घण्टाघर प्रदर्शन: शायर मुनव्वर राना की बेटी ने पुलिस पर लगाया अभद्रता का आरोप

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लखनऊ। ( सज्जाद बाक़र ) | हुसैनाबाद स्थित घण्टाघर पर सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं शायर मुनव्वर राना की बेटी व समाज सेविका उरुसा इमरान राना ने पुलिस पर अभद्रता करने का आरोप लगाया है। शुक्रवार को उरुसा इमरान राना ने प्रदर्शन के समर्थक अधिवक्ताओं के साथ एक प्रेस वार्ता की। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं के साथ स्थानीय पुलिस जुल्म और ज्यादती कर रही है। पुलिस हर रोज वहां पहुंच कर महिलाओं के साथ अभद्रता करती है।

उरुसा इमरान राना ने कहा कि गुरुवार को ठाकुरगंज थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार मिश्रा घण्टाघर पहंुचे और मुझसे अभद्र भाषा में बात करते हुए अपने सहयोगी से मेरी फोटो खींचने को कहा। उरुसा का आरोप है कि थानाध्यक्ष ने कहा, तुम सभी लोगों को झूठे मुकदमे में जेल भेज देंगे। उरुसा इमरान राना ने कहा कि संविधान में सभी नागरिकों को शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन की इजाजत दी है। प्रेस वार्ता में मौजूद अधिवक्ताओं ने कहा कि उरुसा इमरान राना एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और एक इज्जतदार घराने से ताल्लुक रखती हैं। पुलिस ने उरुसा इमरान राना सहित अन्य महिलाओं का सार्वजनिक स्थल पर अपमान किया है। यह निन्दनीय और असंवैधानिक है।

अधिवक्ता फरहा सिद्दीकी ने कहा कि हम पुलिस के रवैये के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। प्रेस वार्ता में समाजसेविका यासमीन खान व अधिवक्ता फरहा सिद्दीकी, अधिवक्ता सैफ, अधिवक्ता सुहैल व अन्य लोग मौजूद रहे।

आपको बता दें कि लखनऊ में सीएए को लेकर घंटाघर पर महिलाओं का प्रदर्शन आज 22 वें दिन भी लगातार जारी रहा। महिलाओं ने 17 जनवरी जुमे को दोपहर 2 बजे से सीएए के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया था। इसके बाद से महिलाएं दिन रात लगातार प्रदर्शन कर रही है। हालाँकि हर दें के मुक़ाबले शुक्रवार नमाज़ दुआ और क़ुरआन पढ़ने का सिलसला हर दिन की अपेक्षा अधिक होती है,और फिर शाम होते-होते जन सैलाब दिखने को मिलता है ।
ज्ञात हो कि पुलिस हर जगह महिलाओं के धरने को खत्म कराने के ताने बने बुनती है और महिलाए हैं कि CAA विरोधी प्रदर्शन पर अडिंग रहती है |
दिल्ली के शाहीन बाग की तरह ही मुंबई के नागपाड़ा में महिलाएं सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही हैं. महिलाओं पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है कि वे अपना आंदोलन खत्म करें. लेकिन महिलाओं का कहना है कि जब तक उनको सरकार की तरफ से आश्वासन नहीं मिल जाता है वे अपने आंदोलन को खत्म नहीं करेंगी.

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