सिद्धार्थनगर। सीखने की प्रक्रिया भयमुक्त, सहज एवं बाल केंद्रित होनी चाहिए। शिक्षकों को बहु श्रेणी और बहुस्तरीय अधिगम क्षमता वाले बच्चों के अनुरूप कक्षा शिक्षण की योजना बनाकर शिक्षण कार्य करने पर सभी बच्चे अपेक्षित अधिगम स्तर को सरलता पूर्वक प्राप्त करते हैं।
ब्लॉक संसाधन केंद्र नौगढ़ डायट बांसी एवं ह्यूमाना पीपुल टू पीपुल संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र में यह विचार बीईओ धर्मेन्द्र कुमार पाल ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
कार्यक्रम के दौरान एसआरजी मेंबर अंशुमान सिंह ने बच्चों के सकारात्मक एवं नकारात्मक पुनर्बलन के विभिन्न प्रभावों एवं दुष्प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की। संदर्भदाता सिद्धार्थ त्रिवेदी ने प्राचीन मठ, मकतब, मदरसा एवं गुरूकुल परंपरा की शिक्षण व्यवस्था में समूह आधारित संस्कारयुक्त शिक्षा व्यवस्था की चर्चा करते हुए वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को संस्कार एवं मानवीय मूल्य आधारित बनाने पर बल दिया। कार्यक्रम को एचपीपीआई संस्था के जिला समन्वयक जैनेंद्र कुमार,संदर्भदाता राजेन्द्र शर्मा, सिद्धार्थ त्रिवेदी, अभिषेक पाल, एवं कदम एक्सीलेटर नीरज कुमार ने भी संबोधित किया।
कार्यशाला में आयोजित विभिन्न चर्चा सत्रों में किरन उपाध्याय,नियाज अहमद, आलोक आनंद, उमेश कुमार, आलोक शर्मा, शिखा श्रीवास्तव, शैलेष श्रीवास्तव, राजेश कुमार, आशीष कुमार,अर्चना मौर्या, प्रतिष्ठा मेहता, आदि की सक्रिय उपस्थित रही।