छुट्टा पशुओं व नीलगाय से किसान परेशान, जिम्मेदार मौन

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अवधनामा संवाददाता

खेतो में खड़ी फसलें, हरी सब्जी व गन्ने को धड़ल्ले से पहुंचा रहे नुकसान

झुंड में घूम रहे है नीलगाय, हादसे का बन रहे शबब

 

कुशीनगर। जनपद में निराश्रित पशुओं के संरक्षण से मुक्त होने के बावजूद भी किसान परेशान है। किसानों के खेतों में छुट्टा पशुए धड़ल्ले से फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, और इन पर अंकुश लगाने वाला जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए है। इसे लेकर किसानों में जिला प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश है।

जिले के चार नगर निकायों में छुट्टा पशुओं के देखभाल के लिए कान्हा पशु आश्रय केंद्र संचालित होते हैं। इसके अलावा खड्डा के कोपजंगल में वृहद गो आश्रय केंद्र व दो प्राइवेट गौशाला संचालित है। नगर निकाय के कान्हा पशु आश्रय केंद्र हाटा में 41, कप्तानगंज में 32, रामकोला में 25 व खड्डा को मिलाकर 124 निराश्रित पशुओं के अलावा खड्डा के कोपजंगल स्थित वृहद गौ आश्रय केंद्र एक में 330 व 428 पशुओं को मिलाकर कुल 882 निराश्रित पशु है। वही जनपद में दो पंजीकृत गौशाला पिंजरापोल गौशाला पडरौना और श्री कृष्ण गौशाला तमकुहीरोड में मिलाकर कुल 997 निराश्रित पशुओं की देखभाल की जाती है। 493 निराश्रित पशुओं को किसानों की सुपुर्दगी में दी गई है। पशुपालन विभाग ने पिछले 31 मार्च तक जनपद को 1588 निराश्रित पशुओं के संरक्षण लक्ष्य के सापेक्ष 1762 पशुओं का संरक्षित कर गो वंश मुक्त करने का दावा कर रहा है। इसके बावजूद जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में धड़ल्ले से निराश्रित गो वंश किसानों के खेतों में पहुंचकर नुकसान पहुंचा रहे है। कसया क्षेत्र के साखोपार, रामकोला क्षेत्र के कुसम्ही, जमुनी पट्टी, कप्तानगंज क्षेत्र के मठिया उर्फ अकटहां, नारायनपुर टीकुलही टोला, देउरवा, खभराभार, मोतीचक के पैकोली, मंगुरही सहित जनपद के विभिन्न हिस्सों में छुट्टा पशुओं के अलावा नीलगाय किसानों के खेतों को नुकसान पहुंचा रहे है, लेकिन संबंधित विभाग इस पर ध्यान नहीं दे रहे।

निलगायों का नही है कोई बंदोबस्त

सरकार निराश्रित छुट्टा पशुओं के लिए आश्रय केंद्र बनाकर रहने व चारा का व्यवस्था तो कर दिया है लेकिन नीलगाय पशुओं के लिए कोई बंदोबस्त नही है। ये पशूए दर्जनों के झुंड में देखे जा रहे है जो किसानों के फल, सब्जी व फसलों को रातों दिन नुकसान पहुंचा रहे है, इतना ही नहीं इनके चपेट में आने से कई लोग मौत को गले लगा चुके है, इसके साथ ही सड़क हादसे भी हो जा रहे है, लेकिन विभाग इन जानवरों को बंदोबस्त करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं बनाया है जिससे इन जानवरों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

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