मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार अवैध उत्खनन और परिवहन पर प्रभावी कार्यवाही, खनिज के अवैध उत्खनन, परिवहन एवं भंडारण पर प्रभावी कार्यवाही तथा रेत खनिज की इनस्ट्रीम माइनिंग पर प्रभावी रोक लगाने तथा जितनी मात्रा की ईटीपी जारी की गयी है, उससे अधिक परिवहन न हो तथा स्वीकृत क्षेत्र से बाहर उत्खनन न हो, इस पर सतत निगरानी के लिये कार्यवाही करने के लिये राजस्व एवं खनिज साधन विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव ने गुरुवार को समीक्षा कर आवश्यक निर्देश दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि प्रकरण दर्ज किया जाकर रोकथाम की कार्यवाही करें।
प्रमुख सचिव श्रीवास्तव ने कलेक्टर्स को निर्देश दिये कि खनिज साधन विभाग द्वारा रेतधारित जिलों के लिये रेत खदान अधिक से अधिक घोषित किये जाने के लिये पूर्व में निर्देशित किया गया है। उन्होंने कहा कि अभी तक 9 जिलों में कार्यवाही की गयी है। शेष जिलों में अभियान चलाकर 15 जुलाई तक बी-2 श्रेणी की अधिक से अधिक से अधिक संख्या में खदाने घोषित किया जाना और इसके साथ ही 250 हेक्टेयर तक रकबा वाली 20 बी-1 श्रेणी की खदानों को 15 सितम्बर, 2024 तक चिन्हित कर घोषित किये जाने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि खदानों की जियो-रिफ्रेशिंग अपलोड करने के लिये कहा गया। अवैध उत्खनन पर प्रभावी रोकथाम को ध्यान में रखते हुए स्वीकृत क्षेत्र से बाहर उत्खनन की पहचान कर कार्यवाही किये जाने के लिये मुख्य एवं गौण खनिज की खदानों के जियो-रिफरेंस कर पोर्टल पर अपलोड किये जायें। उन्होंने कहा कि समय-सीमा में कार्यवाही सुनिश्चित करें। प्रमुख सचिव ने निर्देश दिये कि देवास एवं नरसिंहपुर में प्रगति का प्रतिशत कम है। प्रगति बढ़ाने के साथ जियो-रिफरेंस कर पोर्टल पर जानकारी अपलोड करें।
प्रमुख सचिव ने कहा कि उत्खनन पट्टे के आवेदनों का समय-सीमा में निराकरण करें। इससे उत्खनन पट्टों के आवेदनों का जिलेवार प्रदेश के लंबित प्रकरणों का निराकरण न होने से जिले का राजस्व प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि आम जनता को खनिजों की आसानी से उपलब्धता नहीं हो पाती है। इसके लिये समस्त जिलों में लंबित आवेदनों का निराकरण निर्धारित समय-सीमा में किया जाये। चार हजार हेक्टेयर से कम रकबा के लंबित आवेदनों का निराकरण कलेक्टर जिला स्तर पर ही करने का प्रयास करें।
प्रमुख सचिव राजस्व एवं खनिज साधन ने कहा कि बंद खदानों को व्यपगत किया जाये। उन्होंने कहा कि मुख्य खनिज के पट्टे अनुबंध निष्पादन की तारीख से 2 वर्ष की अवधि के भीतर खदान से उत्पादन और प्रेषण नहीं हुआ है या खदान प्रारंभ होने के पश्चात 2 वर्ष से निरंतर बंद है, ऐसी खदानों को व्यपगत किया जाये।
प्रमुख सचिव राजस्व एवं खनिज साधन ने भूमि प्रदाय के लिये वन भूमि में खनि-रियायत के प्रस्ताव में वन संरक्षण अधिनियम-1980 के तहत होने वाली कार्यवाही के अंतर्गत भूमि प्रदान करने के संबंध में प्रदेश के समस्त कलेक्टर्स अपने जिला अंतर्गत ऐसी भूमियों का चिन्हांकन कर लैण्ड बैंक में शामिल करें। इसके लिये सर्वेक्षण एवं जाँच आवश्यक रूप से करायी जाये, जिससे संबंधित आवेदकों को प्रदेश में फॉरेस्टेशन के लिये भूमि समय-सीमा में उपलब्ध करायी जा सके।