अवधनामा संवाददाता
भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषिः पूर्व निदेशक प्रो0 ए0के0 सिंह
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में रविवार को अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग पुरातन छात्र सभा का प्रथम राष्ट्रीय समागम के अन्तर्गत ’भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान परिदृश्य के साथ सतत् विकास’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि गिरी शोध अध्ययन संस्थान लखनऊ के पूर्व निदेशक प्रो0 ए0 के0 सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था के सतत विकास और सम्भावनाओं प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि है। कोविड महामारी के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था अपने विकास पथ से विचलित नहीं हुई इसके पीछे मुख्य कारण भारतीय कृषि क्षेत्र रहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश की कुल आबादी का 60 से 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि एवं उस पर आधारित लघु एवं कुटीर उद्योगों पर ही आश्रित है। कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के आत्मनिर्भर स्वरूप का भी आधार है। उन्होंने बताया कि घरेलू उत्पाद विकास दर जो गुणवत्तापरक होनी चाहिए। वर्तमान में इसके दर के निर्धारण में देखने को नही मिल रहा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के बजट चर्चा करते हुए स्थिर कीमत दर पर आर्थिक वृद्धि दर की बात की। इसके अलावा इण्डस्ट्रियल इण्टर प्राइजेज मेमोरेण्डम के विकास पर चर्चा की।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 पी0के0 सिन्हा ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में आय एवं रोजगार के स्वरूप में बदलाव आना स्वाभाविक है। इस दौरान लघु एवं मध्यम उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संकटमोचक बने है। प्रो0 सिन्हा ने बताया कि मानव विकास और सतत विकास के क्रम में सबसे जरूरी है कि आय की विषमता का कम होना है जोकि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बढ़ रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कला एवं मानविकी संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने बताया कि पुरातन छात्र सभा द्वारा समावेशी विकास पर आधारित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी निश्चित रूप से छात्र-छात्राओं को भारतीय अर्थव्यवस्था के समावेशी विकास के बहु-आयामी स्वरूप से परिचित करायेगी। उन्होंने बताया कि आज लक्षित विकास की दर को लम्बे समय तक बनाये रखने की जरूरत है। इसके साथ ही समावेशी विकास के क्रम में पर्यावरण के क्षरण को रोकना होगा। कार्यक्रम के संयोजक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ’इरडा’ के प्रथम पुरातन छात्र सभा सम्मेलन में उत्तर-प्रदेश उत्तराखण्ड आर्थिक संघ के संरक्षक प्रो0 ए0 के0 सिंह ने एसोसिएशन की वेवसाइट का सामान्य लोगो के अवलोकन के लिए लोकार्पण किया गया है। इसी दौरान प्रो0 सिंह द्वारा लिखी पुस्तक फिस्कल रीफार्म एण्ड स्टेट फाइनान्स इन इण्डिया का भी लोकार्पण किया गया। प्रो0 श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर-प्रदेश उत्तराखण्ड आर्थिक संघ अर्थशास्त्र के विद्वानों की एक महत्वपूर्ण संस्था है जिसमें पूरे देश के लगभग तीन हजार विषय विशेषज्ञ शोधार्थी एवं शिक्षाविद् आजीवन सदस्य है। उन्होंने बताया कि अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग पूर्व पुरातन छात्र सभा (इरडा) के प्रथम सम्मेलन का उद्देश्य पुरातन छात्र-छात्राओं को एक मंच पर लाते हुए विभाग एवं विश्वविद्यालय के विकास में उनके अनुभव एवं उनकी सहभागिता को सुनिश्चित करना है। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में लगभग 200 प्रतिभागियो ने हिस्सा लिया जिसमें प्रमुख रूप से यूपीया के अध्यक्ष एवं आईएचडी नई दिल्ली के निदेशक प्रो0 रवि श्रीवास्तव, भोपाल मध्य प्रदेश से प्रो0 ए0 के0 मित्तल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रो0 प्रहलाद कुमार, देहरादून उत्तराखण्ड से बी0 वी0 चैरसिया, गढ़वाल विश्वविद्यालय से प्रो0 एम0सी0 सती, लखनऊ विश्वविद्यालय से प्रो0 भारती पाण्डेय, यूपीया के कोषाध्यक्ष प्रो0 दुष्यन्त कुमार, झांसी से प्रो0 सी0वी0 सिंह, नवयुग महाविद्यालय लखनऊ की प्राचार्य प्रो0 मंजुला उपाध्याय, रज्जू भैया विश्वविद्यालय से डाॅ0 प्रदीप कुमार त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा डाॅ0 राममनोहर लोहिया की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन करके किया गया। कार्यक्रम का संचालन ललित कला की डाॅ0 सरिता द्विवेदी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन इरडा की महासचिव डाॅ0 अलका श्रीवास्तव द्वारा किया गया। संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में आशीष प्रजापति, श्रीमती कविता पाठक, सुनील कुमार जयसवाल, शिव कुमार मौर्य, सुष्मिता सिंह, डाॅ0 संजय कुमार शुक्ला, डाॅ0 रामकेश, रामजी वर्मा, डाॅ0 सौम्या मोदी, प्रो0 मंजुला उपाध्याय, डाॅ0 जय प्रकाश वर्मा, हरि नाथ, अनुजेन्द्र तिवारी, अस्वनी द्विवेदी, विवके कुमार तिवारी, सल्लन अली, प्रीती त्रिपाठी, संतोष कुमार द्विवेदी, डाॅ0 विनय प्रकाश मौर्या, शैलेन्द्र तिवारी, मोनिका, मनीष दूबे, सूरज भान सोनकर, सत्तेन्द्र कुमार सिंह, इरडा कोषाध्यक्ष अनिल कुमार आदि के साथ गैर शैक्षणिक कर्मचारी विजय कुमार शुक्ला, कुशाग्र पाण्डेय, शिव शंकर यादव आलोक कुमार एवं बड़ी संख्या में शोधार्थी छात्र-छात्राएं मौजूद रहे ।