लखनऊ। भगवान भक्त के आधीन है। गोपियां मां कात्यायनी की पूजा करती हुई माता से प्रार्थना करती हैं कि हे मां मुझे नन्द किशोर को पति के रूप में दीजिये। प्रार्थना तो अच्छी है लेकिन गोपियां धर्म की मर्यादा का उल्लंघन कर रही है, क्योंकि जल में नग्न स्नान नहीं करना चाहिये। विश्वनाथ मन्दिर के 29वें स्थापना दिवस के मौके पर श्रीरामलीला पार्क सेक्टर-’ए’ सीतापुर रोड़ योजना कालोनी में स्थित मन्दिर परिसर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन सोमवार को भगवान श्रीकृष्ण के रासलीलाओं का वर्णन करते हुये कथाव्यास पूज्या लक्ष्मी प्रिया ने कहाकि भक्त की मर्यादा को रखने के लिये व धर्म के विरूद्ध आचरण न हो इसलिये भगवान नारायण गोपियों के वस्त्र का हरण कर लेते हैं और अपने भक्तों को सांत्वना देते हुये उनके भाव को समझकर महारास करते है।
उन्होंने बताया कि महारास से गोपियों को ऐसा आभास होता है कि भगवान उनके साथ नृत्य, चुंबन व स्पर्श करते है किन्तु यह उनका मोह है क्योंकि परब्रह्म परमात्मा सांसारिक जीवों से स्पर्श या भौतिक सुख साधन नहीं करते है। जैसे छोटा शिशु शीशे में प्रतिविम्ब को देखकर काटता है, नोंचता है, चुंबन करता है किन्तु प्रतिविम्ब को पकड़ नहीं सकता ठीक उसी प्रकार गोप बालाओं ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ चुंबन, स्पर्श इत्यादि का अनुभव किया। रूकमणी विवाह का प्रसंग बताते हुये पूज्या लक्ष्मी प्रिया ने कहाकि जब भक्त भगवान को सर्वस्य न्यौछावर कर देता है तो भगवान सामाजिक विडम्बना को त्याग कर अपने भक्त पर अनुग्रह करने के लिये गांधर्व विधि से भी विवाह कर लेते हैं। कथा में रुक्मणी विवाह धूमधाम से मनाया गया। जिसमें “आओ मेरी सखियों मुझे मेहंदी लगा दो…”, “चंद मंद होई गइले गगनवां के…” व “तेरा किसने किया सिंगार सांवरे…” सहित अन्य विवाह गीतों पर भक्त जमकर झूमे।