अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी। महिला के नारीत्व के पीछे बहुरंगी प्रतिभा छुपी होती है। उसका हर कदम पुरूष से मजबूत, अडिग और तरक्की वाला होता है। इसीलिए महात्मा गांधी हमेशा कस्तूरबा गांधी को बराबर बैठाना चाहते थे। लेकिन कस्तूरबा थी कि हमेशा सीख सीखकर बराबरी पर बैठ जाती थी। पढ़ी लिखी न होने के बावजूद उन्होंने मोहन को गांधी बनाया। वह सत्याग्रहों में गांधीजी की परछाई बनी रही और महात्मा गांधी के इरादों को मजबूत किया।
यह बात गांधी भवन में अमृत महात्मा गांधी सप्ताह के तीसरे दिन ‘कस्तूरबा गांधी और नारी सशक्तिकरण‘ पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री राकेश वर्मा की पत्नी श्रीमती सुधा वर्मा ने कही। इस दौरान गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने कोराना काल में उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों को प्रोत्साहित करते हुए सामाजिक सहभागिता सम्मान से सम्मानित किया। वहीं आशा बहू स्वास्थ्य समिति की जिलाध्यक्ष सुनीता देवी को समाजसेविका सुधा वर्मा ने स्मृति चिन्ह व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
श्रीमती वर्मा ने आगे कहा कि महिलाओं का स्वर्णिम इतिहास रहा है। जिन्होंने हर क्षेत्र में परचम लहराया है।
संगोष्ठी में उपस्थित सरिता शर्मा ने कहा कि कस्तूरबा गांधी देश के प्रति निष्ठावान और समर्पित रहने वाली प्रभावशाली महिला थी।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए शोध छात्रा तेजस्वी शर्मा ने कहा कि महिलाओं को सभी तरह के अधिकार दिए गए हैं।
सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर आद्या शर्मा, फातिमा ज़हरा, निशा वर्मा, शालिनी देवी, मालती देवी, अर्चना मिश्रा, शशी वर्मा, मंजू देवी, सीमा देवा, मिथलेश पाल, सुमन यादव, किरन कुमारी, पुष्पा रावत, रूप रानी, रीता देवी, शकुन्तला देवी, राधा रानी, किरन कुमारी आदि महिलाएं मौजूद रहीं।
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