ईद का तोहफा: 5 वर्षों से लापता गीता का हुआ अपने परिवार से पुनर्मिलन:-

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Eid gift: Geeta missing for 5 years reunites with her family: -

 

लखनऊ(Lucknow) यूँ तो ईद का पर्व एक धर्म विशेष से जोड़ा जाता है, लेकिन ईद का तोहफा तो सबके लिए है। इसकी बानगी उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जनपद के भीटी प्रखंड के मुस्तफाबाद में देखने को मिली जहाँ 5 साल से लापता गीता का अपने परिवार से पुनर्मिलन हुआ है। गीता (41 वर्षीया) को उनके परिवार से 6 मई को ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ एनजीओ, चेन्नई के द्वारा मिलाया गया जब गीता का पति (खुशीराम), और बड़ा बेटा (राजकुमार) एस एस समिथि अभया केंद्रम, कोल्लम जिला, केरल गीता को वापस घर ले जाने के लिए आए। 10 मई को गीता अपने पति, और बड़े बेटे के साथ वापस अपने घर पहुँच गईं। एस्पाइरिंग लाइव्स ने गीता के परिवार का पता लगाकर उनको उनके परिवार से मिलाया है।

गीता जो ’85, मुस्तफाबाद, भीटी प्रखंड, अम्बेडकर नगर जनपद, उत्तर प्रदेश- 224152′ की रहने वाली हैं, 5 वर्ष पूर्व (22 अगस्त, 2016) अपने घर से लापता हो गई थीं। मानसिक रूप से अस्वस्थ होने की वजह से यह अपने घर से लापता हो गयी थीं। इनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट 26 अगस्त, 2016 को सम्बंधित पुलिस थाना (अहिरौली) में की गई। इनके लापता होने की वजह से इनके परिवार वालों का बुरा हाल था। परिवार ने गीता का पता करने की हर संभव कोशिश की। आस-पास के जनपदों में पता लगाया गया। अपने स्तर से जहाँ भी संभव हुआ, वहाँ पता किया। पता करने के क्रम में काफी पैसा भी खर्च होता रहा। निराशा और विवशता में झाड़-फूंक करने वाले तक को भी संपर्क कर लिया गया, लेकिन गनीमत रही की वहाँ पैसा डूबने से बच गया। पता करना कभी रोका नहीं, लेकिन गीता का पता नहीं लगाया जा सका था क्योंकि इनकी मानसिक अस्वस्थता ने इन्हें घर से काफी दूर (केरल) पहुँचा दिया था। इनको इनकी असहाय स्थिति में 9 अगस्त, 2017 को एस एस समिथि अभया केंद्रम में भर्ती कराया गया ताकि इनका गुजर-बसर हो सके। इस संस्था ने 23 अप्रैल, 2021 को एस्पाइरिंग लाइव्स एनजीओ से संपर्क किया ताकि गीता के परिवार का पता लगाकर उनको उनके परिवार से मिलाया जा सके। इस सिलसिले में एस्पाइरिंग लाइव्स के मैनेजिंग ट्रस्टी, जिनका नाम ‘मनीष कुमार’ है, से संपर्क किया गया। मनीष कुमार ने 23 अप्रैल, 2021 को ही गीता से सकारात्मकता के साथ बात करनी चाही ताकि इनसे इनके घर, और परिवार का विवरण लेने के बाद इनके परिवार का पता लगाकर इनको इनके परिवार से मिलाया जा सके, लेकिन गीता अपनी मानसिक अस्वस्थता के कारण अपने बारे में ठीक से कुछ भी नहीं बताना चाह रही थीं। फिर बाद में इनसे बात करना जारी रखा गया, लेकिन इन्हें इनकी मानसिक अस्वस्थता की वजह से अपने घर, और परिवार के बारे में कुछ भी ठीक से याद नहीं आ पा रहा था। और तो और, इन्होंने जो भी अपने घर के सदस्यों का नाम बताया, वह भी गलत ही बताया। अपना घर का पता भी लगभग गलत ही बताया। चूँकि, बात करने से यह तो पता चल ही गया था कि ये अवधी भाषा बोलने वाले क्षेत्र से हैं। इसलिए, इस सन्दर्भ में, इस क्षेत्र के कुछ पंचायतों के प्रधान और सचिव का मोबाइल नंबर उपलब्ध किया गया और उनलोगों से संपर्क साधा गया। और इधर, गीता से सम्बंधित विवरण लेने की कोशिश जारी रही। तब तक के अस्पष्ट तथ्यों के आधार पर यह पता चल चूका था कि ये अम्बेडकर नगर जनपद की रहने वाली हैं। और, अंततः, इनके घर का पता चल गया। घर का पता करने में अम्बेडकर नगर जनपद के अकबरपुर प्रखंड के ज्ञानपुर पंचायत के प्रधान (गुरु प्रसाद वर्मा) का भी योगदान रहा। गौरतलब है कि 28 अप्रैल, 2021 को ही गीता के परिजनों का पता लग गया। इस सन्दर्भ में, सम्बंधित पंचायत (मुस्तफाबाद) के प्रधान (श्री गोकरन) का भी सहयोग रहा। जब मनीष कुमार ने गीता के परिजनों को गीता के सकुशल केरल में होने की बात कही तो परिजनों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। पूरा परिवार अत्यंत ही खुश हो उठा। यह ख़ुशी इसलिए भी ज्यादा थी क्योंकि गीता को लापता हुए लम्बा समय बीत चूका था और वह मानसिक रूप से भी अस्वस्थ थीं जिसने परिवार वालों को यह भी डर करके रखा था कि गीता शायद अब इस दुनिया में ही न हों। इसलिए, गीता के होने भर की खबर मात्र से ही परिवार हर्ष के सागर में डूब गया। जब तक कि गीता के परिवार वाले गीता को लेने के लिए आ नहीं गए, तब तक गीता के परिवार वालों का गीता से फ़ोन के द्वारा संपर्क करवाया जाता रहा। मनीष कुमार ने गीता के परिवार को रेल के आरक्षण से लेकर आगमन-प्रस्थान तक की पूरी जानकारी दी, और कोरोना की वजह से सम्बंधित यात्रा के लिए अनिवार्य ई-पास बनाकर दिया, और कोरोना से सम्बंधित अनिवार्य आरटी-पीसीआर जाँच के लिए भी सहयोग किया ताकि वे लोग सुरक्षितपूर्वक आकर गीता को वापस घर ले जा सकें।

