बीजशोधन व भूमिशोधन अभियान में किसानों को किया जागरूक

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अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। पन्द्रह जून तक जनपद में संचालित बीजशोधन एवं भूमिशोधन अभियान के अन्तर्गत कृषि विभाग के कर्मचारियों द्वारा जनपद के समस्त विकास खण्डों के विभिन्न ग्रामों जैसे जिजयावन, खांदी, बिलाटा, बानपुर, थाना, कुआगाँव, पठागौरी, छिपाई, मिर्चवारा, धौजरी, कलोथरा, कंधारीकलाँ, हजारिया, सरखडी, खैरपुरा, बारई, बारयों, भावनी, डगराना, चन्दावली एवं कनपूरा आदि ग्रामों में आयोजित पी0एम0 किसान सम्मान निधि सोशल आडिट केम्प के माध्यम से आगामी खरीफ वर्ष 2022 की फसलों जैसे मूंग, उर्द, तिल, सोयाबीन, धान एवं मक्का आदि की बुवाई हेतु बीजशोधन एवं भूमिशोधन करने सम्बन्धी जानकारी दी गयी। साथ ही कृषकों को बताया गया की मई-जून की गर्मी में भूमि की गहरी जुताई करने से कीट/रोगों के भूमि में पडे शिशू, अण्डा, प्यूपा, लार्वा आदि नष्ट करने, अच्छी तरह से सडी हुई गौबर की खाद का प्रयोग, उन्नत किस्म के बीजो का प्रयोग, फसल चक्र अपनाने एवं विभागीय योजनाओं आदि के बारे में विस्तृत जानकारी कृषकों को दी गयी। कृषकों को बीजशोधन के बारे में बताया गया की बीज उपचार के लिए बीजो को बोने से पूर्व ट्राईकोडर्मा हारजेनियम 4-6 ग्राम मात्रा/किलोग्राम बीज अथवा कार्बेन्डाजिम 2-2.5 ग्राम मात्रा/किलोग्राम बीज अथवा थीरम 2 ग्राम मात्रा/किलोग्राम बीज की दर से फसल बोने के पूर्व बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके ही बुवाई करे। यदि किसान भाई अपने घर पर रखे हुये बीज की बुवाई करना चाहते है तो बीज की अच्छे से साफ-सफाई करके छोटे एवं टूटे हुये बीजो को अलग कर, साफ एवं बडे आकार के बीजों को बोने से पूर्व किसी भी फफूंदीनाशक/कीटनाशक रसायन से उपचारीत करके ही बुवाई करें। बीजशोधन से मूंग, उर्द, तिल एवं सोयाबीन में बीज सडन रोग, उकठा रोग, पत्ती धब्बा रोग, तना सडन रोग, मूंगफली में टिक्का रोग के साथ ही धान एवं मक्का में पत्ती धब्बा रोग, झुलसा रोग एवं तुलासिता रोग आदि लगने की सम्भावना कम से कम रहती है। इसी प्रकार आगे अन्य ग्रामों में भी कृषकों बीजशोधन एवं भूमिशोधन सम्बन्धी जानकारी कृषकों को दी जायेगी। इसके साथ ही भूमिशोधन के लिए 2.5 किलोग्राम ब्यूवैरिया बैसियाना को 60-65 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर तथा 2.5 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा हारजेनियम को 60-65 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर किसी छायादार स्थान के नीचे भीगे हुऐ टाट के बोरे से ढककर प्रतिदिन थोडा-थोडा पानी, नमी बनाये रखने हेतु छिडकते हुऐ बुवाई से 10 दिन पूर्व भूमि मे मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से भूमिशोधन करें। जिससे कीट एवं रोगों का नियंत्रण हो सके। साथ ही खडी अवस्था में फसलों में अनेक प्रकार के कीट/रोग लगने की सम्भावना होती है, इसके लिए किसान भाई समय-समय पर फसलो की निगरानी करते रहे तथा उचित प्रकार के कीट/रोग नाशक रसायनो का छिडकाव करें। साथ ही कृषकों को बताया गया कि कृषि विभाग उ0प्र0 के कृषि रक्षा अनुभाग द्वारा फसलों में कीट/रोग सम्बन्धी समस्या के समाधान हेतु सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पी0सी0एस0आर0एस0) प्रणाली संचालित है। इसमें विभाग द्वारा दो नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 दिये गये है। इन नम्बरों पर आप अपना कृषक पंजीकरण नम्बर या अपना नाम, ग्राम का नाम, विकास खण्ड, जनपद का नाम एवं फसल में लगने वाले कीट/रोग का नाम, लक्षण/फोटो सहित विवरण उपरोक्त नम्बरों पर एस0एम0एस0/व्हाट्सअप के माध्यम से भेजकर अपनी समस्या का समाधान 48 घण्टें में प्राप्त कर सकते है।
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