किसान वैज्ञानिक तौर- तरीके से हो परिचित: प्रोफेसर पंजाब सिंह

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Farmers should be familiar with scientific method: Professor Punjab Singh

अवधनामा सवाददाता

पसही में आयोजित  किसान गोष्ठी में जुटे कृषि वैज्ञानिक, दिए टिप्स
 पंडित राम नाथ पाठक व रघुनाथ पाठक के चित्र पर माल्यार्पण से हुई गोष्ठी की शुरुआत
सोनभद्र(Sonbhadra) प्रगतिशील खेती मौजूदा दौर की सबसे बड़ी जरूरत है। किसान प्रगतिशील खेती पर ध्यान दें और इसके लिए वैज्ञानिक तौर-तरीकों से परिचित हों। उक्त बातें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पंजाब सिंह ने सदर ब्लॉक क्षेत्र अंतर्गत  पसही कला ग्राम पंचायत में
पंडित रामनाथ रघुनाथ फामर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की ओर से आयोजित कृषक गोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि प्रगतिशील खेती के जरिए किसान न सिर्फ बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं बल्कि कम लागत में अधिक मुनाफा भी प्राप्त कर सकते हैं। इस दौरान उन्होंने प्रगतिशील खेती के विविध आयामों के बारे में किसानों को टिप्स दिए।  गोष्ठी की शुरुआत पूर्व विधायक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रामनाथ पाठक और रघुनाथ पाठक जी के चित्र पर माल्यार्पण और
आचार्य विनय शुक्ला जी के द्वारा मंगलाचरण से किया गया। इस दौरान
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ पीके बहेरा, पूर्व निदेशक डॉ जगदीश सिंह, कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रो० शिवराज सिंह, अंतराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ० मलय कुमार भौमिक और डॉ प्रदीप सगवाल, फार्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी डॉ उमेश सिंह, सदस्य प्रोफेसर संतोष कुमार सिंह और डॉ राजेश सिंह ने किसानों को उन्नतशील खेती के विविध पहलुओं से अवगत कराया। इतना ही नहीं गोष्ठी में जुटे किसानों की समृद्धि और खुशहाली के लिए सब्जी की विभिन्न प्रजातियों की खेती के बारे में भी बताया गया। पूरी तरह से किसानों के लिए आयोजित इस गोष्ठी में इफको के मुख्य प्रबंधक एसके राय ने भी नैनो यूरिया से कृषि संवर्धन के बारे में  जानकारी दी। स्वागत भाषण कंपनी के प्रबंध निदेशक डॉ मार्कंण्डेय राम पाठक और धन्यवाद ज्ञापन निदेशक रमाकांत देव पांडेय ने किया। संचालन कौशलेश पाठक ने किया। इस मौके पर व्यासमुनी पांडेय, विनय शुक्ला, ध्यानचंद्र पांडेय, कृष्ण कुमार सिंह, इंद्रमोहन पाठक, प्रेमनाथ पांडेय, आशीष पांडेय, डॉ राजेश सिंह, डॉ संतोष कुमार सिंह, डॉ तुषार क्रांति, डॉ उमेश सिंह, शैलेंद्र चतुर्वेदी, चंद्रांशु धर द्विवेदी समेत क्षेत्र के तमाम किसान मौजूद रहे।
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