अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी। (Barabanki) हर शै को मौत का मज़ा चखना है । मौत तो परवर दिगार की तरफ़ पल्टाने का ज़रीया है । बुग्ज़ , हसद , कीना से अपने को बचाओ। क़ुरआन व अहलेबैत की मोहब्बत को अपनाओ । दुनियां की दौलत व शोहरत की लालच में बह कर गुमरही का शिकार न हो।दुनियां फ़ानी है आखेरत अस्ल ठिकाना है। यह बात मजलिस ए सय्युम बराये ईसाले सवाब सलमा बेगम बिन्ते ज़ाकिर हुसैन को खिताब करते हुये आली जनाब मौलाना हिलाल अब्बास ने मौलाना गुलाम अस्करी हाल में कही । मौलाना ने आगे कहा हमेशा हमेशा की जिन्दगी के लिये परवर दिगार की तरफ़ पलट कर जाना है क्योकि वही अस्ल ठिकाना है।क़ुरआन और अहलेबैत की मोहब्बत अपनाओ , दुनियां और आखेरत दोनो में कामयाबी पाओ।जो परवर दिगार के सामने लरजते है वो दुनियां में किसी से नही डरते ।जो हक़ पर जिन्दगी गुज़ारते है मौत उन्हें शहद से ज़्यादा शीरीं नज़र आती है।आखिर में कर्बला वालों के मसायब पेश किए जिसे सुनकर सभी रोने लगे ।मजलिस से पहले आरिज़ जरगावी ने अपना कलाम पेश करते हुये पढ़ा -दफ्न हो जाती वहीं कर्बोबला मख्तल में , भाई के साथ जो हमशीर न आई होती । कब्र की आगोश में जब थक के सो जाती है मां । दानिश ने रज़ा सिर्सिवी की नज़्म पढ़ कर सबको रुला दिया- कब्र की आगोश में जब थक के सो जाती है मां , तब कहीं जाकर के थोड़ा सा सुकूं पाती है मां ।अली ज़ईम, मोहम्मद व अरबाब ने भी नज़रानए अक़ीदत पेश किया। तिलावते कलामे इलाही से मजलिस का आगाज़ हुआ । बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।
फोटो नं 2
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