सरकार खनन क्षेत्र की वास्तविक क्षमता का दोहन करने के लिए कई संरचनात्मक सुधार ला रही है: श्री प्रल्हाद जोशी

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सरकार खनन क्षेत्र की वास्तविक क्षमता का दोहन करने के लिए कई संरचनात्मक सुधार ला रही है: श्री प्रल्हाद जोशी

केंद्रीय कोयला और खान मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि सरकार खनन क्षेत्र की वास्तविक क्षमता का दोहन करने के लिए कई संरचनात्मक सुधार ला रही है। श्री जोशी आज ग्लोबल माइनिंग समिट एंड इंटरनेशनल माइनिंग एंड मशीनरी एग्जीविशन के 15वें संस्करण को संबोधित कर रहे थे।

श्री जोशी ने कहा, “खनन क्षेत्र में प्रस्तावित संरचनात्मक परिवर्तन का उद्देश्य खोज से लेकर उत्पादन तक एक सहज बदलाव सुनिश्चित करने के लिए खनिज की खोज में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना  और खनिज ब्लॉकों की नीलामी के लिए खोज के मानदंडों को फिर से परिभाषित करना है। यह परिवर्तन खनन अधिकारों के आवंटन के लिए लाइसेंस-सह खनन पट्टे एवं खुली एकड़ लाइसेंसिंग नीति को संभव बनाते हुए ब्लॉकों की नीलामी के लिए जरुरी खोज के मानकों को फिर से परिभाषित करेगा, जिससे देश में खनिजों के उत्पादन को एक व्यापक उछाल मिलेगा।”

सक्रिय सुधार से जुड़े सरकार के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए, श्री जोशी ने कहा कि मार्च, 2020 वो महत्वपूर्ण अवधि थी, जब बड़ी संख्या में कार्यशील खानों के पट्टे समाप्त हो गए थे और उन्हें तुरंत नीलाम करना पड़ा। सरकार ने एक सक्रिय और उद्योग के अनुकूल सबसे बड़ा कदम उठाते हुए एक अध्यादेश को लागू करके सभी वैधानिक मंजूरी को नए पट्टों में स्थानांतरित किया। कच्चे माल के निर्बाध उत्पादन को सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक प्रमुख कदम था।

श्री जोशी ने कहा कि इस विशेष सुधार के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं और इस अध्यादेश की मौजूदगी में, ओडिशा ने हाल ही में बड़ी संख्या में लौह अयस्क खदानों की सफल नीलामी की है। हालांकि, कुछ सफल बोली लगाने वाले उत्पादन में देरी करके नीलामी की प्रक्रिया से बचने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों से कड़ाई से निपटा जाएगा और मंत्रालय राज्य सरकार के साथ समन्वय करके अधिनियम में कड़े प्रावधान लाने पर विचार कर रहा है ताकि गंभीर नहीं रहने वाले बोलीदाताओं को हटाया जा सके और उन्हें भविष्य की नीलामी में शामिल होने से रोका जा सके।

सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है कि देश के खनिज संसाधनों की नीलामी पूरी तरह से सफल हो और यह राज्य सरकारों के लिए राजस्व एवं रोजगार पैदा कर सके।

श्री जोशी ने कहा कि खनन उद्योग भारत की 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के महत्वाकांक्षी विकास के केंद्र में है। भारत विशाल प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है और इस उद्योग ने देश की अर्थव्यवस्था में कई तरह से योगदान दिया है, जैसे कि जीडीपी में प्रत्यक्ष योगदान, डाउनस्ट्रीम उद्योगों और रोजगार के विकास के माध्यम से अप्रत्यक्ष योगदान।

उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास के साथ खनन क्षेत्र के अंतर्संबंधों को देखते हुए, सरकार ने कच्चे माल की उपलब्धता, देश की अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के संदर्भ में अपनी प्राथमिकताओं को भी बदल लिया है। यह सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है कि व्यापार करने की सरल, पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रियाओं के साथ विनियामक वातावरण व्यापार करने में आसानी के अनुकूल हो।

सरकार द्वारा खनन और कोयला के क्षेत्र में हाल ही में किए गए सुधारों के बारे में विस्तार से बताते हुए  श्री जोशी ने कहा कि रोजगार सृजित करने, ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के अलावा  कोयला क्षेत्र को निजी इकाइयों के लिए खोलने से देश में अगले 5-7 वर्षों में भारी पूंजी निवेश होगा।

धातु एवं अधातु अयस्कों के खनन और खोज में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 100% तक स्वतः रूप से बढ़ाया गया है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने विभिन्न खनिज उत्पादों से संबंधित लगभग 400 खनिज अन्वेषण परियोजनाओं को लागू करके अपनी अन्वेषण संबंधी गतिविधि को लगभग दोगुना कर दिया है।

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