सरकार ने संसद में बताया कि पिछले पांच वर्षों में केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने लगभग 7.08 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी धोखाधड़ी का पता लगाया है जिसमें 1.79 लाख करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) धोखाधड़ी शामिल है। स्वैच्छिक जमा के माध्यम से 1.29 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली हुई।
सरकार ने संसद में बताया है कि केंद्रीय जीएसटी क्षेत्रीय अधिकारियों ने 2024-25 वित्तीय वर्ष तक पिछले पांच वर्षों में लगभग 7.08 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है। इसमें लगभग 1.79 लाख करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) धोखाधड़ी शामिल है। जबकि 2020-21 से 2024-25 की अवधि में स्वैच्छिक जमा के माध्यम से वसूले गए करों की राशि 1.29 लाख करोड़ रुपये से अधिक थी।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में सोमवार को बताया कि अकेले 2024-25 वित्तीय वर्ष में केंद्रीय जीएसटी क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा 2.23 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) धोखाधड़ी का पता लगाया गया। वित्तीय वर्ष 2025 में 30,056 जीएसटी धोखाधड़ी के मामलों में से आधे से अधिक, यानी 15,283 मामले आइटीसी धोखाधड़ी से संबंधित थे, जिसमें धोखाधड़ी की राशि 58,772 करोड़ रुपये थी। 2023-24 वित्तीय वर्ष में केंद्रीय जीएसटी क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा 2.30 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी धोखाधड़ी का पता लगाया गया, जिसमें 36,374 करोड़ रुपये की आइटीसी धोखाधड़ी शामिल थी।
वित्तीय वर्ष 2023 में लगभग 1.32 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी धोखाधड़ी का पता चला, जिसमें 24,140 करोड़ रुपये की नकली आइटीसी दावों की राशि शामिल थी। वित्तीय वर्ष 2022 और 2021 में जीएसटी धोखाधड़ी क्रमश: 73,238 करोड़ रुपये और 49,384 करोड़ रुपये थी। इसमें आइटीसी धोखाधड़ी की राशि क्रमश: 28,022 करोड़ रुपये और 31,233 करोड़ रुपये थी। पांच वर्षों (2020-21 से 2024-25) में केंद्रीय जीएसटी क्षेत्रीय अधिकारियों ने कुल जीएसटी धोखाधड़ी का पता 91,370 मामलों में लगभग 7.08 लाख करोड़ रुपये के रूप में लगाया।
धोखाधड़ी के आंकड़ों में वित्तीय वर्ष 2021 से 2025 के बीच 44,938 मामलों में लगभग 1.79 लाख करोड़ रुपये की आइटीसी धोखाधड़ी शामिल है। चौधरी ने कहा कि केंद्रीय सरकार और जीएसटीएन कर चोरी को रोकने के लिए विभिन्न कदम उठा रहे हैं, जैसे ई-इनवॉइ¨सग के माध्यम से डिजिटलीकरण, जीएसटी एनालिटिक्स, सिस्टम-फ्लैग्ड असमानताओं के आधार पर आउटलेयर को उजागर करना, कार्यान्वयन योग्य जानकारी प्रदान करना और विभिन्न जोखिम मानकों के आधार पर रिटर्न का चयन और करदाताओं का आडिट के लिए चयन करना।