जबरन धर्मांतरण संविधान के खिलाफ:कहा- भारत में रह रहे हैं तो यहां के कल्चर के हिसाब से चलना होगा

0
148

नई दिल्ली। जबरन धर्मांतरण मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस बार भी जबरन धर्मांतरण को गंभीर समस्या बताया और कहा कि जबरन धर्मांतरण भारत के संविधान के खिलाफ है। 14 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसे रोकने का प्लान पूछा था और हलफनामा दाखिल करने को कहा था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविवकुमार की बेंच को बताया कि वे सभी राज्यों से जबरन धर्मांतरण का डेटा इकठ्ठा कर रहा है। इसके लिए उन्होंने कोर्ट से एक हफ्ते का समय मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।
याचिकाकर्ता ने की थी धर्म परिवर्तन रोकने के लिए अलग से कानून बनाने की मांग
जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी कि धर्म परिवर्तनों के ऐसे मामलों को रोकने के लिए अलग से कानून बनाया जाए या फिर इस अपराध को भारतीय दंड संहिता में शामिल किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह मुद्दा किसी एक जगह से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा- भारत में रहने वालों को यहां की संस्कृति के हिसाब से चलना होगा
एक वकील की तरफ से इस याचिका की मान्यता पर सवाल उठाए जाने पर बेंच ने कहा कि इतना टेक्निकल होने की जरूरत नहीं है। हम यहां पर उपाय ढूंढने के लिए बैठे हैं। हम यहां एक मकसद के लिए हैं। हम चीजों को ठीक करने आए हैं। अगर इस याचिका का मकसद चैरिटी है, तो हम इसका स्वागत करते हैं लेकिन यहां नीयत पर ध्यान देना जरूरी है।
बेंच ने आगे कहा कि इसे आप अपने विरोध के तौर पर मत देखिए। यह बेहद गंभीर मुद्दा है और आखिरकार हमारे संविधान के विरुद्ध है। जब आप भारत में रह रहे हैं तो आपको यहां की संस्कृति के हिसाब से चलना होगा।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से कहा था- ईमानदारी से कोशिश करें
पिछली सुनवाई में धर्मांतरण को बहुत गंभीर मुद्दा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस मामले में दखल देने को कहा था। साथ ही यह भी कहा कि इस चलन को रोकने के लिए ईमानदारी से कोशिश करें। कोर्ट ने इस बात की चेतावनी भी दी कि अगर जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो बहुत मुश्किल परिस्थितियां खड़ी हो जाएंगीं।
केंद्र ने बताया था- आदिवासी इलाकों में ज्यादा होते हैं ऐसे मामले
केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि धर्म परिवर्तन के ऐसे मामले आदिवासी इलाकों में ज्यादा देखे जाते हैं। इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि अगर ऐसा है तो सरकार क्या कर रही है। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र से कहा कि इस मामले में क्या कदम उठाए जाने हैं, उन्हें साफ करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के तहत धर्मांतरण कानूनी है, लेकिन जबरन धर्मांतरण कानूनी नहीं है।
केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि 1950 में संविधान सभा में इस बारे में चर्चा की गई थी और सरकार भी इस मसले से वाकिफ है। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही इस बारे में अपना जवाब दाखिल करेगी।
टारगेट पर बिहार की हिंदू लड़कियां, मंदिर जाने से रोकते; कहते- नमाज पढ़ो
बिहार की हिंदू लड़कियां जिहादियों के टारगेट पर हैं। पूर्णिया के रहने वाले रहमान ने राम बनकर पहले सोशल मीडिया पर पूजा से दोस्ती की। इसके बाद प्यार का नाटक शुरू किया। धीरे-धीरे उसके करीब आया। फिर शादी का प्रस्ताव रख दिया। शादी के बाद धर्म बदलने के लिए मारपीट शुरू कर दी। कहता था मंदिर मत जाओ…नमाज पढ़ा करो।
छात्राओं को बाहर चलने और अकेले मिलने बुलाते हैं प्रोफेसर
इंदौर में शासकीय लॉ कॉलेज में कुछ शिक्षकों पर धार्मिक कट्टरता फैलाने और छात्राओं को बाहर चलने और अकेले में कैफे पर मिलने के लिए भी बुलाने का आरोप लगा है। इसे लेकर छात्र नेताओं ने कॉलेज में हंगामा किया। विवाद बढऩे के बाद कॉलेज प्रशासन ने 6 शिक्षकों को 5 दिन के लिए कार्यमुक्त कर दिया। साथ ही मामले में जांच की बात भी कही है। उच्च शिक्षा विभाग की अतिरिक्त संचालक तक भी बात पहुंची है।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here