अवधनामा संवाददाता
पैलानी/बांदा। पैलानी तहसील क्षेत्र के अधिकतर गांवों में बीते दिनों हुई बेमौसम बारिश व भीषण ओलावृष्टि से किसानों की बर्बाद हुई फसल का जिला प्रशासन द्वारा संज्ञान लेकर सही सर्वे कराकर शासन द्वारा उचित मुआवजा दिलाने के सम्बन्ध में दो दर्जन से अधिक किसानों ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापन तहसीलदार पैलानी तिमराज सिंह के मध्यम से भेजा।किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह चुनाले ने बताया कि बीते 4/5 दिन पहले भारी बारिश व ओलावृष्टि से पैलानी तहसील क्षेत्र के गांवों चंदवारा,गौरी खुर्द, इछावर, रामपुर, कानाखेड, शेखुपुर, नरौली, गाजीपुर, मड़ौली, बड़ागांव, जसपुरा, खपटिहा कला, पैलानी, अलोना, साड़ी आदि गांवों के किसानों की खेतों में खड़ी फसलें (गेहूं,चना,सरसों आदि) 50 प्रतिशत से ज्यादा बर्बाद हो गई हैं।शासन ने फसलों के सर्वे का निर्देश दिया है लेकिन पैलानी तहसील ने अभी तक लेखपालों व अन्य कर्मचारियों द्वारा अभी सर्वे ही नहीं शुरू कराया है।ओलावृष्टि व भारी वर्षा ने किसानों को बरबादी के कगार पर ला खड़ा किया है।किसान चना,गेहूं,सरसों आदि फसलों को काटने की तैयारी में थे या फिर काट चुके थे लेकिन बेमौसम बारिश तथा ओलावृष्टि से ज्यादातर किसानों की फसल खेत – खलिहान में ही सड़कर व तेज हवा से गिरकर बर्बाद हो गई ।किसानों ने आरोप लगाया है कि इसके बावजूद तहसील क्षेत्र के लेखपाल सर्वे करने न तो गांव जा रहे हैं और न ही खेत में और न ही पीड़ित किसानों से नुकसान की जानकारी ले रहे हैं। किसानों का कहना है कि लेखपाल या तो घर से या फिर अपने बस्ते से सर्वे रिपोर्ट अपने अधिकारियों को भेज रहे हैं ।इससे तो यही लगता है कि यूपी की सरकार भी बांदा जिले के किसानों को सही मुआवजा नहीं देना चाहती या फिर तहसील स्तर के अधिकारी ही सर्वे करने में लापरवाही करा रहे हैं । किसानों ने जिला अधिकारी से मांग किया कि अपने अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देशित कर ओलावृष्टि वा बारिश से ग्रसित पैलानी तहसील के गांवों में सही तरीके से सर्वे करवाएं जिससे कि पीड़ित किसानों को खराब हुई फसलों का शासन द्वारा सही मुआवजा मिल सके।जिससे कि शासन की मंशा पूरी हो सके।वही किसानों ने कहा कि यदि 03 दिनों के अंदर अगर हर गांव में सर्वे नहीं शुरू कराया गया तो पीड़ित किसान आगे की रणनीति बनाने को बाध्य होगा।जब इस संबंध में पैलानी के उपजिलाधिकारी नमन मेहता से जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि अभी लेखपाल जांच कर रहे हैं कि कितने प्रतिशत फसल खराब हुई है। किसानों का कहना है कि 40 से 50 प्रतिशत फसल खराब हो चुकी हैं।