हैदराबाद में हैवानियत से देशभर में हाहाकार | आधी आबादी का कड़वा सच- आखिर कब महफूज होंगी बेटियां

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औरत दुर्गा….औरत मां….औरत बहन और औरत जिस्म…बस औरत की परिभाषा इन शब्दों के इर्द गिर्द सिमट कर रह गई है. पैदा होते ही बेटी बन जाती है…फिर बहन…फिर पत्नी…फिर मां, लेकिन जिस दिन वो लड़की बनती है उसी दिन इंसान के रूप में छुपे भेड़ियों की नजर उसपर पड़ती है और उसके जिस्म को चीर कर रख दिया जाता है.

 

हैदराबाद की प्रियंका बेटी…बहन के साथ लड़की बनी और पढ़ लिखकर लोगों के इलाज के लिए स्टेथसकोप थामा. वो औरत की परंपरागत परिभाषा से अलग अपनी पहचान कायम कर रही थी. लेकिन रास्ते में घात लगकार बैठे दरिंदों को यह मंजूर नहीं था. उसने ना सिर्फ उसकी अस्मत को तार-तार कर दिया बल्कि उसके जिस्म में आग भी लगा दी.

जिस्म के आग की बदबू सभ्य कहे जाने वाले समाज तक तो पहुंची…नाक, कान और आंखों ने रिएक्ट भी किया…लेकिन कब तक यह हमारे भीतर कायम रहेगी वो निर्भयाकांड के बाद तो पता चल ही गया है. महिलाओं के साथ हैवानियत की घटना सिर्फ हमारे देश हिंदुस्तान में ही नहीं है…बल्कि दुनिया की आधी आबादी का शोषण हर जगह हो रहा है.

दुनिया की आधी आबादी में से 36 प्रतिशत लड़कियां शारीरिक या यौन हिंसा की शिकार होती है. बाद दुनिया के सबसे विकसित और ताकतवर देश अमेरिकी की करते हैं तो यहां 12 से 16 साल की 83 फीसदी लड़कियों का किसी ना किसी रूप में यौन उत्पीड़न किया गया है. अमेरिका वो देश है जो दुनिया की नुमाइंदगी करती है वहां पर औरतों की यह स्थिति है.

जिसने सदियों तक कई देशों को गुलाम बनाकर रखा…जहां शासन क्वीन करती हो…बात इंग्लैंड की कर रहे हैं यहां पर हर पांच में से एक महिला यौन हिंसा की शिकार होती हैं.

दक्षिण अफ्रीका में तो ऐसा लगता है कि पेट की भूख जिस्म से मिटाई जाती है. दुनिया में सबसे ज्यादा रेप यही पर होता है. यहां हर दिन औसतन 1400 रेप की घटनाएं होती हैं. इनमें करीब 20 फीसदी घटनाओं में पुरुष भी शिकार बनते हैं.

हर साल 5,00,000 रेप की घटनाएं होती हैं. बताया जाता है कि यहां 40 प्रतिशत से ज्‍यादा महिलाएं अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार रेप की शिकार होती हैं.

दक्षिण अफ्रीका के बाद स्वीडन वो देश है जहां सबसे ज्यादा रेप की घटनाएं होती हैं. स्वीडन में हर 4 में से 1 महिलाओं की अस्मत तार-तार होती है.

 

स्वीडन (Sweden) दूसरा ऐसा देश है, जहां सबसे ज्‍यादा रेप के मामले सामने आए हैं. स्‍वीडन में हर चार में से एक महिला रेप की शिकार हुई है. स्वीडिश नेशनल काउंसिल फॉर क्राइम प्रिवेंशन के अनुसार, स्‍वीडन पुलिस ने 2013 में हर 100,000 लोगों पर 63 रेप के मामले दर्ज किए थे. कहा जाता है कि तीन में से एक स्वीडिश महिला का यौन उत्पीड़न बचपन में ही हो जाता है.

 

हम अपने हिंदुस्तान की बात करें तो यहां हर छह घंटे में एक लड़की का रेप हो जाता है.न्यूजीलैंड में हर दो घंटे में से यौन हिंसा के मामले सामने आते हैं. यहां पर हर तीसरी लड़की और हर छठा लड़का 16 साल की उम्र से पहले ही यौन शोषण का शिकार हो जाता है.

 

बता कनाडा की करें तो यहां भी आधी आबादी सुरक्षित नहीं है. हफिंगटन पोस्ट के अनुसार, कनाडा में हर साल 4,60,000 यौन हिंसा के मामले होते हैं. हर 1,000 यौन उत्पीड़न के मामलों में 33 ही पुलिस तक पहुंच पाते हैं. हैरानी तो तब होती है जब 83 प्रतिशत दिव्‍यांग महिलाओं का उनके जीवनकाल में कम से कम एक बार यौन उत्पीड़न हुआ था.

 

विकसित देशों में शुमार ऑस्ट्रेलिया में भी रेप के मामले लगातार सामने आते हैं. हर छठी ऑस्ट्रेलियाई महिला से किसी अजनबी ने रेप किया होता है. ऑस्ट्रेलिया में 2015 में जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, 18 वर्ष से ज्‍यादा उम्र के 52.2 लाख लोग यौन उत्पीड़न का शिकार थे.

 

जिम्बाब्वे में भी रेप की घटनाएं लगातार होती रहती है. यहां पर हर 90 मिनट में से कम से कम एक महिला का बलात्कार होता है.जिम्बाब्वे नेशनल स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के अनुसार, देश में एक महीने में करीब 500 महिलाओं का यौन शोषण और हर दिन 16 महिलाओं के साथ रेप की वारदात हुई.

 

फिनलैंड में 47 प्रतिशत और डेनमार्क में 52 प्रतिशत महिलाएं शारीरिक शोषण और छेड़छाड़ का शिकार हुई हैं. हर 10 में एक महिला को 15 साल की उम्र से पहले ही किसी बालिग ने रेप का शिकार बनाया. अफगानिस्तान , इराक, पाकिस्तान समेत कई देश हैं जहां लड़कियों की जो हालत है उसे बयां नहीं किया जा सकता है.

 

आकंड़े भयावह है…डराने वाला है…लेकिन यह आधा सच है…क्योंकि लड़कियां चुपके-चुपके जो सहती है अगर वो सामने आ जाए तो दर्द का सैलाब आ जाए. लोग घर में बेटियों की पैदाइश होने से रोक दे. खुद को सभ्य समाज कहे जाने वाले इस समाज से एक अपील है वो बेटियों पर लगाम लगाने की बजाय बेटों को जंजीरों में बांध कर रखे…तब जाकर लड़कियां उड़ान भर पाएंगी…नहीं तो जो होगा वो हैदराबाद के रूप में आपके सामने हैं.

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