Friday, April 19, 2024
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गौ रक्षा : साइड इफ़ेक्ट और सुझाव

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गौ रक्षा : साइड इफ़ेक्ट और सुझाव

उत्तर प्रदेश में नयी सरकार आने के बाद सबसे पहले बंद किये गए अवैध वधशाला , बूचड़खाने । इस फैसले से देश की तमाम जनता खुश हुई और तमाम जनताजिनके व्यापर इस फैसले से जुड़े थे वो नाराज भी हुए। लेकिन गोवंश को इस सरकार के ने फैसले से बहुत फायदा हुआ या यूँ कह लीजिये की सबसे बड़ा फायदा गोवंशका हे हुआ। तमाम मूक जानवर जो हर साल बलि चढ़ जाते थे अब आज आज़ाद घूम रहे हैं बिना किसी डर के , शायद उन्हें भी पता हो गया की प्रदेश में सत्ता बदलगयी है, शायद उनके अच्छे दिन आ गए।

इस  आजादी का परिणाम ये रहा की गोवंश में लगातार वृद्धि हो रही है आज सड़क पे गावों  में लोगों के खेत में आप खुलेघूमते जानवर आराम से देख सकते हैं । ट्रेक्टर के अविष्कार के बाद बैल तो वैसे भी मनुष्य के लिए लिए अनुपयोगी हो चुके हैं तो किसान जब तक बछड़े गाय का दूध  पीते हैं तब तक तो उन्हें रखते हैं बाद में छोड़ देते हैं लावारिस , और इसमें किसान करे भी तो क्या भरपेट भोजन वो अपने परिवार को नहीं खिला पा रहा तो बछड़े काचारा कहाँ से लाएगा। यही लावारिस बैल बछड़े और जो गायें दूध देना बंद कर देती हैं वो आपको सड़को पे बैठे हुए गावों  में घुमते हुए आराम से मिल जाते हैं। जिसकिसान ने अपना चारा बचाने के लिए इन्हे छोड़ा था वो आज दुसरे किसी किसान की फसलें खा रहे हैं खेतों को नुकसान पंहुचा रहे हैं और किसी दूसरे किसान के छोड़ेहुए जानवर किसी और किसान को कहीं न कहीं नुकसान पंहुचा रहे हैं। सड़कों पे आए दिन इनकी वजह से हादसे हो रहे हैं , और न जाने कितनी तरह की समस्याएं पैदाहो रहीं हैं । जब तक बूचडखानें खुले थे तब तक ये सब सड़क पे नहीं दिखते थे पर अब इनके लिए दूसरी कोई जगह नहीं बची है ।

तो क्या करें इसका क्या कोई उपाय नहीं है क्या ? क्या बूचड़खाने वापिस खोल देना इसका उपाय है क्या ? जो गोवंश हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है उसे ऐसे वापिस बूचड़खानों में छोड़ दें? या हर हिन्दू परिवार को प्रतिबद्ध करें की आप इनकी देखभाल करो क्यों की ये आपकी आस्था का विषय है ।

वास्तव में बूचड़खानों में जाने का विकल्प अनैतिक है और दूसरा विकल्प यथार्थ में संभव नहीं है । ऐसे में सरकार के पास एक हे विकल्प बचता है , जानवरो को उनके असली घर भेज देना चाहिए , यानि की जंगल । जंगल में ये जानवर अपने भोजन की स्वयं व्यवस्था कर लेंगे साथ ही साथ पर्यावरण चक्र में भी सहायक सिद्ध होंगे । सरकार को बस ये सुनिश्चित करना होगा की इन्हे जंगल में इतने ऐसी जगह छोड़ा जाये जहाँ से ये बस्ती की तरफ वापिस न आ पाएं । ये लेख केवल एक सुझाव है , हो सकता है की इसमें भी तमाम तरह की खामिया हों या फिर अगर इसे अमली जामा पहनाया जाये तो इसमें कुछ कमियां निकल के आएं लेकिन कुछ न करने से बेहतर है कुछ तो करना , वरना एक दिन ये जानवर किसान के लिए और सड़क पे चलते हर इंसान के लिए समस्या बन जायेंगे ।

 

किसलय मिश्र

(पंडित राम अवतार मिश्र स्मारक शिक्षा एवं सेवा समिति लखनऊ )

7275199197


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