बेमौसम सितंबर और अक्टूबर के महीने में कई बार बारिश होती है। जिसके चलते किसान जल्दबाजी करते हुए धान की फसल काटने का फैसला ले लेते हैं, लेकिन ऐसा कदापि नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से धान के उत्पादन में असर पड़ता है। यह जानकारी सोमवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि एवं मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में धान की फसल में किसान भाइयों को अत्याधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। जिन किसानों ने धान की अगैती रोपाई की थी, उनकी फसल पक कर तैयार हो रही है। कई जगहों पर धान की बालियों में दाने बनने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे समय में फसल को काटने से उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
धान की बालियां निकलने के समय कीटनाशक दवाओं का कदापि न करें प्रयोग, जीवन के लिए खतरनाक
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि धान की फसल में जब बालियां निकल आए और बाली से दाने बनने की प्रक्रिया होती है। उस दौरान कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग ना करें। यह उपज की गुणवत्ता और उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। खास बात यह है कि अधिक कीटनाशकों का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरता को भी प्रभावित करता है। अंतिम समय में किया गया कीटनाशकों का उपयोग उपज को जहरीला बनता है। ऐसे में जरूरी है कि रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की बजाय जैविक और प्राकृतिक तरीके को अपनाना चाहिए।
धान में जब बाली निकलने के बाद दाने बना रहे हों या फिर धान की फसल पक रही हो, ऐसे में सिंचाई का विशेष तौर पर ध्यान रखें। किसान कई बार अंतिम दौर में धान की फसल में सिंचाई करते हैं, जिससे धान के दानों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, धान का रंग और गुणवत्ता खराब हो सकती है। अतिरिक्त पानी के कारण धान के पौधे अधिक पानी को सोख लेते हैं। जिससे दाने ठीक से भर नहीं पाते और उत्पादन में गिरावट आती है।
फसल को पकने के लिए उर्वरक का प्रयोग करने से पड़ता है बुरा असर
किसान धान की फसल को जल्दी पकने के लिए कई तरह के रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह सिर्फ अवधारणा है। ऐसे में जरूरी है कि धान की फसल को जल्दी पकाने के लिए किसी भी तरह का कोई प्रयोग ना करें। ऐसा करने से उपज की गुणवत्ता प्रभावित होती है। कई बार किसान अंतिम दौर में उर्वरकों का इस्तेमाल कर देते हैं जो कि फसल को पकाने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है।
धान की फसल को काटने के बाद अगर भंडारित करना चाहते हैं तो नमी का विशेष तौर पर ध्यान रखें कि ज्यादा नमी होने पर धान की उपज को लंबे समय तक भंडारित नहीं किया जा सकता। भंडारित की हुई उपज खराब हो सकती।