अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी । तहसील रामनगर क्षेत्र अंतर्गत महादेवा का प्रसिद्ध अगहनी मेला अब समाप्त हो चुका है। स्थानीय लोगों की माने तो करीब डेढ़ दशक पूर्व महादेवा के अगहनी मेले की छटा देखते ही बनती थी। केला मंडी, अदरक मंडी, हल्दी मंडी ,पशु बाजार ,ऊनी वस्त्र व कपड़ों की दुकान ,बक्सा व बर्तन की दुकान,दरी व कंबल की दुकान ,रामबाण सुरमा की दुकान, जूता चप्पल की दुकान, मौत कुआं ,अजायबघर ,सर्कश ,नृत्य पार्टी,सिनेमा,झूला,लोगों का मन मोह लेती थी । महादेवा मेले में दूर दराज से रिश्तेदार नातेदार भी मेला देखने के लिए आते थे । लोग साल भर के लिए मसाला आदि की खरीदारी भी करते थे। मेला महोत्सव समिति द्वारा कवि सम्मेलन ,जवाबी कीर्तन, दंगल, पशु प्रदर्शनी सहित तमाम प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाते थे । किंतु डेढ़ दशक से दुकानदारों ,बंजारों ,स्थानीय व बाहरी लोगों का मेले से ऐसा मोहभंग हुआ कि आज की स्थिति में मेला समाप्त हो गया है। सूत्रों की मानें तो अगहनी मेला को समाप्त करने में पूर्व में जिला पंचायत व निजी भूमि मालिकों द्वारा मेले की तहबाजारी में मनमाफिक किराया की वसूली का भी एक मुख्य कारण शामिल है। पशु बाजार में लिखाई भी इतनी ज्यादा होने लगी थी कि पशु बाजार भी उजड गई। बताते चलें कि बाराबंकी जनपद में देवा, कोटवा और महादेवा का अगहनी मेला पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध था। किंतु अदानी मेला समाप्त होने में प्रशासनिक उपेक्षा के साथ-साथ स्थानीय लोगों की भी भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है। यदि स्थानीय लोगों का बाहर से आने वाली दुकानदारों श्रद्धालुओं के प्रति सहयोग की भावना होती तो शायद आज महादेवा के अगहनी मेले की ऐसी दुर्दशा न होती। सावन कजरी तीज व महाशिवरात्रि पर लगने वाला मेला केवल महादेवा में बचा है किंतु यदि ऐसे ही निजी भूमि स्वामियों द्वारा मनमाफिक किराया वसूली होती रही तो लगने वाले इन मेलों पर भी विपरीत असर पड़ेगा।