नई दिल्ली (New Delhi) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि सरकार की नजर राजकोषीय घाटे पर है। चालू वित्त वर्ष में इसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.5 फीसदी रहने का अनुमान है। पिछले सप्ताह बजट पेश करने के बाद उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स (PhD Chamber of Commerce) के सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा ऐसा है, जिससे बचा तो नहीं जा सकता लेकिन साथ ही हमें इस पर नजर रखनी है और सावधानीपूर्वक इस पर अंकुश लगाना है।
चालू वित्त वर्ष के बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.5 फीसदी के स्तर पर रखने का लक्ष्य था। लेकिन कोविड-19 (Covid-19) संकट के बीच अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये अधिक खर्च करने की जरूरत पड़ी। इससे राजकोषीय घाटा ऊंचा रहने का अनुमान लगाया गया है। संशोधित अनुमान में चालू वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.5 फीसदी रहने की संभावना जतायी गयी है। सरकार के व्यय और आय के अंतर को दर्शानेवाले राजकोषीय घाटा के अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी का 6.8 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया है। इसे 2025-26 तक कम कर 4.5 फीसदी के स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा गया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने बजट को पारदर्शी बनाया है और कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसे छिपाया गया है। उन्होंने कहा, ‘सरकार कितना कर्ज ले रही है, क्या और कहां खर्च कर रही है, यह हर कोई देख सकता है।’ सीतारमण ने कहा कि सरकार उन क्षेत्रों पर ज्यादा खर्च कर रही है, जिसका असर दूसरे संबंधित उद्योगों पर व्यापक पड़ता है। विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र को दीर्घकालीन वित्त पोषण उपलब्ध कराना डीएफआई का काम है। लेकिन यह काम केवल एक डीएफआई का नहीं है बल्कि यह निजी विकास वित्त संस्थानों के सामने आने का एक अवसर है।
इससे पहले पीएचडी उद्योग मंडल के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने 2021-22 के बजट में आर्थिक वृद्धि और विकास को नयी ऊर्जा देने के लिए जिस तरह से सधी हुई राजकोष नीति अपनायी है वह सरहानीय है। उन्होंने कहा कि इस नीति से बुनियादी ढांचा विकास की परियोजनओं में निवेश बढेगा और जैसा कि वित्त मंत्री ने कहा है, इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी, मांग बढ़ेगी और आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा।