेयी बतौर मुख्य वक्ता ड्रग डिलीवरी सिस्टम में नैनो टेक्नोलॉजी के उपयोग पर प्रकाश डालते हुए हाईड्रोजेल एवं नैनो हाईड्रोजेल के की भूमिका बताई।

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में हरित प्रौद्योगिकी पर बोलते हुए कहा, हम प्रकृति को अपनी नीड के लिए इस्तेमाल करें, अपनी ग्रीड के लिए नहीं, क्योंकि समाज पर्यावरण संतुलन के बिना जिंदा नहीं रह सकता। समाज और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने उदाहरण के जरिए कहा, ग्रांड फादर की प्रॉपर्टी ग्रांड सन के लिए होती है। ऐसी तरह क्योर एंड रिस्टोरेशन के जरिए पर्यावरण संतुलन बनाया जा सकता है। बोले, मानव को प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की दरकार है। किताबों से केवल सूचना मिलती है, जबकि कोई भी कांफ्रेंस सूचना प्रक्रिया का माध्यम होती है। कांफ्रेंस से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। शिक्षकों के रोल का जिक्र करते हुए बोले, टीचर्स का काम स्टुडेंट्स में विषय के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करना है ताकि वे तय लक्ष्य सहज प्राप्त कर सकें। रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा विज़न एंड मिशन ऑफ़ द तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी पर बोले, स्टुडेंट्स का लक्ष्य और उद्देश्य साफ-साफ होने चाहिए- हम कहां जाना चाहते हैं और क्या पाना चाहते हैं ? कोई भी यूनिवर्सिटी ईंट और सीमेंट से नहीं बनती है, बल्कि दुनिया की बेस्ट यूनिवर्सिटीज में शुमार होने के लिए किसी भी यूनिवर्सिटी को गुड पीपल, नॉलेज और लर्निंग की दरकार है। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी इस दिशा में अग्रसर है। यूनिवर्सिटी का मकसद गुणवक्ता परक शिक्षा प्रदान करना है। छात्रों के लिए सीबीसीएस और ओबीई लागू कर दी गई है। टीचर्स को मिशन और विज़न की प्राप्ति के लिए गहन प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। एफओईसीएस के निदेशक प्रो. द्विवेदी बोले, औद्योगिक क्रांति के साथ-साथ पर्यावरण रक्षा मानव के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कांफ्रेंस की थीम पर प्रकाश डालते हुए कहा, कोरोना काल ने मानव को प्रकृति के महत्व को समझा दिया है। दुनिया 2020 को एक निर्णायक बरस के रूप में याद रखेगी। हरित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शोध मानव के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में मील का पत्थर साबित होंगे। प्रो. द्विवेदी बोले, ऐसे में हवा, पानी और मिट्टी को स्वच्छ और स्वस्थ रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। कांफ्रेंस में हरित प्रौद्योगिकी पर आधारित पोस्टर प्रतियोगिता भी हुई। कांफ्रेंस में प्रो. आरके जैन, प्रो. एसपी पाण्डेय,प्रो. आरसी त्रिपाठी, डॉ. गरिमा गोस्वामी, डॉ. संदीप वर्मा, डॉ. अमित कुमार शर्मा, डॉ. अजीत कुमार, डॉ. विष्णु प्रसाद श्रीवास्तव, डॉ. पवन सिंह, डॉ. दिप्तोनिल बनर्जी, डॉ. विपिन कुमार, डॉ. अजय उपाध्याय, श्री राघवेंद्र प्रताप सिंह, श्री अंकित शर्मा आदि मौजूद रहे।

 

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