एस.एन.वर्मा
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राजदरबारो द्वारा तथा राज्य के मुखियां द्वारा दूसरे दूसरे देशो के राजाओ राजनयिको को गिफ्ट देने की परम्परा बहुत पुरानी है। यो तो आम आदमी में भी अपने स्तर के अनुसार गिफ्ट लेने देने की खायत भी आदिम युग से है। जब राजाओं का राज होत था तो उनके आदमी दूसरे देशो के राजाओं के राज्यो में जाति थे तो गिफ्ट ले जाते थे उन्हें देने के लिये वे जब वहां से लौटते थे तो वहां के राजा उनके देश के राजाओं को गिफ्ट भेजते थे। जब राजाओं के लड़ाइयां होती थी तो हारने वाला राजा हालाकि मजबूरी में विजेताराजा को तरह तरह के गिफ्ट देता था। जिसमे सोना चांदी दास दासी, लडकियां तक गिफ्ट किये जाते थे। आधुनिक काल में सदभाव और परम्परा के पालन में राष्ट्राध्यक्ष अपने यहां की बहुमुल्य कला कृतियां उसे देश का खास प्राडक्ट आदि एक दूसरे को गिफ्ट में दिया करते थे। अब के समय में राष्ट्राध्यक्ष अपने गिफ्टो को शासन में जमा करा देते है। यदाकदा दो एक चीजे अपने लिये भी रखलेते थे।
मतलब गिफ्ट की परम्परा बहुत पुरानी है। हाल में प्रधानमंत्री जी-7 के सम्मेलन में जर्मनी गये थे। वहां ओडीओपी गिफ्ट अपने साथ ले गये थे जो वहां आये राष्ट्रध्यक्षों को बांटे। इस तरह ओडी के सामानो के लिये एक तरह से ब्रान्ड एम्बेस्डर का काम कर रहे थे। इसमे जगह स्थानो की मशहूर चीजे जिन्हें वहीं के कलाकारो बनाई है लेकर के गये थे। इस कार्यवाई से कलाकार प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री की प्रशंसा में विभोर है कि उनके सामानो की मार्केटिंग बढ़ा रहे है। जो काम अपने आखिरी दिन गिन रहे थे, विलुप्त रहे थे या होने की कगार पर थे, जिससे बमुशकिल परिवार का खर्च चल पाता था उसको नई जिन्दगी दी अन्तरराष्ट्रीय पहचान बनाई। उनके धन्धे के नया जीवन मिल गया है और उसमें उछाल आ गया है।
गुलाबी मीनाकारी के कारीगर बनारस के रोहन विश्वकर्मा बताते है कि यह उनके यहां छह पीढ़ियो से चल रहा है। बमुशकिल गुंजर हो रहा था। रोहन अमेरिकी राष्ट्रपति के लिये गुलाबी मीनाकारी कफलिन्क और राष्ट्रपति की पत्नी के लिये गुलाबी मीनाकारी फिन बनाई थी। जिसे प्रधानमंत्री ने जर्मनी में जी-7 के सम्मेलन में उन दोनो को भेट दिया। रोहन कहते है वह हमारे पिता के समान है जो बच्चे की भलाई के लिये सोचते है। हमारा धन्धा बन्द होने के कगार पर था तब प्रधानमंत्री ने राह दिखाई। मैने कभी सोचा भी नही था कि मोदी जी हमारे प्रोडक्ट को इस निराले अन्दाज में मान्यता देगे। प्रयागराज की फिरोजा बेगम जो मंूज की टोकरियां बनाती है इसे प्रधानमंत्री मोदी ने सेनेगल के प्रेसिडेन्ट मैकीसाल को दिया। यह सुनकर फिरोज बेगम कहती है प्रधानमंत्री और यूपी के सीएम योगी जी ने हमारे प्राडक्ट को वौश्विक पहचान दिलाई है। किसी दूसरे प्रधानमंत्री ने हमारे प्राडक्ट में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। किसी नेता को गिफ्ट नही किया है। हम उनके कर्ज़दार है पहचान देने के लिये और वित्तीय रूप में उन्नति करने के लिये मदद पहुचाने के लिये। वाराणसी के राम प्रकाश जिन्होंने लाह पर राम दरबार बनाया है जिसे प्रधानमंत्री ने इन्डोनेसिया के प्रेसिडेन्ट जोफो विडोडो को गिफ्ट किया है कहते है कि किसने सोचा था कि कोई पीएम इस आर्ट को जिन्दा कर हम लोगो के एक नई ज़िन्दगी देगे। 2014 से पहले जो आर्ट हमारे मुख्य धन्धा था पिछले पांच पीढ़ियो से साइड बिजनेस बन गया था। आज हम लोगो की मांग पूरी नहीं कर पा रहे है। एक दरबार बनाने में 18 दिन लगते है।
सभी कारीगर प्रधानमंत्री और सीएम योगी की तारीफ करते थक नही रहे है। कहते है इन दोनो ने देशज आर्ट और क्रफ्ट को नई जिन्दगी दे दी है। यूपी में इसे खूब बढावा मिल रहा है। आभार प्रकट करने के लिये लोगो को शब्द नही मिल रहे है अटक अटक कर भांवावेश में बोल रहे है। कहते है हमें अन्तरराष्ट्रीय मान्यता दिला दी है जिसकी वजह से हमें जीवन यापन के लिये बाहर नहीं देखना पड़ता है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की वजह से हमे ग्लोबल प्लेटफार्म मिल गया है। प्रांजल ने इत्र बनाया है। कहते है हमे पहले से ही मालुम था कि विदेशी मेहमानो के लिये है हमने जान लगा दिया है।
अन्य राष्ट्रध्यक्षो को पीएम ने इस प्रकार गिफ्ट किया है। प्लेटिनम पेन्टेडटीसेट ब्रिटिश प्रधानमंत्री को जरदेजी बाक्स में इत्र की शीशीयां फ्रान्स के प्रेसिडेन्ट को जर्मन चान्सलर को मुरादाबादी मटका, जापान के प्रधानमंत्री को निजामाबाद का ब्लैक पाटरी, पच्चीकारी की हुई, संगमरर की टेबल टाप, इटली के प्रधानमंत्री को मेनगल के राष्ट्रपति को मंूज की टोकरी और काटनदरी।
मोदी और योगी के सोच को दाद देनी पड़ेगी किस तरह खत्म होते जा रहे आर्ट और क्राफ्ट को नई ज़िन्दगी देकर इसमें लगे परिवार जो उजड़ रहे थे उनके लिये जीविका साधन प्रदान कर दिया है। अब यह उनकी काबलियत पर है वे कितना आगे बढ़ते है।