गीता का अपने परिवार से पुनर्मिलन में एस्पाइरिंग लाइव्स की संस्थापक, जिनका नाम फरीहा सुमन है, का भी बहुमूल्य सहयोग रहा है। न केवल गीता और उनका परिवार अपितु वहाँ के स्थानीय लोग भी गीता का अपने परिवार से पुनर्मिलन को लेकर अत्यंत ही खुश हैं। एस्पाइरिंग लाइव्स की टीम भी इस पुनर्मिलन से अत्यंत ही प्रसन्न है। आजकल के इस भाग-दौड़ के माहौल में जब पारिवारिक सौहार्द और पारिवारिक बंधन तेजी से कम होता जा रहा है, तब उस परिवेश में गीता के परिवार वालों ने गरीबी और कोरोना के डर को पीछे छोड़ते हुए पारिवारिक सौहार्द और पारिवारिक बंधन का, उत्तर प्रदेश से केरल आकर और गीता को वापस घर ले जाकर, जो अनूठा उदाहरण इस समाज को पेश किया है, उसके लिए हम गीता के परिवार को सलाम करते हैं। मानसिक रूप से विक्षिप्त गीता का उनके परिवार के द्वारा उनके गुम होने के बाद इतनी आत्मीयता के साथ अपनाया जाना, बहुत ही सराहनीय है। इसके लिए, इस परिवार के बारे में लोगों को जानना चाहिए। इस सकारात्मक समाचार का मीडिया के द्वारा प्रचार-प्रसार करने का मुख्य उद्देश्य गीता के परिवार का समाज को दिए गए सन्देश को लोगों तक पहुँचाना है।

गीता के अपने परिवार से पुनर्मिलन में एस्पाइरिंग लाइव्स के नए कन्वेनर, जिनका नाम इसक्की मुथू डॉस है, का भी योगदान रहा है।

गौरतलब है कि ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ एनजीओ 8 मई, 2018 को पंजीकृत हुई है और बिना किसी बाह्य स्रोत की वित्तीय सहायता से इसने अभी तक 111 मानसिक रूप से असक्षम लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाया है। एस्पाइरिंग लाइव्स की पंजीकृत शाखा तिरुपत्तूर, तमिलनाडु में है।

पुनर्मिलन के उपरांत भी एस्पाइरिंग लाइव्स गीता और उनके परिवार के संपर्क में है, और गीता के मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए उनके इलाज से सम्बंधित मामलों में सहयोग कर रही है। हम गीता व इनके परिवार के सुखद भविष्य की कामना करते हैं।

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