एस.एन.वर्मा
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राष्ट्रपति का चुनाव खत्म होने को है, उपराष्ट्रपति का चुनाव शुरू होने को है। विपक्ष ने इसके लिये बैठक बुलाई है। ममता ने अपना अलग स्टैन्ड रक्खा है वह विपक्ष की बैठक में शामिल नही होगी। उप राष्ट्रपति के लिये जिन नामो की चर्चा हो रही थी उनमें मुख्तार अब्बास नकवी, नेजमा हेयतुल्ला, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद का नाम था। इसमें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, जगदीप धनखड़ा का नाम नही था। ममता सरकार से तकरार के लिये धनखड़ हमेशा सुर्खियों में बने रहे। ममता सरकार को भ्रष्ट सरकार बताते है, जहां एक खास वर्ग को लाखों का मुआवजा दिया जाता है दूसरे वर्ग के आंसू तक नही पोछे जाते। पश्चिम बंगाल ज्वालामुखी पर बठा है। यहां प्रजातंत्र नही है ममता धनखड़ पर फोन टैपिंग का आरोप लगाती है उनके ट्विटर पर ब्लाक कर दिया है। गवर्नर पर पक्षपात का आरोप लगाती है। अर्से से गर्वनर बदलने के लिये केन्द्र पर जोर डालती रही है।
तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुये बीजेपी संसदीय बोर्ड के बैठक में पश्चिम बंगाल के गर्वनर जगदीप धनखड़ के नाम पर लोगों की सहमति बनी जिसकी घोषणा बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने की। इस तरह धनखड़ एनडीए के उम्मीदवार बने जिनकी जीत निश्चित मानी जा रही है अगर कोई बड़ा उलटफेर नही हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा धनखड़ को संविधान का अच्छा ज्ञान है, विधायी, कामकाज की अच्छी जानकारी है। वह राज्यसभा के शानदार सभापति होगे।
धनखड़ पेशे से वकील है। तीस साल से ज्यादा समय से वह पब्लिक लाइफ का जाना पहचाना चेहरा रहे है। पढ़ाई सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ से की फिजिक्स से ग्रेजुएशन किया फिर राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी किया। राजस्थान के मशहूर वकीलों में उनकी गिनती होती है। राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे। 1989 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में झुझनू से चुनाव लडे़ और सांसद बने। 1990 में संसदीय कार्य मंत्री रहे। 1993 में राजस्थान के किशनगढ़ सीट से असेम्बली चुनाव लड़े और जीत हासिल की। जुलाई 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया। बीजेपी पार्लियामेन्ट्री पार्टी की मीटिंग से पहले यहां वह प्रधानमंत्री मोदी और बाद में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
बीजेपी जो भी कदम उठती है उसमें कई दूूरदर्शी मुद्दे शामिल रहते है। इसे भाजपा का चौकाने वाला निर्णाय भी कहा जाता है। धानखड़ राजस्थान से आते है और राजस्थान में अगले साल चुनाव होने है जहां कांग्रेस सरकार है। भाजपा वहां पैर जमाने की कोशिश करेंगी। राजस्थान में कांग्रेस में पायलट और गहलौत गु्रप को तनातनी कब से चल रही है। भाजपा इसका फायदा उठा अपना झन्डा फहराना चाहेगी। इसलिये यहां का चुनाव भाजपा के लिये अहम है। राजस्थान में जाट समुदाय भारी संख्या में है धनखड़ जाट समुदाय से आते है इसलिये धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर भाजपा वहां के जाट समुदाय को अपने पाले में लाने की कोशिश में लगी हुई है। कभी सचिन पायलट जब गहलौत सरकार के खिलाफ बगावत का भाजपा में जाने की तैयारी में थे। पर उनके पास सरकार गिराने वाली संख्या नहीं थी इसलिये भाजपा ने भी उन्हें समर्थन नही दिया न अपने साथ मिलाया धनखड़ के माध्यम से उसे उम्मीद है जाट कार्ड रंग लायेगा। राजस्थान आये दिन अपनी कमजोरी छिपाने के लिये भाजपा पर आरोप लगाता रहता है कि वह उनकी सरकार गिराने में लगी हुई है।
अभी तक माना जाता है जाट समुदाय कांग्रेस के तरफ रहती है। चुनाव में राजस्थान के जाट समुदाय के घनखड़ को उपराष्ट्रपति का पद देकर जाटो को लुभाने के लिये ट्रम्प कार्ड चला है। असर तो ज़रूर होगा पर कितना होगा यह तो वख्त बतलायेगा।
मौजूदा सरकर में इस समय दोनो सदनो में राज्यसभा में चुनौती मिलती है। उपराष्ट्रपति का पद जीत कर धनखड़ राज्यसभा के सभापति होगे। इसका बहुत कुछ असर राज्यसभा के सदस्यों पर पड़ेगा और आये दिन सरकार को राज्यसभा से मिल रही चुनैतियों में कुछ कमी तो जरूर आयेगी।
भाजपा संसदीय दल बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमीत शाह, नितिन गडकरी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जे.पी.नड्डा मौजूद रहे। इसी दौरान धनखड़ के नाम पर मुहर लगी। औपचारिकता बाकी है वरना धनखड़ का चुना जाना तय है। संख्याबल एनडीएके पक्ष में है विपक्ष अभी बैठक करेगा जिसमें ममता शामिल नही होगी। वे अपने उम्मीदवार घोषित करेगे। राष्ट्रपति चुनाव की तरह यह भी प्रतीकात्मक लड़ाई होगी।
विपक्ष ने शरद पवार के घर बैठक करके कांग्रेस सहित 17 पार्टियों के समर्थन से कांग्रेस की पुरानी नेत्री मार्गेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद के लिये सहमति बनाई। ममता आभी शामिल नही थी इनका जन्म कर्नाटक के मंगलौर में 14 अप्रैल 1942 को हुआ था। कानूून की पढ़ाई की है। 1974 में राज्यसभा के लिये चुनी गई और चार टर्म राज्यसभा की सदस्य रही। 1999 में लोकसभा के लिये चुनी गयी। पांच बार संसद की सदस्य रही। राजीव गांधी और नरसिंहा राव की सरकार में केन्द्रीय मंत्री रही 80 साल की अल्वा गांेवा, राजस्थान, गंुजरात और उत्तराखन्ड का राज्यपाल रही है।