एस. एन. वर्मा
श्रद्धान्जली
सत्तर के दशक के भारतीय बैटर और बालर को जिन लोगों ने रूबरू देखा है वे स्वीकार करेगे सलीम म्रीक दन्तकथा के नायक लगते थे। लम्बा चौड़ा कद, कमीज की कालर ऊपर उठी ऊंची गाल की हड्डियां, लहरदार बाल, चमकीली आंखे, होटो पर तैरती हमेशा हल्की मुस्कान, उनके क्रिकेट की तरह उनकी छवि को भी आकर्षक बनाती थी। उनके व्यक्त्वि से प्रभावित फिल्म दुनियां के सबसे खूूबसूरत अभिनेता देवानन्द उनसे पूछते है हीरो बनेगो। परवीन बावी के साथ किसी फिल्म में काम भी किया था, अशोक कुमार, मीना कुमारी के साथ भी एक प्रोजेक्ट बना था जो पूरा नहीं हो पाया था। पाकीजा के लिये भी वो निगाह में थे। उन्हीं से क्रिकेट में हीरो वर्शिप शुरू हुई। उस समय के लिहाज से उनका क्रिकेट कैरियर बहुत सफल और आकर्षिक तो रहा ही। इस दिग्गज क्रिकेटर का 88 साल की उम्र में चला जाना दुखदायी रहा। वह बेहद शरीफ इन्सान तो थे ही क्रिकेट को मनोरंजक बनाने वाले खिलाड़ी भी थे। दर्शकों की मांग पर छक्का लगाते थे। 2 अप्रैल को दुनियां को अलविदा कह दिया।
सलीम दुर्रानी काबुल में जन्में पर क्रिकेट भारत के लिये खेलते थे। अपने अन्दाज और दिल जीतने की कला की वजह से लोग उन्हें शाहजादा सलीम कहते थे। दुर्रानी ने 29 टेस्ट खेले, कुल 1202 रन बनाये, सबसे हाईएस्ट स्कोर 104 का उनका एकलौता शतक है, 7 बार 50 रन बनाये, स्पिनर के रूप में 75 विकेट लिये। भारतीय टीम के जिताऊ खिलाड़ी थे।
जिस समय क्रिकेट खेल रहे थे उस समय यद्यपि भारतीय क्रिकेट में कई प्रतिभावान अन्तरराष्ट्रीय स्तर के दिग्गज खिलाड़ी थे। पर उस समय क्रिकेट बहुत सीमित था। लम्बे अन्तराल के बाद टेस्ट मैच होते थे। उस समय बल्ला भी दूसरे किस्म का होता था। क्रिकेटर खेलते समय सिर्फ लेगगार्ड और गल्वज पहनते थे। उस समय बेस्ट इन्डीज, आस्टेªलिया, इंग्लैन्ड में दिग्गज फास्ट बालर होते थे। भारत में कपिल देव के पहले फास्ट बालिंग केवल औपचारिकता रही है। मदनलाल अक्सर फास्ट बालर के रूप में ओपेनिग करते थे स्पिनर के रूप में भारत में कई सितारे थे जिनके दम पर मैच जीतते थे।
उनके खेल में नजारा होता था इडेन गार्डन के 9000 दर्शक क्रिकेट प्रेमी सिक्सर सिक्सर चिल्लाते थे और वह गेद उछाल कर बाउन्ड्री के पार करा देते थे। हालाकि दुर्रानी कहते थे कि लोग कहते है हम दर्शकों की मांग पर सिक्सर लागते थे पर हकीकत यह है कि यह इत्तफाक होता था। उसी समय के बाल के अनुसार सिक्सर की तैयारी में रहता था। सोच समझकर ही सिक्सर लगाता था। गावस्कर ने लिखा है अगर दुर्रानी आत्मकथा लिखेगे तो उसका शीर्षक होगा आस्कफार ए सिक्स। उनके खेल का कैरियर 1960 से 1973 तक फैला हुआ था। उस समय टेस्ट मैच के लिये 300 रूपये मिलते थे।
