मोबाइल और इंटरनेट के दुरुपयोग से बच्चे हो रहे हैं क्रोधी और मनोरोगी : डा. संजीव

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अवधनामा संवाददाता

बच्चों की इंटरनेट गतिबिधियों पर निगरानी की जरूरत पर दिया बल

ललितपुर। मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान, नेहरू महाविद्यालय ललितपुर के संयोजक डा.संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि माता पिता एवं अभिभावकों के लिए बच्चों की मोबाइल एवं इंटनेट की लत परेशानी का सबब बनती जा रही है। कोविड-19 के कारण 60 प्रतिशत बच्चों तक मोबाइल एवं नेट पहुंच गया है। कोविड महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लासेज होने के कारण अभिभावकों को मजबूरी वश अपने बच्चों को मोबाइल एवं नेट देना पड़ा। कुछ अभिभावकों द्वारा बच्चों को खुश करने के लिए भी मोबाइल दिया जाता है। माता-पिता इसकी निगरानी नहीं रख पाते कि बच्चा मोबाइल में क्या देख रहा है, और कितना समय नेट पर बिता रहा है, अब यह हो रहा है कि बच्चा बिना किसी रोक-टोक के लंबे समय तक नेट पर सर्च करते रहते हैं। कुछ बच्चों में 8 से 10 घंटे तक मोबाइल पर समय बिताने की लत लग गई है। अनुमानित 25 प्रतिशत बच्चे क्लास के बाद 8 से 10 घंटे तक अपना समय मोबाइल पर बिताने लगे हैं। घर के कमरे में बंद बच्चे खाने पीने के लिए मां-बाप के बुलाने के बाद भी नहीं पहुंच रही है। परिजनों के साथ बातचीत करते समय भी मोबाइल से अपनी नजरें नहीं हटाना आदत में शुमार हो गया है। मोबाइल एवं इंटरनेट के दुरूपयोग से छोटे बच्चों में मोबाइल गेम, कार्टून की लत, किशोरों में सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेम, वेब सीरीज, पोर्न साइट की लत, युवाओं में ऑनलाइन जुआ खेलना, वेब सीरीज, पोर्न साइट एवं सोशल मीडिया की लत लग सकती है। इससे समय एवं मानवीय ऊर्जा की बर्बादी हो रही है, साथ ही मोबाइल डाटा का दुरुपयोग भी हो रहा है। मोबाइल के अधिक प्रयोग के कारण बच्चों में आक्रामकता, क्रोधी स्वभाव, विद्रोही प्रवृत्ति, चिड़चिड़ापन, नींद में कमी, भूख में कमी, एकाग्रता में कमी, झूठ बोलने की आदत, शारीरिक सक्रियता में कमी, मोटापा आना, याददाश्त कमजोर होना, पढ़ाई में दिलचस्पी ना लेना, शिक्षा एवं परीक्षा में खराब प्रदर्शन, निष्पादन क्षमता में कमी आदि मानसिक समस्याएं हो रही हैं। अभिभावकों द्वारा बच्चे से मोबाइल लिया जाता है या रोका टोका जाता है तो बच्चे पहले तो निराश या चुप्पी साध लेते हैं, माता पिता से बात करना बन्द कर देते हैं, तो कई बार बच्चे क्रोधी व्यवहार दिखाते हैं। जिसके कभी कभी बहुत गंभीर परिणाम सामने आते हैं। बच्चों की यह स्थिति माता-पिता एवं अभिभावकों को बहुत अधिक परेशान करने वाली है। डा.शर्मा ने बताया कि बच्चों को तकनीकी ज्ञान अर्जित करना आवश्यक है लेकिन यह तकनीकी ज्ञान इंसान बनाए ना कि रोबोट। इस पर धयान देने की जरूरत है। मोबाइल और इंटरनेट की लत छुड़ाने के लिए सबसे पहले तो गेम्स को मोबाइल से अनइंस्टाल कर दें, जिससे अगर बच्चे खेलने का मन हो तो वो खेल न पाए। अगर माता-पिता या घर का कोई बड़ा सदस्य गेम खेलता है तो सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि वह गेम खेलना छोड़ें, तभी आप बच्चों को गेम छोडऩे के लिए प्रेरित कर पाएंगे। मोबाइल के दुरुपयोग से शिक्षा, परीक्षा, शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य पर पडऩे वाले कुप्रभावों के बारे में बच्चों को अवगत कराएं। बच्चों को परिवार, संबंधियों एवं मित्रों के साथ समय बिताने के लिए समझाएं। बच्चों को कोई अच्छी हॉबी विकसित करने के लिए प्रेरित करें।बच्चों को आउटडोर गेम जैसे क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल, वॉलीबॉल आदि खेलने के लिए प्रेरित करें। बच्चो को दूसरे रचनात्मक कार्यों में व्यस्त करने की कोशिश करें। बच्चों की इंटरनेट एक्टिविटीज पर लगातार नजर बनाए रखें। क्योंकि इंटरनेट के लगातार प्रयोग से बच्चों पर साइबर अपराध खतरा मंडरा रहा है।

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