शस्त्र शास्त्र अनुसंधान परम्पराओं के प्रणेता हैं भगवान परशुराम
अवधनामा संवाददाता।
अयोध्या। अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद के आह्वान पर अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम जी का प्राकट्योत्सव ब्रह्ममुहूर्त में सामूहिक सरयू स्नान कर सूर्योदय के समय पूजन पुष्पार्चन आरती के साथ किया गया। इसके बाद शहर के भिन्न मंदिरों में दर्शन पूजन एवं भगवान परशुराम के चित्र पर पुष्पार्चन व उनके महात्म्य श्रवण किया गया। इसी क्रम में श्रीराम आश्रम के महंत जयरामदास ने कहा अक्षय तृतीया को चिरंजीवी महर्षि भगवान श्री परशुराम जी के प्राकट्योत्सव के साथ, ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार भी प्रकट हुये, द्वापर यु ,माता अन्नपूर्णा जी, मां गंगा जी का भी धरती पर अवतरण हुआ था।श्री नाथ मंदिर में विजय पाल ने परशुराम के जीवन प्रकाश का वर्णन किया।
जिलाध्यक्ष शिशिर कुमार मिश्र ने माधवनगर के कार्यक्रम में बताया अक्षय तृतीया को ही आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने कनकधारा स्त्रोत की रचना की थी। ज्योतिर्विद पण्डित दुर्गेश तिवारी ने कहा अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का आरंभ किया जा सकता है आज के दिन धर्म-अध्यात्म-दान-भजन-भंडारा गरीब असहाय मजदूर की रक्षा के लिए सबसे बड़ा और सबसे उत्तम तिथि होती है। डॉ उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने कहा भगवान ने मानवता के कल्याण के लिए युग काल परिस्थिति के अनुसार मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह,वामन के बाद राम के रूप में ऋषि जमदग्नि माता रेणुका के पांचवे पुत्र के रूप में अवतरित हुए और हैहयवंशी सहस्रार्जुन द्वारा अपने पिता जमदग्नि के वध के बाद कठोर तपस्वी पुत्र राम ने अपने गुरु भगवान शिव से प्राप्त परशु को व कोदण्ड धनुष को धारण किया । उन्होंने कहा शस्त्र , शास्त्र, अनुसंधान परम्पराओं के प्रणेता हैं भगवान परशुराम, जिन्होंने सामूहिक कन्या विवाह , धान की उन्नत खेती, गोवा सहित कई गांव दीपो की खोज कर या विकसित कराने का दृष्टांत मिलते हैं। इस अवसर पर राजेन्द्र तिवारी, रामचेत मिश्रा, शोभनाथ मिश्र, विजय शंकर पांडेय, प्रभात शुक्ल, रविन्द्र ओझा, एस एन तिवारी, हरिश्चंद्र शर्मा, राजेश तिवारी पुष्कर तिवारी आदि उपस्थित रहे।