गौपूजन कर किया हिन्दू विक्रम संवत 2078 का स्वागत

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  • गौषाला में गायों को गुड़, चने का भोग लगाते महामण्डलेष्वर संत कमल किषोर
    पृथ्वी, माँ और गाय तीनों ही जीवन के आधार: संत कमल

Gopujan welcomed Hindu Vikram Samvat 2078

अवधनामा संवाददाता

सहारनपुर। (Saharanpur) शून्य फाउंडेशन के तत्वाधान में आज भारतीय हिन्दू नव वर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सिद्ध योग मठ अखाड़े के महामंडलेश्वर संत कमल किशोर के निर्देशन में गौशाला में मंत्रोच्चार, शंख ध्वनि, गौ पूजन, गौ आरती के साथ सभी गायो को गुड़ और चने का भोग लगाके प्रभु जी की गौशाला तथा नुमाइश कैंप शमशान घाट की गौशाला में मनाया गया।
विक्रम संवत नववर्ष के इतिहास के बारे में उपस्थित गणमान्य नागरिकों को अवगत कराते हुए संत कमल किशोर नाथ ने कहा कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सूर्योदय के समय ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना आरम्भ की। इसी दिन से वासन्तिक नवरात्र का प्रारम्भ होकर नौ दिनों के लिए शक्ति की उपासना शुरू होती है। मधुमास में प्रकृति भी चारों ओर हरयाली और फूलों से भर जाती है।
महामंडलेश्वर संत कमलकिशोर ने गाय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गाय अपने सांस में 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ती है जबकि विश्व के दूसरे सभी प्राणी ऑक्सीजन लेकर कार्बनडाइ ऑक्सइड छोड़ते हैं। गाय के एक तोला घी और पांच उपलों के साथ हवन करने के साथ एक टन ऑक्सीजन निकलती है गाय को गुड़, हरा चारा खिलाने से सभी देवी देवताओं को भोग लग जाता है। गौमूत्र में पारे और गंधक के अंश होने से त्वचा के हर प्रकार के विकार और यहाँ तक कि कैंसर भी समाप्त हो जाता है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ हर्ष ने बताया कि गाय के दूध, दही, घी, गौमूत्र और गोबर से बने पंचगव्य का सेवन करने से शरीर मन, बुद्धि निर्मल होकर सभी रोगो का नाश हो जाता है और इम्युनिटी पावर यानि शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
इस अवसर पर महाराज सिंह डिग्री कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष वैभव शर्मा ने वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित गौ पूजन की श्रेष्ठता पर प्रकाश डालते हुए कहा की गाय के दूध में पाये जाने वाला कैरोटीन आँखों की रोशनी तथा याददाश्त को बढ़ाने मैं अति उपयोगी होता हैद्य हमारे देश मे पौराणिक काल से गाय को माँ का दर्जा दिया जाता है।
शून्य फाउण्डेषन की महासचिव नीना धींगरा ने गौ माता के पूजन को सनातन धर्म की परंपरा का अभिन्न अंग बताते हुए इसकी महत्ता पर प्रकाश डाला और हिन्दू काल गणना को सूर्य और चन्द्र दोनों की गति पर निर्भर बताया। कलयुग में महाराजा विक्रमादित्य द्वारा पूर्ण रूप से विज्ञान पर आधारित काल की सटीक गणना करते हुए विक्रम संवत का आरंभ किया गया जो की आज भी सत्य है। इस पवित्र अवसर पर अमित गुप्ता, राजकुमार जोली, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के विभाग संयोजक वैेभव शर्मा, महानगर मंत्री वंदन कौशिक, मोहित पंडित, अक्षत धीमान, अर्जुन राज सिंह, अनिल कुमार, विनेश जुनेजा, अजब सिंह, श्रीमती अनीता, अभिषेक, हिमांशु कुमार, विनेश जुनेजा, अजब सिंह, शीला कुमारी, कोमल अरोड़ा, श्रीमती पूनम, सिमरजीत सिंह, सुरेश लौंगानी ,अनामिका, हेमनंदिनी ने भी गाय पूजन कर, गुड़-चना खिलाकर सम्पूर्ण मानवता की भलाई के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और एक दूसरे को नववर्ष की शुभकानाएं दी।

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