कार्बन डेटिंग की मांग निरस्त होने पर जताया हर्ष

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अवधनामा संवाददाता

अयोध्या। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण पर न्यायालय द्वारा शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग को निरस्त किए जाने पर हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अधिवक्ता मनीष पांडेय ने प्रसन्नता जताते हुए कहा है कि क्या भगवान की भी कार्बन डेटिंग कराने का क्या किसी में साहस है, अगर कोई प्राणी इस पृथ्वी पर ऐसा सोचता भी है, तो उससे बड़ा अधर्मी कोई हो ही नहीं सकता, श्री पांडेय ने आगे कहा है कि राम जन्मभूमि केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने रामलला की कार्बन डेटिंग के बारे में सिर्फ पूछा था, करवाई नहीं थी, और उसके बाद साक्ष्य और सबूतों के आधार पर ही राम जन्मभूमि का निर्णय हिंदू पक्ष में दिया था, राम जन्म भूमि के बाद में रामलला की कार्बन डेटिंग के अलावा सभी वस्तुओं की कार्बन डेटिंग हुई थी, तो क्या उसी तरह काशी विश्वनाथ श्रृंगार गौरी केस में शिवलिंग को छोड़कर अन्य वस्तुओं की कार्बन डेटिंग क्यों नहीं करवाई जाती? श्री पांडेय ने यह भी कहा है कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग प्रणाली ना तो धर्म सम्मत है और ना ही संविधान सम्मत और ना ही शास्त्र सम्मत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पांडेय ने यह भी कहा है कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करवाना मतलब शिवलिंग के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाना है। यह उचित नहीं है। जिस भगवान शिव की उत्पत्ति का भेद आज तक संसार नहीं जान सका सका। उनके ज्योतिर्लिंग की तिथि निर्धारित करना। अर्थात उनके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाना है। श्री पांडेय ने यह भी कहा है कि कुछ तत्वो द्वारा मीडिया में छाए रहने के लिए यह कृत्य किया जा रहा था, जो कि घोर निंदनीय है। श्री पांडे ने कहा कि मस्जिद में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग ना होकर, वहां मिले अन्य साक्ष्य और सबूतों, दीवारों, दीवारों पर उकेरे गए चित्रों, पुरातत्व विभाग को मिले शिव मंदिर के सबूतों खुदाई में मिली मूर्ति, तथा अन्य वस्तुएं जो स्पष्ट रूप से यह सिद्ध कर रहे हैं कि वहां कभी विशाल शिव मंदिर हुआ करता था कार्बन डेटिंग इन वस्तुओं की होनी चाहिए ना कि शिवलिंग की।
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