Wednesday, October 29, 2025
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HomeMarqueeश्रद्धा भाव और रामधुन के साथ शरद पूर्णिमा पर लगाई गोरखगिरि परिक्रमा

श्रद्धा भाव और रामधुन के साथ शरद पूर्णिमा पर लगाई गोरखगिरि परिक्रमा

गोष्ठी में वक्ताओं ने शरद पूर्णिमा, गोरखगिरि पर्वत के महत्व पर डाला प्रकाश

महोबा। गुरू गोरखनाथ परिक्रमा समिति के तत्वावधान में मंगलवार को तड़के सुबह शरद पूर्णिमा के उपलक्ष्य पर ऐतिहासिक गोरखगिरि की परिक्रमा लगाई। भक्तों ने रामधुन भक्ति और उत्साह के साथ गोखार पर्वत की पैदल परिक्रमा लगाकर पुन्य कमाया। परिक्रमा समाप्ति के बाद शिव मंदिर परिसर में एक गोष्ठी का आयोजन कर शरद पूर्णिमा ऐतिहासिक गोरखगिरि पर्वत और चौदह वर्ष के वनवास दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता के यहां पर आने पर विस्तारण से जानकारी दी गई।

शहर के शिवतांडव स्थित शिव मंदिर से सुबह छह बजे परिक्रमा की शुरुआत की गई जो महावीरन, पठवा के हनुमान, केदारेश्वर महादेव, कबीर आश्रम, हाजी फिरोजशाह बाबा की मजार, सकरे सन्या, छोटी चंडिका, काली माता, शनिदेव मंदिर, नागौरिया व काल भैरव होते हुए वापस शिव मंदिर परिसर में आकर समाप्त हुई। परिक्रमा दौरान श्रद्धालुओं जय श्रीराम, गुरु गोरखनाथ की जय सहित तमाम धार्मिक जयकारे लगाते हुए हाथों में पीले रंग के झंडे लिए चल रहे थे।

इस बार की परिक्रमा डमरू की धुन पर विशेष आकर्षक रही। इस दौरान पुरुषों के अलावा महिलाओं ने भी पैदल चलकर परिक्रमा पूर्ण की। समाजसेवी एवं पूर्व प्रधानाचार्य शिवकुमार गोस्वामी ने भगवान राम सीता व लक्ष्ण इस ऐतिहासिक पर्वत पर चौदह वर्ष के वनवासकाल दौरान यहां पर ठहरे थे, जिसका प्रमाण यहां पर बनी सीतारसोई, रामकुंड हैं। कहा कि श्रीराम की चरण रज पड़ जाने से यह पर्वत धर्म अर्थ काम मोक्ष फल देने वाला बन गया।

समिति के प्रमुख डा0 एलसी अनुरागी ने कहा कि शरद पूर्णिमा को चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियो के साथ रास रचाया था और शरद पूर्णिमा से ही कार्तिक स्नान शुरू होता है। उन्होंने कार्तिक धुन पर स्वरचित कार्तिक गीत आली मोहे लागै गोरखगिरि नीकौ प्रस्तुत किया। इसके बाद उन्होंने तुलसीकृत कवितावही की 178वीं0 कविता राम नाम मातु पितु स्वामि समरथ हितु, आस राम ना की भरोसो राम नाम को प्रस्तुत कर मंत्रमुग्ध कर दिया।

गोष्ठी में अधिवक्ता सुनीता अनुरागी ने वाल्मीकि रामायण के भगवान राम के आदर्श चरित्र श्लोक सुनाए। इस मौके पर रज्जू द्विवेदी, पंडित हरीशंकर नायक, गौरी शंकर कोष्ठा, छेदालाल यादव, पवन चौरसिया, परशुराम, बहादुर अनुरागी, चंद्रभान, अजीत, ओमप्रकाश साहू, भीष्म देव सैन सहित तमाम भक्त मौजूद रहे।

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