झारसुगुड़ा (Jharsuguda) : कई वर्षो से बंद बड़माल स्थित कॉनकास्ट स्टील कंपनी (Concast Steel Company ) के अधिग्रहण को लेकर बड़े पैमाने में घपला सामने आया है। कॉनकास्ट स्टील (Concast steel) को हिरमा (Hirma) स्थित एमएसपी पावर जनरेशन (Msp power generation ) द्वारा खरीदे जाने के बाद सीधे तौर पर 18 करोड़ रुपये सरकार के राजस्व को नुकसान हुई है। कंपनी के स्वार्थ के लिए सरकार को चुना लगाने में कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका को लेकर प्रश्न उठ रहा है। कॉनकास्ट स्टील (Concast Steel ) की जमीन व उस पर स्थित कारखाना का मूल्य कम दिखा कर कम मूल्य का स्टांप ड्यूटी में रजिस्ट्रेशन कराए जाने का प्रमाणिक तथ्य वकील संघ ने दिया है। पत्रकार वार्ता में जिला वकील संघ के पूर्व अध्यक्ष पी.राम मोहन राव (P. Ram Mohan Rao ) ने संपत्ति के प्रत्यर्पण के लिए रजिस्टेशन के प्रभार में रहने वाले तत्कालीन उप निरीक्षक को जिम्मेदार ठहराते हुए इसकी जानकारी दी।
कहा कि, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलपी) कोलकोता (Kolkata) शाखा में हुए आवेदन के तहत कॉनकास्ट स्टील एंड पावर लि.( CONCAST STEEL & POWER LTD) के क्षीतिक छाउछरिया लिक्विडेटर के रूप में नियुक्त किये गए थे। इसके बाद कॉनकास्ट (Concast ) की नीलामी की गई थी। एमएसपी पावर जेनरेशन लि. (MSP Power Generation Ltd ) ने सबसे अधिक मूल्य में इसे खरीदा था। आठ जून 2020 जून आठ तारीख को पंजीकृत करने के साथ इसका मालिकाना हस्तांतरण हुआ था। लिक्विडेटर द्वारा की गई नीलामी का पूरा तथ्य लिक्विडेटर के द्वारा ही जारी किया गए लेटर आफएलओआई (OFLOI ) के तहत संपनी का मूल्य 288.55 करोड़ रुपये था। वही झारसुगुड़ा (Jharsuguda ) उपनिरीक्षक के पास भी पहले यही रकम दर्शायी गई थी। बाद में मात्र 24 करोड़ 16 लाख 86 हजार 368 रुपये दर्शा कर स्टांप ड्यूटी के बाबत एक करोड़ बीस लाख चौरासी हजार 319 रुपये ही सरकार को दिया गया था। जबकि क्रय मूल्य पर स्टांप ड्यूटी नहीं भर कर कंपनी को आर्थिक लाभ पहुंचाया गया है। इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग संवाददाता सम्मेलन में जिला वकील संघ के पूर्व अध्यक्ष पी.राम मोहन राव(P. Ram Mohan Rao) ने संपत्ति के प्रत्यर्पण के लिए रजिस्ट्रेशन के प्रभार में रहने वाले तत्कालीन उप निरीक्षक को इसका जिम्मेदार बताया है। जिन्होंने रिकार्ड की ठीक से जांच नहीं की या फिर निजी फायदे के लिए चालाकी कर कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार को करोड़ो का राजस्व नुकसान कराया। रजिस्ट्रेशन के पूर्व कानून के अनुसार उप निरीक्षक व तहसीलदार को संपत्ति का मूल्यांकन करना चाहिए, मगर ऐसा नही किया गया।