संयुक्त राष्ट्र। इजरायल और फलिस्तीन के बीच लगातार युद्ध जारी है। इस युद्ध में दोनों तरफ से हजारों लोगों की अबतक मौत हो चुकी है। फलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के साथ काम करने वाले 13,000 कर्मचारी लगातार बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। सभी कर्मचारी लगातार कर रहे बचाव कार्य और जंग के बीच “भयभीत और थके हुए” हैं। एजेंसी के एक प्रवक्ता ने हमास द्वारा संचालित गाजा पट्टी में स्थिति को “नरक” बताया है।
फलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) गाजा पट्टी में काम करने वाली सबसे बड़ी संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है। इसका संचालन गाजा में बड़े स्तर पर किया जा रहा है। राहत बचाव कार्य में एजेंसी के तेरह हजार कर्मचारी शामिल हैं। गाजा में चल रहे युद्ध के बीच 13,000 मजबूत यूएनआरडब्ल्यूए कर्मचारियों में शिक्षक, डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, गोदाम कर्मचारी, रसद विशेषज्ञ, तकनीशियन और ड्राइवर शामिल हैं।
यूएनआरडब्ल्यूए की संचार निदेशक जूलियट टौमा ने गाजा में मानवीय स्थिति पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यहां संवाददाताओं से कहा,“गाजा पट्टी में हमारा एक बहुत बड़ा ऑपरेशन चल रहा है। हमारे कर्मचारियों से जो बार- बार मैसेज आ रहे हैं कि… वे सभी डरे हुए हैं और वे थके हुए हैं। वे चाहते हैं कि यह सब जल्द ख़त्म हो जाए और हमें जो संदेश मिल रहा है वह है कि सभी कर्मचारी बोल रहे हैं कि ‘हमें इस नरक से बाहर निकालो। यह जगह अब नरक बन चुका है।” टौमा ने कहा कि इजराइल की सप्ताह भर की घेराबंदी और बमबारी के बीच ‘एसओएस’ के संदेश दिन-ब-दिन चिंताजनक होते जा रहे हैं।
गाजा में बढ़ रहा है हताशा का स्तर
जूलियट टौमा ने कहा, “कर्मचारियों की तरफ से आ रहे इन खबरों से हम सभी निराश हैं। मुझे लगता है कि हताशा का स्तर बढ़ रहा है। हमारे कर्मचारी हमारे साथ साझा कर रहे हैं अनिश्चितता का दौर हर घंटे बढ़ता जा रहा है।
टौमा ने कहा कि यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर आतंकी हमला किया और यहूदी राज्य ने आतंकवादी समूह को खत्म करने के लिए युद्ध की घोषणा की। इस युद्ध में लगभग दस लाख फलिस्तीनी विस्थापित हो गए हैं और उनमें से लगभग आधे गाज़ा पट्टी के यूएनआरडब्ल्यूए स्कूलों में शरण ले रहे हैं।