लखनऊ विकास प्राधिकरण के कर्मचारी नेता शिवप्रताप सिंह के विरुद्ध आय से अधिक सम्पत्ति का मुकदमा दर्ज हुआ है। विजिलेंस ने जांच के बाद शासन की अनुमति पर यह मुकदमा पंजीकृत कराया है। कर्मचारी नेता शिवप्रताप सिंह पर पहले भी कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं।
प्राधिकरण के कर्मचारी नेता शिवप्रताप सिंह की सम्पत्ति की जांच के लिए रामकिशोर शुक्ला ने एक प्रार्थना पत्र दिया था। जिसके बाद जांच विजिलेंस को दे दी गयी थी। विजिलेंस के अधिकारियों ने आय से अधिक सम्पत्ति की जांच के दौरान कुछ जानकारियां एकत्रित की और इसी के आधार पर शासन से मुकदमा पंजीकृत करने की अनुमति मांगी गई थी। जिस पर प्रमुख सचिव स्तर से आदेश कर दिये गये।
कर्मचारी नेता शिवप्रताप सिंह ने अपने ऊपर लगाये गये आरोपों को झूठा करार दिया। शिवप्रताप ने कहा कि जब से जांच चल रही है, रामकिशोर शुक्ला को कई बार कागजी नोटिस गयी है लेकिन अभी तक उनका चेहरा किसी ने नहीं देखा। रामकिशोर के पता पर जाने वाली कोई नोटिस रिसीव नहीं हुई। अब मेरे ऊपर मुकदमा लिखा जा रहा है तो मेरा कहना है, फैसला न्यायालय में होगा।
उन्होंने कहा कि विजिलेंस के अधिकारियों के पास जांच में जो भी सबूत मिले होंगे, उसके आधार पर वे न्यायालय में आयेंगे और जो कुछ कागजात मेरे पास हैं उसे लेकर मैं न्यायालय में प्रस्तुत करूंगा। फिर शिकायतकर्ता रामकिशोर शुक्ला को भी तो सामने आना होगा। आय से अधिक सम्पत्ति की शिकायत से लेकर मुकदमा लिखने तक सिर्फ मेरे विरुद्ध साजिश की जा रही है।
लखनऊ विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों की माने तो शिवप्रताप सिंह ने सैकड़ों लोगों की मदद की है। निशुल्क मदद करने वाले शिवप्रताप को फंसाया जा रहा है। उन्होंने आजतक बहुत सारी नीलामी में दूसरों को जानकारी देकर मकान दिलाये हैं। गरीब, कमजोर लोगों की हर सम्भव मदद की है। प्राधिकरण की पुरानी बिल्डिंग में आते ही दांयी ओर पर शिवप्रताप सिंह के कर्मचारी संगठन का कार्यालय मौजूद है।