एप्सन के ग्लोबल अध्ययन में सामने आया कि भारतीय विश्व में जलवायु संकट को टालने की ओर अति आशावादी हैं

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नई दिल्ली। डिजिटल इमेजिंग और प्रिंटिंग सॉल्यूशंस में वर्ल्ड लीडर, एप्सन ने साल 2021 में जलवायु परिवर्तन पर किया गया अपना पहला अध्ययन, ‘‘क्लाईमेट रियलिटी बैरोमीटर’’ प्रकाशित किया था, जिसमें विभिन्न देशों, उम्र और पृष्ठभूमियों के लोगों का जलवायु परिवर्तन के प्रति दृष्टिकोण और उनकी समझ का आकलन किया गया था।

आज एप्सन ने अपने दूसरे क्लाईमेट रियलिटी बैरोमीटर – 2022 के परिणाम जारी किए। इस सर्वे में भारत सहित 28 देशों में 26,205 लोगों का सर्वे किया गया। नए अध्ययन के मुताबिक पूरे विश्व के लोग जलवायु परिवर्तन में योगदान देने का प्रयास कर रहे हैं। इस ग्लोबल टेक्नॉलॉजी लीडर द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि जहाँ विश्व की अर्थव्यवस्था जलवायु की चुनौतियां सुलझाने के प्रयासों से भटकाव साबित हो रही है, वहीं जलवायु परिवर्तन बहुत से लोगों के लिए चिंता का मुख्य विषय है।

इस सर्वे में इस बारे में चौंकानेवाली जानकारी मिली है कि जलवायु संकट के साथ किस प्रकार दृष्टिकोण में परिवर्तन आ (और नहीं आ) रहा है। अध्ययन में खुलासा हुआ कि जागरुकता बढ़ तो रही है, पर बहुत धीमी गति से और अस्थिर रूप से। जहां पहले बैरोमीटर अध्ययन में सामने आया ‘क्लाईमेट रियलिटी डेफिसिट’ अभी भी मौजूद है, वहीं डेटा यह भी प्रदर्शित करता है, कि यह डेफिसिट कम हो रहा है, और लोग जलवायु के संकट का समाधान करने के लिए ज्यादा प्रयास करने लगे हैं।

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