1971 के दौर में गावस्कर ने अपनी टीम को वेस्टइन्डिज के खिलाफ पहली जीत दर्ज कराई थी पर यह सम्भव नही होता अगर सलीम दुर्रानी अपने एक ही स्वेल में क्लाइवलायड और गैरी सोबर्स का विकेट नहीं लिया होता। इंग्लैन्ड दौरे में दुर्रानी को भारतीय टीम में जगह नहीं मिली थी। क्योकि बोर्ड का ख्याल था दुर्रानी इंग्लैन्ड के पिच के लिये अनुकूल नहीं है। इसीलिये उन्हें आस्टेलिया और न्यूजीलैन्ड के दौरे के लिये भी नही चुना गया। इंग्लैन्ड के खिलाफ इडेन गार्डेन में अर्धशतक जमाने के बाद भी उन्हें कानपुर टेस्ट के लिये नहीं चुना गया। दर्शकों ने पोस्टर दिखा दिये, अगर सलीम नहीं तो टेस्ट नहीं। यह थी उनकी जनता के दिलों में पैठ।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने सलीम को इस प्रकार अपनी भावान्जली दी। सलीम दुर्रानी जी महान क्रिकेटर थे। अपने आप में एक संस्थान थे। मुझे उनसे बात करने का मौका मिला। मै उनकी बहुमुखी प्रतिमा से बहुत प्रभावित रहा। उनकी कमी निश्चित तौर पर खलेगी।
वह राजा और रंक दोनो के साथ समान व्योहार दिखाते थे। स्वभाव में इतने सरल थे कि किसी को भी अपने व्योहार से व्यथित नहीं करते थे। इसीलिये लोग उन्हें बड़ी इज्जत अपनेपन से बुलाते थे। इतने नरम दिल थे कि एक बार टेªन में गवास्कर को बहुत ठन्ठ लग रही थी। अपना गरम कोट उतार कर उन्हें पहना दिया खुद सर्दी से बीमार पड़ गये। एक बुढ़िया भिखारिन को अपने टीम की जर्सी उतारकर पहना दी। फिर लोगो ने डराया कि टीम जर्सी के लिये मैने जमेन्ट नाराज होगा तो उस बुढ़िया को खोजते वे फिरे।
अभिनेत्री शार्मिला टैगोर की कोर्टशिप में नवाब पटौदी और सलीम दुर्रानी दोनो थे। पर शार्मिला ने नवाब को तरजीह दी। पूर्वज अफगानिस्तान में थे फिर कराची आये और फिर जामनगर में बस गये।
पूर्व क्रिकेटर घावरी बताते है उनके फैन की संख्या बड़ी तादाद में थी। 1972-73 में इंग्लैन्ड की टीम बाम्बे में टेस्ट खेलने आई थी वही पहली बार उन्होंने दुर्रानी को खेलते देखा था। दुर्रानी को 14 की टीम में जगह नहीं दी गयी थी। बम्बे के क्रिकेट प्रेमियों ने मैनेजमेन्ट पर भारी दबाव बनाया मीडिया भी उनके फैन्स के साथ थी। टाइम्स आफ इन्डिया ने बड़े हेडलाइन के साथ छापा नो सलीम दुर्रानी नो टेस्ट मैच इन बाम्बे फैन्स ने धमकी दी दुर्रानी नही खेले तो स्टेडियम और बीसीसीआई मफिस फूंक देगे। अन्ततः टीम में आये और 73 रनों की पारी खेली।
हरि अन्नता हरि कथा अनन्ता। दुर्रानी तो अननन्त नहीं थे पर उनकी खूबियां मैदान में और मैदान के बाहर अनन्त थी। क्रिकेट में एक से एक टेलेन्ट है और आयेगे पर दुर्रानी अपने तरह के अकेले थे।
अवधनामा परिवार की ओर से श्रद्धान्जी