अवधनामा संवाददाता
ललितपुर(Lalitpur)। बुंदेलखंड राज्य निर्माण वैचारिक मंच के द्वारा एक बुंदेलखंड स्तरीय डिजिटल संगोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर किया गया। जिसमें शिक्षा समाज सेवा विधि शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा, कृषि कार्य एवं व्यापार में अपना योगदान देने वाले बौद्धिक लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए आयोजन में बुंदेलखंड कॉलेज झांसी के प्रोफेसर श्याम मोहन पटेल ने अपने संदेश में कहा कि बुंदेलखंड राज्य निर्माण के विचार को जन जन तक पहुंचाने के लिए संकल्पित और सुनियोजित प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। महोबा से डा.अनीश पांडे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में राज्य निर्माण से क्या नए अवसर सृजित होंगे इनका स्पष्ट उल्लेख करते हुए पोस्टर बैनर छपवा कर इन्हें विभिन्न मंचों के माध्यम से प्रसारित किया जाना चाहिए। इसी प्रकार बानपुर से धनेंद्र परमार ने बुंदेलखंड राज्य निर्माण के क्षेत्र में योगदान देने वाले सभी लोगों से एक मंच से निरंतर प्रयास करने का आह्वान किया। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के कोषाध्यक्ष आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि बुंदेलखंड की लड़ाई एकजुट होकर ही लड़ी जा सकती है, जब तक हम केवल बुंदेलखंडी होकर अपनी वोट की शक्ति का एहसास नहीं कराएंगे। जब तक राज्य निर्माण संभव नहीं। बुंदेलखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री देवेश शर्मा ने चर्चा में जुड़े हुए साथियों से बुंदेलखंड राज्य निर्माण के मुद्दे को जनता का मुद्दा बनाने के लिए अभिवादन के समय जय बुंदेलखंड शब्द के प्रयोग का आह्वान किया। मातृ शक्ति के रूप में बहन स्वाति सचान समाज के मार्गदर्शक शिक्षकों से आह्वान किया कि वह अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने के क्रम में ग्रामीण क्षेत्र में राज्य निर्माण से होने वाले लाभ से लोगों को परिचित कराएं। डा.सुमन शर्मा ने बुंदेलखंड राज्य निर्माण से संबंधित अपनी कविता डिजिटल मंच के माध्यम से प्रस्तुत की जिस की सभी लोगों ने प्रशंसा की। इस अवसर पर गोष्ठी के संचालन का दायित्व निभा रहे बुंदेलखंड राज्य निर्माण वैचारिक मंच के प्रमुख हेमंत तिवारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में के बुंदेलखंड क्षेत्र में उच्च शिक्षा के असंतुलित विकास से ना केवल रोजगार के अवसर कम हुए हैं बल्कि यहां की मेधावी प्रतिभा कुंठित और उपेक्षित होकर बेरोजगारी की मार झेल रही है या आत्महत्या जैसे दंश के लिए क्षेत्र बदनाम हो रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिका विद्या वार्ता में इस बार बुंदेलखंड क्षेत्र की इस दुर्दशा को प्रमुखता से छापा गया है जिसमें शोध पत्र में बताया गया है कि बुंदेलखंड के ललितपुर महोबा जालौन जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के समुचित अवसर ना होने से यहां के किसान और बेरोजगार नौजवान अपनी प्रतिभा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं और यह क्षेत्र विकास की मुख्यधारा से कट गया है। आज के इस आयोजन में डा.बाबूलाल तिवारी, डा.दिनेश भार्गव, निदेशक केदारनाथ तिवारी, दिनेश बाबू गौतम, डा.अनीष पांडे महोबा, जसवंत सिंह जालौन, श्याम मोहन पटेल चित्रकूट, अनिल शर्मा, नीरज द्विवेदी, आदर्श रावत, प्रफुल्ल जैन, घनेंद्र परमार, अनन्त तिवारी, देवेंद्र रावत, राजपाल यादव, राजेश तिवारी, अभिषेक शर्मा, मयंक बबेले, सुमन शर्मा, अभिलाषा जैन, संध्या, कंचन प्रभा, कल्पना दीक्षित, मनीषा, अनिल शर्मा, देवेश शर्मा, अभिषेक खरे, निखिल द्विवेदी, हरिश्चंद्र नामदेव, ब्रजेश तिवारी, देवेंद्र जैन सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए समाज सेवी उपस्थित रहे। संगोष्ठी का संचालन वैचारिक मंच प्रमुख हेमंत तिवारी ने किया।