Saturday, April 20, 2024
spot_img
HomeMarqueeचंद मिनटों में झकझोरती रिश्तों और संवेदनाओं की लघुफिल्म

चंद मिनटों में झकझोरती रिश्तों और संवेदनाओं की लघुफिल्म

24 अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में अबतक मिले 12 अवार्ड 
प्रज्ञेश की ‘छोटी सी गुजारिश‘ कान्स फिल्म फेस्टिवल में 
स्पेशल प्रीमियर: चंद मिनटों में झकझोरती रिश्तों और संवेदनाओं की लघुफिल्म 
लखनऊ,। हमारे संस्कारों-मानवीय संवेदनाओं के बदलते परिवेश में नयी पीढ़ी में तेज़ी से होते अवमूल्यन को रेखांकित करती लखनऊ में बनी लघु फिल्म ‘छोटी सी गुजारिश’ ने मई में पेरिस में होने वाले कांस फिल्म फेस्टिवल में भी अपनी जगह बना ली है। टीएनवी फिल्म्स के बैनर पर बनी निर्माता-निर्देशक प्रज्ञेशकुमार इस फिल्म ने राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर 24 बार आधिकारिक चयन प्राप्त करते हुए अबतक बेस्ट शार्ट फिल्म, बेस्ट स्टोरी, बेस्ट एक्टर-एक्टेªस, बेस्ट इंडियन शार्टफिल्म कैटेगरी सहित राइटिंग, डायरेक्शन, सिनेमैटोग्राॅफी व एक्टिंग कैटेगरी में 12 अवार्ड हासिल किए हैं।
निर्माता के तौर पर रजत कपूर के साथ ‘रैट रेस’, शर्लिन चोपड़ा के साथ ‘चमेली’, मुम्बई की लोकल टेªनों की समस्या पर ‘डियर लोकल’, सफाई अभियान पर ‘स्वच्छ भारत’,  ‘हाफ ट्रुथ’, ‘क्यूट गर्ल’, ‘मीना’ जैसी कई चर्चित लघु फिल्में बना चुके प्रज्ञेशकुमार ने बताया कि फिल्म अगस्त 17 में पूरी हुई। इस वर्ष मई मध्य में कान्स फिल्म समारोह में प्रदर्शित होगी। पिता-पुत्र के सम्बंधों की मीमांसा करती फिल्म में मुख्य चरित्र निभाने वाले ‘दंगल’, ‘मैरीकाॅम’, ‘फना’, ‘सरकार राज’, ‘तलवार’ व ‘मंजुनाथ’ जैसी चर्चित फिल्मों के अभिनेता शिशिर शर्मा की मौजूदगी में फिल्म के लेखक-निर्देशक प्रज्ञेश कुमार सिंह ने बताया कि पहले माना जाता था कि 25 साल में पीढ़ी बदल जाती है। मगर ग्लोबलाइजेशन के दौर में जेनरेशन चेंज का अंतराल काफी कम हो गया है। अब तो कोई पंद्रह साल का माॅडर्न बच्चा अपने नाॅलेज, इंटरेस्ट और एटीट्यूड के साथ सामने खड़ा होकर हमें एहसास करा देता है कि पीढ़ी बदल गई है। छोटी सी गुजारिश तेजी से बदलती इसी पीढ़ी की कहानी है। नई पीढ़ी उन मूल्यों को तवज्जो नहीं देती जो समाज के लिए बुनियादी और अहम हैं। उसे सिर्फ सक्सेज, कॅरियर और अपनी परेशानियों से मतलब है। ऐेसे में मां-बाप या हमारे बुजुर्ग खुद को कहां पाते हैं? वो नई पीढ़ी से तालमेल मिलाएंगे या फिर अपनी सोच संस्कारों के साथ आगे बढ़ेंगे? ये फिल्म का अहम मुद्दा है। फिल्म सिर्फ दृष्टांत ही नहीं पेश करती बल्कि एक नई दृष्टि भी सामने रखती है। क्या नई पीढ़ी वाकई इतनी मशगूल हो गई है कि हम अपने मां-बाप की नन्हीं गुजारिशें भी न पूरी कर सकें…. इस तरह की पीढ़़ी में पारिवारिक रिश्तों और मानवीय संवेदनाओं का भविष्य क्या है? समाज को किस दिशा में लेकर जाएंगे? फिल्म यही अहसास कराने की कोशिश है। लखनऊ और आसपास शूट हुई फिल्म में इंदर कुमार, शिशिर शर्मा और स्मिता जयकर जैसे नामी फिल्मी कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकार हंै। सिनेमेटोग्राॅफी सन् 2012 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म ‘फिल्मिस्तान’ फेम शुभ्रांशु दास की है। फिल्म के अधिकार हाट स्टार और बंजारा लेने को तैयार हैं पर बातचीत फाइनल नहीं हुई है।
कान्स फेस्टिवल से पहले फिल्म वाशिंगटन डीसी साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल, वेनेजुएला इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, रोजारिटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, सेफालू इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, एनईजेड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, सदर्न स्टेट इंडो फिल्म फेस्टिवल में चयनित हुई है। देश में हुए समारोहों में मुंबई इंटरनेशनल शार्ट फिल्म फेस्टिवल, जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, दिल्ली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, नोएडा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, जोधपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, शान-ए-अवध फिल्म फेस्टिवल, टाॅप शाट्र्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, फाइव काॅन्टीनेंट इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, बंज़ारा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, लेक व्यू इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, साउथ फिल्म एंड आट्र्स अकादमी फेस्टिवल में शामिल होकर 12 अवार्ड हासिल कर चुकी है। फिल्म के पुरस्कार-सम्मान व सराहना का ये सिलसिला अभी थमा नहीं। फिल्म के एक स्पेशल शो के लिए माननीय राज्यपाल राम नाईक को निमंत्रित किया गया है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular