नवमी की रात कोलकाता की सड़कों पर दुर्गा पूजा के अंतिम दिन का अद्वितीय नजारा देखने को मिला। शुक्रवार रात को पूजा के आखिरी दिन का आनंद उठाने के लिए न केवल कोलकाता के निवासी, बल्कि राज्य और देश के अन्य हिस्सों से भी लोग भारी संख्या में पहुंचे। दशमी की शुरुआत के साथ ही प्रतिमा विसर्जन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसके चलते नवमी की रात को पूजा पंडालों का भ्रमण करने वालों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
दिन के मुकाबले रात में भीड़ ज्यादा देखी गई, क्योंकि सप्तमी और अष्टमी को जो लोग किसी कारणवश पंडाल नहीं घूम पाए थे, वे भी इस अंतिम अवसर का लाभ उठाने के लिए सड़कों पर उतर आए। राजधानी में लगभग तीन हजार से अधिक बड़े पूजा पंडाल स्थापित किए गए हैं, जिनका भ्रमण करना तीन दिनों में संभव नहीं हो पाता। इसलिए, नवमी की रात को उन लोगों की भीड़ भी देखने को मिली, जो पिछले दिनों में सभी पंडाल नहीं घूम सके थे। इसके साथ ही, जो लोग सप्तमी, अष्टमी या षष्ठी के दिन पंडाल नहीं देख पाए थे, उन्होंने शुक्रवार की रात पंडाल भ्रमण के लिए कोलकाता का रुख किया।
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भीड़ और यातायात की स्थिति
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नवमी की रात को कोलकाता की सड़कों पर बाकी दिनों के मुकाबले ज्यादा भीड़ देखी गई। हावड़ा और सियालदह स्टेशन से बाहर निकलने वाले लोग बड़ी संख्या में सरकारी और निजी बसों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां तक कि प्राइवेट बसें भी इतनी भर गईं कि लोग दरवाजे पर झूलते हुए यात्रा करने को मजबूर हो गए। मेट्रो सेवाओं में भी भारी भीड़ का आलम रहा। मेट्रो स्टेशन पर एंट्री और एग्जिट गेट पूरी तरह से खोल दिए गए ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। लोग कूपन सिस्टम के जरिए टिकट लेकर मेट्रो में प्रवेश कर रहे थे, जिससे मेट्रो के प्रत्येक स्टेशन पर भारी भीड़ बनी रही। दमदम से कवि सुभाष तक जाने वाली मेट्रो में भी अंतिम स्टेशन तक यात्रियों की भीड़ जस की तस रही।
हावड़ा और सियालदह से चलने वाली लोकल ट्रेनों में भी लोगों का रेला देखने को मिला। शिल्पांचल के शहरों की ओर जाने वाली लोकल ट्रेनें सुबह नौ बजे से ही खचाखच भर चुकी थीं, और ये ट्रेनें रातभर पूजा घूमकर लौटने वालों से भरी रहीं।
कोलकाता में नवमी की यह रात दुर्गा पूजा के आखिरी क्षणों का आनंद लेने वालों के लिए विशेष रही, जहां शहर की सड़कों पर भव्य भीड़ ने इस महोत्सव की रंगत को और बढ़ा दिया।